Comments - फिर उठीं है जाग देखों शहर में शैतानियाँ - Open Books Online2024-03-29T10:27:58Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A978132&xn_auth=noआद0 मुनीश तन्हा जी सादर अभिवा…tag:openbooksonline.com,2019-03-17:5170231:Comment:9785642019-03-17T11:25:55.797Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 मुनीश तन्हा जी सादर अभिवादन। बढिया ग़ज़ल कही आपने और आद0 समर साहब की इस्लाह से और बेहतरीन हो गयी। बधाई स्वीकार कीजिये। सादर</p>
<p>आद0 मुनीश तन्हा जी सादर अभिवादन। बढिया ग़ज़ल कही आपने और आद0 समर साहब की इस्लाह से और बेहतरीन हो गयी। बधाई स्वीकार कीजिये। सादर</p> आ. भाई मुनीश जी, गजल का प्रया…tag:openbooksonline.com,2019-03-15:5170231:Comment:9783622019-03-15T13:32:31.761Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई मुनीश जी, गजल का प्रयास अच्छा है । हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. भाई मुनीश जी, गजल का प्रयास अच्छा है । हार्दिक बधाई।</p> जनाब मुनीश "तन्हा" जी आदाब,ग़ज़…tag:openbooksonline.com,2019-03-12:5170231:Comment:9785082019-03-12T09:03:01.675ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब मुनीश "तन्हा" जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p>'फिर उठीं है जाग देखों शहर में शैतानियाँ</p>
<p>दर्द आहों में बदलने क्यूँ लगी कुर्वानियाँ'</p>
<p>ऊला मिसरे में 'है' को "हैं" औए 'देखों' को "देखो" कर लें,और सानी मिसरे में 'लगी' को "लगीं" कर लें ।</p>
<p></p>
<p>'<span>हर जगह बढ़ने लगी है आज कल विरानियाँ'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'है' को "हैं" कर लें ।</span></p>
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<p><span>'गंध आने है लगी क्यूँ फिर यहाँ बारूद की'</span></p>
<p><span>इस…</span></p>
<p>जनाब मुनीश "तन्हा" जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p>'फिर उठीं है जाग देखों शहर में शैतानियाँ</p>
<p>दर्द आहों में बदलने क्यूँ लगी कुर्वानियाँ'</p>
<p>ऊला मिसरे में 'है' को "हैं" औए 'देखों' को "देखो" कर लें,और सानी मिसरे में 'लगी' को "लगीं" कर लें ।</p>
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<p>'<span>हर जगह बढ़ने लगी है आज कल विरानियाँ'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'है' को "हैं" कर लें ।</span></p>
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<p><span>'गंध आने है लगी क्यूँ फिर यहाँ बारूद की'</span></p>
<p><span>इस मिसरे को यूँ कर लें,गेयता बढ़ जाएगी:-</span></p>
<p><span>'गंध क्यों आने लगी है फिर यहाँ बारूद की'</span></p>
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<p><span>कुछ शब्दों में नुक़्ते नहीं लगाए हैं आपने,देख लें ।</span></p>