Comments - उम्मीद का पेड़ (लघुकथा ) - Open Books Online2024-03-28T09:27:36Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A978807&xn_auth=noवाह वाह श्रीवास्तव जी बहुत बढ…tag:openbooksonline.com,2019-03-26:5170231:Comment:9798192019-03-26T19:57:42.003ZAsif zaidihttp://openbooksonline.com/profile/Asifzaidi
<p>वाह वाह श्रीवास्तव जी बहुत बढ़िया लघुकथा की मुबारकबाद </p>
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<p>वाह वाह श्रीवास्तव जी बहुत बढ़िया लघुकथा की मुबारकबाद </p>
<p></p> लघुकथा बहुत ही पसन्द आई। इसमे…tag:openbooksonline.com,2019-03-22:5170231:Comment:9792462019-03-22T17:17:25.834Zvijay nikorehttp://openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p>लघुकथा बहुत ही पसन्द आई। इसमें सच्चाई है, अच्छी सोच है, पाठक को पकड़ रखती है ऐसी रचना। बधाए, आ० गोपाल नारायण जी</p>
<p>लघुकथा बहुत ही पसन्द आई। इसमें सच्चाई है, अच्छी सोच है, पाठक को पकड़ रखती है ऐसी रचना। बधाए, आ० गोपाल नारायण जी</p> जनाब डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास…tag:openbooksonline.com,2019-03-20:5170231:Comment:9786062019-03-20T09:44:25.353ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आदाब,उम्दा लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आदाब,उम्दा लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p> हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ गोपाल…tag:openbooksonline.com,2019-03-19:5170231:Comment:9788212019-03-19T14:45:52.228ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय <a class="nolink"><span> </span></a><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA">डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव</a> जी। वरिष्ठ जनों की बच्चों जैसी खाद्य पदार्थों के प्रति रुचि होना।उसकी पूर्ति ना होने से उत्पन्न आंतरिक पीड़ा और उनकी प्रतिबंधित खान पान व्यवस्था पर लाज़वाब लघुकथा।</p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय <a class="nolink"><span> </span></a><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA">डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव</a> जी। वरिष्ठ जनों की बच्चों जैसी खाद्य पदार्थों के प्रति रुचि होना।उसकी पूर्ति ना होने से उत्पन्न आंतरिक पीड़ा और उनकी प्रतिबंधित खान पान व्यवस्था पर लाज़वाब लघुकथा।</p> वाह, बहुत बढ़िया और हक़ीक़त के क…tag:openbooksonline.com,2019-03-19:5170231:Comment:9786452019-03-19T12:27:00.250Zविनय कुमारhttp://openbooksonline.com/profile/vinayakumarsingh
<p>वाह, बहुत बढ़िया और हक़ीक़त के करीब की रचना, बुढ़ापे में तो खाने पीने की लालसा और बढ़ जाती है लेकिन स्वास्थ्य साथ नहीं देता. बहुत बहुत बधाई इस बढ़िया लघुकथा के लिए आ डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव साहब</p>
<p>वाह, बहुत बढ़िया और हक़ीक़त के करीब की रचना, बुढ़ापे में तो खाने पीने की लालसा और बढ़ जाती है लेकिन स्वास्थ्य साथ नहीं देता. बहुत बहुत बधाई इस बढ़िया लघुकथा के लिए आ डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव साहब</p> वर्तमान में पारिवारिक परिवेश…tag:openbooksonline.com,2019-03-19:5170231:Comment:9785932019-03-19T11:24:35.347ZSushil Sarnahttp://openbooksonline.com/profile/SushilSarna
<p>वर्तमान में पारिवारिक परिवेश में पनपते विचारों का गहन मंथन चित्रित किया है सर आपने। इस लघु कथा में एक कटु यथार्थ को दर्शाती मार्मिक व्यथा सजीव हो उठी। इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए दिल से बधाई एवं नमन आदरणीय डॉ गोपल जी।</p>
<p>वर्तमान में पारिवारिक परिवेश में पनपते विचारों का गहन मंथन चित्रित किया है सर आपने। इस लघु कथा में एक कटु यथार्थ को दर्शाती मार्मिक व्यथा सजीव हो उठी। इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए दिल से बधाई एवं नमन आदरणीय डॉ गोपल जी।</p> वाह। बेहतरीन व एकदम उम्दा और…tag:openbooksonline.com,2019-03-18:5170231:Comment:9788102019-03-18T11:27:06.942ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>वाह। बेहतरीन व एकदम उम्दा और तीखी, विचारोत्तेजक। परहेज़ चलते हुए भी मीठी वाणी में दुलार सहित वैकल्पिक रुचि स्वल्पाहार कराना चाहिए बहू व बेटे द्वारा।</p>
<p>हार्दिक बधाई और आभार इस अहम मुद्दे को उठाने हेतु आदरणीय डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव साहिब।</p>
<p>वाह। बेहतरीन व एकदम उम्दा और तीखी, विचारोत्तेजक। परहेज़ चलते हुए भी मीठी वाणी में दुलार सहित वैकल्पिक रुचि स्वल्पाहार कराना चाहिए बहू व बेटे द्वारा।</p>
<p>हार्दिक बधाई और आभार इस अहम मुद्दे को उठाने हेतु आदरणीय डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव साहिब।</p>