Comments - दोहे - Open Books Online2024-03-29T11:32:53Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A979981&xn_auth=noजी बहुत बहुत शुक्रिया आपका आद…tag:openbooksonline.com,2019-05-21:5170231:Comment:9839972019-05-21T06:39:55.417Zsurender insanhttp://openbooksonline.com/profile/surenderinsan
<p>जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय अशोक कुमार जी। अन्यथा लेने का सवाल ही नहीं। सादर नमन जी</p>
<p>जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय अशोक कुमार जी। अन्यथा लेने का सवाल ही नहीं। सादर नमन जी</p> बहुत बहुत शुक्रिया भाई बृजेश…tag:openbooksonline.com,2019-05-21:5170231:Comment:9841992019-05-21T06:37:56.005Zsurender insanhttp://openbooksonline.com/profile/surenderinsan
<p>बहुत बहुत शुक्रिया भाई बृजेश कुमार जी।</p>
<p>बहुत बहुत शुक्रिया भाई बृजेश कुमार जी।</p> जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका आद…tag:openbooksonline.com,2019-05-21:5170231:Comment:9839952019-05-21T06:31:09.007Zsurender insanhttp://openbooksonline.com/profile/surenderinsan
<p>जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय समर कबीर साहब जी। सादर नमन।</p>
<p>जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय समर कबीर साहब जी। सादर नमन।</p> रक्षा करते देश की,दे कर अपनी…tag:openbooksonline.com,2019-04-10:5170231:Comment:9804382019-04-10T14:33:54.966ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>रक्षा करते देश की,दे कर अपनी जान।</p>
<p>वीर जवानों का करो,दिल से तुम सम्मान।।.......वाह ! जरूरी है. जवानों के दम पर ही हम सुख का जीवन बीता रहे हैं. </p>
<p></p>
<p>जीवन के पथ पर तुम्हें,छाँव मिले या धूप।</p>
<p>हर पल आगे ही बढ़ो,सुख दुख में सम रूप।।......वाह ! हर हाल में एक समान रहने का सन्देश देता सुन्दर दोहा.</p>
<p></p>
<p>चौकीदार वाले आपके दोनों दोहों के कथ्य से थोड़ा सहमत नहीं हूँ मैं. क्योंकि आपने चोरों अधिकता होना बताया है. जबकि आवश्यकता चोरी की वारदात बढ़ना दिखाने की है. यह मेरा…</p>
<p>रक्षा करते देश की,दे कर अपनी जान।</p>
<p>वीर जवानों का करो,दिल से तुम सम्मान।।.......वाह ! जरूरी है. जवानों के दम पर ही हम सुख का जीवन बीता रहे हैं. </p>
<p></p>
<p>जीवन के पथ पर तुम्हें,छाँव मिले या धूप।</p>
<p>हर पल आगे ही बढ़ो,सुख दुख में सम रूप।।......वाह ! हर हाल में एक समान रहने का सन्देश देता सुन्दर दोहा.</p>
<p></p>
<p>चौकीदार वाले आपके दोनों दोहों के कथ्य से थोड़ा सहमत नहीं हूँ मैं. क्योंकि आपने चोरों अधिकता होना बताया है. जबकि आवश्यकता चोरी की वारदात बढ़ना दिखाने की है. यह मेरा व्यक्तिगत मत है इसे न राजनीति से जोड़ना, न ही अन्यथा लेना. </p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p>आदरणीय सुरेन्द्र इंसान जी सादर, बहुत सुंदर दोहे रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. फिरभी कुछ जगह कमियाँ नजर आ रहीं हैं. </p>
<p></p>
<p>ये माना मैं जी रहा,तेरे जाने बाद।...............तेरे जाने बाद .....यह अपूर्ण वाक्य है, इससे बचना चाहिए. सही होता /तेरे जाने के बाद/</p>
<p>लेकिन मुझको हर समय,तेरी आती याद।।</p>
<p></p>
<p>मदिरा बहुत बुरी बला,किसने की ईजाद।.../मदिरा बहुत बुरी बला/ ...यहाँ गेयता कम हो गई है. ध्यान रखें तीन त्रिकल एक साथ न आयें </p>
<p>इसके कारण हो रहे,कितने घर बरबाद।।</p>
<p></p>
<p>हर कोई कहता यही,जीने के दिन चार।</p>
<p>आओ थोड़ा यत्न कर,इन में भर ले प्यार।।.....ले /लें ....देख लें. सादर. </p>
<p></p>
<p></p>
<p></p> वाह आदरणीय सुन्दर दोहे..बधाईtag:openbooksonline.com,2019-04-09:5170231:Comment:9803342019-04-09T03:46:09.736Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>वाह आदरणीय सुन्दर दोहे..बधाई</p>
<p>वाह आदरणीय सुन्दर दोहे..बधाई</p> जनाब सुरेन्द्र इंसान जी आदाब,…tag:openbooksonline.com,2019-04-08:5170231:Comment:9802022019-04-08T06:17:42.704ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब सुरेन्द्र इंसान जी आदाब,अच्छे दोहे लिखे आपने,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब सुरेन्द्र इंसान जी आदाब,अच्छे दोहे लिखे आपने,बधाई स्वीकार करें ।</p>