Comments - महाभुजंगप्रयात छंद में पहली रचना - Open Books Online2024-03-28T17:57:12Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A981808&xn_auth=noआद0 सौरभ पांडेय जी सादर अभिवा…tag:openbooksonline.com,2019-05-07:5170231:Comment:9836142019-05-07T09:56:46.563Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 सौरभ पांडेय जी सादर अभिवादन। ओ बी ओ पर आपके द्वारा दी गयी जानकारियों को पहले पढ़ा, फिर उन्हें आत्मसात करते हुए जब आगे बढ़ा तो कई छंद लिखते हुए महाभुजंग प्रयात छंद को साधना शुरू किया। आपकी कृपा और माँ पिता के आशीष से जब यह पहली रचना सध गयी तो काफी आत्मसंतोष हुआ। अवश्य आपके कहे अनुसार परिवर्तन को सोचूंगा। आपका हृदय तल से आभार। सादर</p>
<p>आद0 सौरभ पांडेय जी सादर अभिवादन। ओ बी ओ पर आपके द्वारा दी गयी जानकारियों को पहले पढ़ा, फिर उन्हें आत्मसात करते हुए जब आगे बढ़ा तो कई छंद लिखते हुए महाभुजंग प्रयात छंद को साधना शुरू किया। आपकी कृपा और माँ पिता के आशीष से जब यह पहली रचना सध गयी तो काफी आत्मसंतोष हुआ। अवश्य आपके कहे अनुसार परिवर्तन को सोचूंगा। आपका हृदय तल से आभार। सादर</p> आदरणीय सुरेन्द्रनाथ जी, आपके…tag:openbooksonline.com,2019-05-07:5170231:Comment:9834352019-05-07T09:17:52.040ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
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<p>आदरणीय सुरेन्द्रनाथ जी, आपके इस प्रयास की सचेष्टता स्पष्ट दीखती है. इस निमित्त आपको हार्दिक बधाइयाँ. </p>
<p>यह अवश्य है कि ऐसी पंक्तियों को विशेषकर हिन्दी के आधुनिक स्वरूप में प्रस्तुत करना सरल नहीं है. सवैया रचनाएँ, जहाँ वर्णक्रम नियत है वैसे शब्दों का चयन ही अपने आप में दुष्करहै. यहाँ तो भावों को शाब्दिक करना है. अतः आपका प्रयास मुग्धकारी है. </p>
<p>फिर भी, तीसरी पंक्ति या पद को कुछ और समय दिया जाता तो अभिव्यक्ति और सुगढ़ होती. नहीं, इसमें कोई दोष नहीं है, बल्कि इस पंक्ति के दूसरे…</p>
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<p>आदरणीय सुरेन्द्रनाथ जी, आपके इस प्रयास की सचेष्टता स्पष्ट दीखती है. इस निमित्त आपको हार्दिक बधाइयाँ. </p>
<p>यह अवश्य है कि ऐसी पंक्तियों को विशेषकर हिन्दी के आधुनिक स्वरूप में प्रस्तुत करना सरल नहीं है. सवैया रचनाएँ, जहाँ वर्णक्रम नियत है वैसे शब्दों का चयन ही अपने आप में दुष्करहै. यहाँ तो भावों को शाब्दिक करना है. अतः आपका प्रयास मुग्धकारी है. </p>
<p>फिर भी, तीसरी पंक्ति या पद को कुछ और समय दिया जाता तो अभिव्यक्ति और सुगढ़ होती. नहीं, इसमें कोई दोष नहीं है, बल्कि इस पंक्ति के दूसरे हिस्से की अभिव्यक्ति की बात कर रहा हूँ. फिर भी, यह तो मानना तो होगा, आपने अत्यंत संयमित प्रयोग किया है. </p>
<p>शुभातिशुभ</p>
<p> </p> आद0 बासुदेव अग्रवाल नमन जी सा…tag:openbooksonline.com,2019-05-06:5170231:Comment:9836112019-05-06T13:35:22.815Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 बासुदेव अग्रवाल नमन जी सादर अभिवादन। आपको रचना पसंद आई, लिखना सार्थक हुआ। आभार आपका।</p>
<p>आद0 बासुदेव अग्रवाल नमन जी सादर अभिवादन। आपको रचना पसंद आई, लिखना सार्थक हुआ। आभार आपका।</p> वाह सुरेंद्र नाथ जी महाभुजंग…tag:openbooksonline.com,2019-05-05:5170231:Comment:9834192019-05-05T10:06:37.742Zबासुदेव अग्रवाल 'नमन'http://openbooksonline.com/profile/Basudeo
<p>वाह सुरेंद्र नाथ जी महाभुजंग प्रयात में अच्छी रचना हुई है। बधाई</p>
<p>वाह सुरेंद्र नाथ जी महाभुजंग प्रयात में अच्छी रचना हुई है। बधाई</p> आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम…tag:openbooksonline.com,2019-04-30:5170231:Comment:9828822019-04-30T07:30:12.604Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम। आपका अनुमोदन मिला, रचना कर्म पूर्ण हुआ। आपका हृदय तल से आभार। सादर</p>
<p>आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम। आपका अनुमोदन मिला, रचना कर्म पूर्ण हुआ। आपका हृदय तल से आभार। सादर</p> जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आद…tag:openbooksonline.com,2019-04-29:5170231:Comment:9829532019-04-29T12:31:40.091ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,अच्छा छन्द रचा आपने,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,अच्छा छन्द रचा आपने,बधाई स्वीकार करें ।</p> आद0 डॉ. प्राची सिंह जी सादर अ…tag:openbooksonline.com,2019-04-25:5170231:Comment:9822072019-04-25T16:54:35.935Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 डॉ. प्राची सिंह जी सादर अभिवादन। रचना के भाव आप तक पहुंचे, लेखन सार्थक हुआ। आभार आपका</p>
<p>आद0 डॉ. प्राची सिंह जी सादर अभिवादन। रचना के भाव आप तक पहुंचे, लेखन सार्थक हुआ। आभार आपका</p> सचमुच ज़िन्दगी में व्यस्तताएं…tag:openbooksonline.com,2019-04-25:5170231:Comment:9821092019-04-25T15:51:28.957ZDr.Prachi Singhhttp://openbooksonline.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>सचमुच ज़िन्दगी में व्यस्तताएं इस कदर उलझाए रखती हैं कि पता ही नहीं चलता ज़िन्दगी कब बीत गयी </p>
<p>प्रस्तुति पर बधाई </p>
<p>सचमुच ज़िन्दगी में व्यस्तताएं इस कदर उलझाए रखती हैं कि पता ही नहीं चलता ज़िन्दगी कब बीत गयी </p>
<p>प्रस्तुति पर बधाई </p>