Comments - तीन मुक्तक // - सौरभ - Open Books Online2024-03-28T12:12:54Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A983162&xn_auth=noवाह,वाहहह,शानदार मुक्तक। गजब…tag:openbooksonline.com,2019-05-08:5170231:Comment:9836282019-05-08T16:17:31.727ZHariom Shrivastavahttp://openbooksonline.com/profile/HariomShrivastava
<p>वाह,वाहहह,शानदार मुक्तक। गजब की मारक क्षमता। हार्दिक बधाई आदरणीय सौरभ जी।...मगर दूकान अपनी है,वाहहह</p>
<p>वाह,वाहहह,शानदार मुक्तक। गजब की मारक क्षमता। हार्दिक बधाई आदरणीय सौरभ जी।...मगर दूकान अपनी है,वाहहह</p> आद0 सौरभ पांडेय जी सादर अभिवा…tag:openbooksonline.com,2019-05-06:5170231:Comment:9831922019-05-06T03:50:18.401Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 सौरभ पांडेय जी सादर अभिवादन। मेरी रचनाओं पर आपका आना मेरे लिए पुरस्कार से कम नहीं। समयानुकूल आप अपनी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया से मेरी रचनाओं को अवश्य सुशोभित करें। सादर</p>
<p>आद0 सौरभ पांडेय जी सादर अभिवादन। मेरी रचनाओं पर आपका आना मेरे लिए पुरस्कार से कम नहीं। समयानुकूल आप अपनी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया से मेरी रचनाओं को अवश्य सुशोभित करें। सादर</p> आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर ज…tag:openbooksonline.com,2019-05-06:5170231:Comment:9831912019-05-06T03:05:15.381ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर जी, आपका भाव बना रहे .. आपसे मिले अनुमोदन से मन प्रसन्न है. </p>
<p>हार्दिक धनय्वाद</p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर जी, आपका भाव बना रहे .. आपसे मिले अनुमोदन से मन प्रसन्न है. </p>
<p>हार्दिक धनय्वाद</p>
<p>शुभ-शुभ</p> आदरणीय नरेन्द्र चौहान जी, आपक…tag:openbooksonline.com,2019-05-06:5170231:Comment:9835122019-05-06T03:03:49.027ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय नरेन्द्र चौहान जी, आपको यह प्रयास अनुमोदनीय लगा यह मेरे लिए भी आश्वस्तिकारी है. हार्दिक धन्यवाद आदरणीय </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p>
<p>आदरणीय नरेन्द्र चौहान जी, आपको यह प्रयास अनुमोदनीय लगा यह मेरे लिए भी आश्वस्तिकारी है. हार्दिक धन्यवाद आदरणीय </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p> आदरणीय सुरेन्द्र नाथ जी, आप ज…tag:openbooksonline.com,2019-05-06:5170231:Comment:9835112019-05-06T03:02:06.275ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय सुरेन्द्र नाथ जी, आप जैसे विभिन्न छंद-अभ्यासियों से अनुमोदन मिलना आश्वस्त करता है. हार्दिक धनय्वाद भाई. </p>
<p>एक बात और आपके सवैया छंद मनमोह रहे हैं. खैर, उनपर विशेष रूप से आऊँगा.</p>
<p>शुभातिशुभ</p>
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<p>आदरणीय सुरेन्द्र नाथ जी, आप जैसे विभिन्न छंद-अभ्यासियों से अनुमोदन मिलना आश्वस्त करता है. हार्दिक धनय्वाद भाई. </p>
<p>एक बात और आपके सवैया छंद मनमोह रहे हैं. खैर, उनपर विशेष रूप से आऊँगा.</p>
<p>शुभातिशुभ</p>
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<p> </p> भाई राम शिरोमणि, पटल पर आपसे…tag:openbooksonline.com,2019-05-06:5170231:Comment:9834252019-05-06T02:59:40.496ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>भाई राम शिरोमणि, पटल पर आपसे मिला अनुमोदन विशेष है. हार्दिक धन्यवाद </p>
<p></p>
<p>भाई राम शिरोमणि, पटल पर आपसे मिला अनुमोदन विशेष है. हार्दिक धन्यवाद </p>
<p></p> आदरणीय समर साहब, मुक्तकों को…tag:openbooksonline.com,2019-05-06:5170231:Comment:9834242019-05-06T02:58:43.213ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय समर साहब, मुक्तकों को आपसे अनुमोदन मिला, मेरा रचनाकर्म सार्थक हुआ. हार्दिक धन्यवाद. </p>
<p></p>
<p>जहाँ तक कुछ स्थापित मूल्यों को अपनाने या न अपनाने की बात है उसको लेकर कोई समझौता नहीं है. फिर भी हो चुकी भूल तो भूल ही है. उसे सुधारा जाना ही चाहिए. वस्तुतः, तीनों मुक्तक मोबाइल पर लिखे गये और पूरा होते ही उसी समय मोबाइल से ही पोस्ट कर दिए गये. अब मोबाइल के एडिट बॉक्स का आकार और विस्तार कई बार अपनी सीमाओं के कारण कई पहलुओं ओट में रखता है. सो हमसे भूल हो गयी. अलबत्ता, सुधार कर लिया…</p>
<p>आदरणीय समर साहब, मुक्तकों को आपसे अनुमोदन मिला, मेरा रचनाकर्म सार्थक हुआ. हार्दिक धन्यवाद. </p>
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<p>जहाँ तक कुछ स्थापित मूल्यों को अपनाने या न अपनाने की बात है उसको लेकर कोई समझौता नहीं है. फिर भी हो चुकी भूल तो भूल ही है. उसे सुधारा जाना ही चाहिए. वस्तुतः, तीनों मुक्तक मोबाइल पर लिखे गये और पूरा होते ही उसी समय मोबाइल से ही पोस्ट कर दिए गये. अब मोबाइल के एडिट बॉक्स का आकार और विस्तार कई बार अपनी सीमाओं के कारण कई पहलुओं ओट में रखता है. सो हमसे भूल हो गयी. अलबत्ता, सुधार कर लिया है.</p>
<p>जय-जय </p>
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<p></p> आदरणीय सुशील सरनजी, पकी विशद…tag:openbooksonline.com,2019-05-06:5170231:Comment:9831892019-05-06T02:52:33.309ZSaurabh Pandeyhttp://openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय सुशील सरनजी, पकी विशद टिप्पणी ने मुझे मेरे रचनाकर्म का मान बढ़ाया है इस हेतु आभार. आपकी छांदसिक रचनाओं के क्रम में हुई प्रगति भी हमें विशेष रूप से आश्वस्त करती है. </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
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<p>आदरणीय सुशील सरनजी, पकी विशद टिप्पणी ने मुझे मेरे रचनाकर्म का मान बढ़ाया है इस हेतु आभार. आपकी छांदसिक रचनाओं के क्रम में हुई प्रगति भी हमें विशेष रूप से आश्वस्त करती है. </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p> आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।…tag:openbooksonline.com,2019-05-04:5170231:Comment:9833012019-05-04T14:59:30.333Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। अति उत्तम मुक्तक हुए हैं। हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। अति उत्तम मुक्तक हुए हैं। हार्दिक बधाई ।</p> आदरणीय सौरभजी , खूब सुन्दर !…tag:openbooksonline.com,2019-05-04:5170231:Comment:9834102019-05-04T12:37:42.253Znarendrasinh chauhanhttp://openbooksonline.com/profile/narendrasinhchauhan
<p><span>आदरणीय सौरभजी , खूब सुन्दर ! इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार कीजिये</span></p>
<p><span>आदरणीय सौरभजी , खूब सुन्दर ! इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार कीजिये</span></p>