Comments - तेरी मेरे कहीं कुछ कहानी तो है - Open Books Online2024-03-28T11:11:40Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A985626&xn_auth=noआदरणीय दंडपाणी नाहक साहेब। आप…tag:openbooksonline.com,2019-06-12:5170231:Comment:9856032019-06-12T06:36:02.641ZAmar Pankaj (Dr Amar Nath Jha)http://openbooksonline.com/profile/DrAmarNathJha
<p>आदरणीय दंडपाणी नाहक साहेब। आपको ग़ज़ल पसंद आई। हमारा आभार स्वीकार करें। धन्यवाद। </p>
<p>आदरणीय दंडपाणी नाहक साहेब। आपको ग़ज़ल पसंद आई। हमारा आभार स्वीकार करें। धन्यवाद। </p> हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर…tag:openbooksonline.com,2019-06-12:5170231:Comment:9857812019-06-12T06:34:45.810ZAmar Pankaj (Dr Amar Nath Jha)http://openbooksonline.com/profile/DrAmarNathJha
<p>हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब, प्रणाम। आपने ग़ज़ल पढ़ी और अपनी बहूमूल्य टिप्पणी दी, यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है। आपके कहे अनुसार एक शेर के मिसरा- सानी में बदलाव करता हूँ। दूसरा और तीसरा शेर मुझे बहुत प्रिय है, अतः उनमें सुधार की कोशिश करता हूँ। </p>
<p>यूँ ही आपका आशीर्वाद बना रहे। प्रणाम। </p>
<p>हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब, प्रणाम। आपने ग़ज़ल पढ़ी और अपनी बहूमूल्य टिप्पणी दी, यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है। आपके कहे अनुसार एक शेर के मिसरा- सानी में बदलाव करता हूँ। दूसरा और तीसरा शेर मुझे बहुत प्रिय है, अतः उनमें सुधार की कोशिश करता हूँ। </p>
<p>यूँ ही आपका आशीर्वाद बना रहे। प्रणाम। </p> जनाब अमर पंकज जी आदाब,ग़ज़ल का…tag:openbooksonline.com,2019-06-07:5170231:Comment:9856472019-06-07T13:11:56.387ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब अमर पंकज जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>दूसरे और तीसरे शैर के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है,उन्हें हटा दें ।</p>
<p></p>
<p><span>'ज़िंदगी अब तलक ये सुहानी भी है'</span></p>
<p><span>इस मिसरे को यूँ कर लें:-</span></p>
<p><span>'ज़िन्दगी इसलिए तो सुहानी भी है'</span></p>
<p>जनाब अमर पंकज जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>दूसरे और तीसरे शैर के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है,उन्हें हटा दें ।</p>
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<p><span>'ज़िंदगी अब तलक ये सुहानी भी है'</span></p>
<p><span>इस मिसरे को यूँ कर लें:-</span></p>
<p><span>'ज़िन्दगी इसलिए तो सुहानी भी है'</span></p>