Comments - ..ऐसा हो तो फिर क्या होगा (गीत) ~ डॉ. प्राची - Open Books Online2024-03-29T04:39:17Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A986974&xn_auth=noआद0 प्राची सिंह जी सादर अभिवा…tag:openbooksonline.com,2019-07-12:5170231:Comment:9873552019-07-12T10:16:04.626Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 प्राची सिंह जी सादर अभिवादन। बेहतरीन गीत लिखा है आपने। बधाई स्वीकार कीजिए</p>
<p>आद0 प्राची सिंह जी सादर अभिवादन। बेहतरीन गीत लिखा है आपने। बधाई स्वीकार कीजिए</p> मुहतरमा डॉ. प्राची सिंह जी आद…tag:openbooksonline.com,2019-07-10:5170231:Comment:9873282019-07-10T14:45:53.395ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>मुहतरमा डॉ. प्राची सिंह जी आदाब,बहुत सुंदर गीत रचा आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'जिनकी मुस्काँम पर जीता हूँ जिनकी मुस्काँ पर मरता हूँ'</span></p>
<p><span>इस पंक्ति में 'मुस्कान' को "मुस्काँ" करना उचित नहीं,इसके लिए जनाब अजय तिवारी जी का सुझाव उत्तम है,संज्ञान लें ।</span></p>
<p>मुहतरमा डॉ. प्राची सिंह जी आदाब,बहुत सुंदर गीत रचा आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p><span>'जिनकी मुस्काँम पर जीता हूँ जिनकी मुस्काँ पर मरता हूँ'</span></p>
<p><span>इस पंक्ति में 'मुस्कान' को "मुस्काँ" करना उचित नहीं,इसके लिए जनाब अजय तिवारी जी का सुझाव उत्तम है,संज्ञान लें ।</span></p> मेरे अक्स ढले सपने क्या खुद अ…tag:openbooksonline.com,2019-07-10:5170231:Comment:9872182019-07-10T07:48:30.525ZSushil Sarnahttp://openbooksonline.com/profile/SushilSarna
<p>मेरे अक्स ढले सपने क्या खुद अपनी मंजिल पाएंगे</p>
<p>या नाज़ुक मोती मेरे बिन पल में टूट बिखर जाएंगे</p>
<p>...कभी उन्हें फिर छू ना पाऊँ, ऐसा हो तो फिर क्या होगा ?</p>
<p>...साँझ ढले और मैं ना आऊँ, ऐसा हो तो फिर क्या होगा ? ... बहुत खूब आदरणीया प्राची जी अंतर्मन के भावों , अंतर्द्वंदों का बेहद खूबसूरत चित्रण किया है आपने। दिल से बधाई स्वीकारें।</p>
<p>मेरे अक्स ढले सपने क्या खुद अपनी मंजिल पाएंगे</p>
<p>या नाज़ुक मोती मेरे बिन पल में टूट बिखर जाएंगे</p>
<p>...कभी उन्हें फिर छू ना पाऊँ, ऐसा हो तो फिर क्या होगा ?</p>
<p>...साँझ ढले और मैं ना आऊँ, ऐसा हो तो फिर क्या होगा ? ... बहुत खूब आदरणीया प्राची जी अंतर्मन के भावों , अंतर्द्वंदों का बेहद खूबसूरत चित्रण किया है आपने। दिल से बधाई स्वीकारें।</p> " कंदीलों की ओट तले तुझको झिल…tag:openbooksonline.com,2019-07-08:5170231:Comment:9868992019-07-08T06:41:50.547Zप्रदीप देवीशरण भट्टhttp://openbooksonline.com/profile/PradeepDevisharanBhatt
<p>" कंदीलों की ओट तले तुझको झिलमिल-झिलमिल जलना है</p>
<p>मैं मशाल हूँ सिद्धांतों की मुझे हवाओं से लड़ना है</p>
<p>...जाने किस पल मैं बुझ जाऊँ, ऐसा हो तो फिर क्या होगा ?</p>
<p>...साँझ ढले और मैं ना आऊँ, ऐसा हो तो फिर क्या होगा"</p>
<p>बेहतरीन प्राची जी बधाई</p>
<p>" कंदीलों की ओट तले तुझको झिलमिल-झिलमिल जलना है</p>
<p>मैं मशाल हूँ सिद्धांतों की मुझे हवाओं से लड़ना है</p>
<p>...जाने किस पल मैं बुझ जाऊँ, ऐसा हो तो फिर क्या होगा ?</p>
<p>...साँझ ढले और मैं ना आऊँ, ऐसा हो तो फिर क्या होगा"</p>
<p>बेहतरीन प्राची जी बधाई</p> आदरणीया प्राची जी,
फूल तितलि…tag:openbooksonline.com,2019-07-06:5170231:Comment:9870772019-07-06T06:51:05.324ZAjay Tiwarihttp://openbooksonline.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीया प्राची जी,</p>
<p></p>
<p>फूल तितलियाँ जुगनू चाँद सितारे फीके जिनके आगे > जिनके आगे फीके जुगनू फूल-तितलियाँ चाँद-सितारे </p>
<p>जिनकी मुस्काँ पर जीता हूँ जिनकी मुस्काँ पर मरता हूँ > जिन मुस्कानोंं पर जीता हूँ जिन मुस्कानों पर मरता हूँ</p>
<p></p>
<p>ये एक तात्कालिक और अनाधिकारिक सुझाव है. क्योंकि गीत के तकनीकी मामलों में मेरी गति नहीं है.</p>
<p></p>
<p>हमेशा की तरह एक और अच्छे गीत के लिए हार्दिक बधाई.</p>
<p>आदरणीया प्राची जी,</p>
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<p>फूल तितलियाँ जुगनू चाँद सितारे फीके जिनके आगे > जिनके आगे फीके जुगनू फूल-तितलियाँ चाँद-सितारे </p>
<p>जिनकी मुस्काँ पर जीता हूँ जिनकी मुस्काँ पर मरता हूँ > जिन मुस्कानोंं पर जीता हूँ जिन मुस्कानों पर मरता हूँ</p>
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<p>ये एक तात्कालिक और अनाधिकारिक सुझाव है. क्योंकि गीत के तकनीकी मामलों में मेरी गति नहीं है.</p>
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<p>हमेशा की तरह एक और अच्छे गीत के लिए हार्दिक बधाई.</p>