Comments - गज़ल सीख लो - Open Books Online2024-03-29T13:13:58Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A987050&xn_auth=noआदरणीय समर कबीर जी, अजय तिवार…tag:openbooksonline.com,2019-07-07:5170231:Comment:9870022019-07-07T18:11:45.371ZDayaram Methanihttp://openbooksonline.com/profile/DayaramMethani
<p>आदरणीय समर कबीर जी, अजय तिवारी जी की टिप्पणी के समय मुझे शतुर गुरबा के बाबत कुछ याद नहीं आया। इसलिए उनसे जानकारी बाबत निवेदन किया फिर मुझे याद आया कि इस बाबत कभी चर्चा की थी तो मैने उसे ढूंढा आैर जो आपने बताया वो मुझे नोट किया हुआ मिल गया। उसे पढ़ने के बाद मुझे अहसास हुआ कि अजय तिवारी जो ने जो टिप्पणी की वह बिलुकल सही थी आैर उसके बाद मैने रचना में सुधार कर लिया है। आपका आैर अजय तिवारी जी का आभारी हूं। कृपया मार्गदर्शन करते रहें। सादर।</p>
<p>आदरणीय समर कबीर जी, अजय तिवारी जी की टिप्पणी के समय मुझे शतुर गुरबा के बाबत कुछ याद नहीं आया। इसलिए उनसे जानकारी बाबत निवेदन किया फिर मुझे याद आया कि इस बाबत कभी चर्चा की थी तो मैने उसे ढूंढा आैर जो आपने बताया वो मुझे नोट किया हुआ मिल गया। उसे पढ़ने के बाद मुझे अहसास हुआ कि अजय तिवारी जो ने जो टिप्पणी की वह बिलुकल सही थी आैर उसके बाद मैने रचना में सुधार कर लिया है। आपका आैर अजय तिवारी जी का आभारी हूं। कृपया मार्गदर्शन करते रहें। सादर।</p> जनाब दयाराम जी आदाब,ग़ज़ल का प्…tag:openbooksonline.com,2019-07-07:5170231:Comment:9869882019-07-07T06:59:04.445ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब दयाराम जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब अजय तिवारी जी से सहमत हूँ,आपको याद हो तो कुछ दिन पहले "शुतरगुरबा" के बारे में आपको विस्तार से बता चुका हूँ ।</p>
<p>जनाब दयाराम जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब अजय तिवारी जी से सहमत हूँ,आपको याद हो तो कुछ दिन पहले "शुतरगुरबा" के बारे में आपको विस्तार से बता चुका हूँ ।</p> आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रो…tag:openbooksonline.com,2019-07-06:5170231:Comment:9869802019-07-06T07:38:12.785ZDayaram Methanihttp://openbooksonline.com/profile/DayaramMethani
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत आभार।</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत आभार।</p> आदरणीय अजय तिवारी जी, रचना पर…tag:openbooksonline.com,2019-07-06:5170231:Comment:9870792019-07-06T07:36:33.541ZDayaram Methanihttp://openbooksonline.com/profile/DayaramMethani
<p>आदरणीय अजय तिवारी जी, रचना पर विस्तृत समीक्षा एवं सुझाव के लिए बहुत बहुत आभार। आपने शतुर <span>गुर्बा दोष बताया है। मुझे इसके बारे में संभवत: पूरी जानकारी नहींं है। अत: आपसे निवेदन है कि इस रचना में जहा जहां आपने यह दोष बताया हे वो कैसे उत्पन्न हुआ है इस बारे में मार्ग दर्शन करेंगे तो आपका आभारी रहूंगा। सादर।</span></p>
<p>आदरणीय अजय तिवारी जी, रचना पर विस्तृत समीक्षा एवं सुझाव के लिए बहुत बहुत आभार। आपने शतुर <span>गुर्बा दोष बताया है। मुझे इसके बारे में संभवत: पूरी जानकारी नहींं है। अत: आपसे निवेदन है कि इस रचना में जहा जहां आपने यह दोष बताया हे वो कैसे उत्पन्न हुआ है इस बारे में मार्ग दर्शन करेंगे तो आपका आभारी रहूंगा। सादर।</span></p> आदरणीय दयाराम जी, अच्छे शेर ह…tag:openbooksonline.com,2019-07-06:5170231:Comment:9870672019-07-06T04:23:16.077ZAjay Tiwarihttp://openbooksonline.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीय दयाराम जी, अच्छे शेर हुए हैं. हार्दिक बधाई. लेकिन कुछ शेरों को अभी और वक्त देने की ज़रुरत है. मसलन ये शेर : </p>
<p></p>
<p><span>आंख से आंसू बहाना छोड़िये > शुतुर गुर्बा है. 'छोड़िये' की जगह 'छोड़ कर' रखा जा सकता है. </span><br/><span>हर मुसीबत को भगाना सीख लो</span></p>
<p></p>
<p><span>छोड़ दें अब गिड़गिड़ाना आप भी > शुतुर गुर्बा है. "छोड़ कर अब गिड़गिड़ाने की अदा" किया जा सकता है.<br/>कुछ तो कद अपना बढ़ाना सीख लो</span></p>
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<p>आदरणीय दयाराम जी, अच्छे शेर हुए हैं. हार्दिक बधाई. लेकिन कुछ शेरों को अभी और वक्त देने की ज़रुरत है. मसलन ये शेर : </p>
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<p><span>आंख से आंसू बहाना छोड़िये > शुतुर गुर्बा है. 'छोड़िये' की जगह 'छोड़ कर' रखा जा सकता है. </span><br/><span>हर मुसीबत को भगाना सीख लो</span></p>
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<p><span>छोड़ दें अब गिड़गिड़ाना आप भी > शुतुर गुर्बा है. "छोड़ कर अब गिड़गिड़ाने की अदा" किया जा सकता है.<br/>कुछ तो कद अपना बढ़ाना सीख लो</span></p>
<p></p> आ. भाई दयाराम जी, अच्छी गजल ह…tag:openbooksonline.com,2019-07-06:5170231:Comment:9870652019-07-06T04:11:55.766Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई दयाराम जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. भाई दयाराम जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई।</p> बहुत बहुत आभार आदरणीय गिरिराज…tag:openbooksonline.com,2019-07-05:5170231:Comment:9871302019-07-05T15:57:57.672ZDayaram Methanihttp://openbooksonline.com/profile/DayaramMethani
<p>बहुत बहुत आभार आदरणीय गिरिराज भंडारी जी।</p>
<p>बहुत बहुत आभार आदरणीय गिरिराज भंडारी जी।</p> अच्छी ग़ज़ल कही आदरणीय .. बधाई !tag:openbooksonline.com,2019-07-05:5170231:Comment:9868702019-07-05T06:07:33.420Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooksonline.com/profile/girirajbhandari
<p>अच्छी ग़ज़ल कही आदरणीय .. बधाई !</p>
<p>अच्छी ग़ज़ल कही आदरणीय .. बधाई !</p>