Comments - ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-29T15:42:20Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A987232&xn_auth=noगज़ल का सबसे जानदार शेर
नौकरी…tag:openbooksonline.com,2019-07-19:5170231:Comment:9876512019-07-19T08:14:29.062Zप्रदीप देवीशरण भट्टhttp://openbooksonline.com/profile/PradeepDevisharanBhatt
<p>गज़ल का सबसे जानदार शेर</p>
<p><span>नौकरी मत ढूढ़ तू इस मुल्क में ।</span><br/><span>अब तेरे हिस्से की थाली जाएगी ।।</span></p>
<p>गज़ल का सबसे जानदार शेर</p>
<p><span>नौकरी मत ढूढ़ तू इस मुल्क में ।</span><br/><span>अब तेरे हिस्से की थाली जाएगी ।।</span></p> आ0 कबीर साहब वेहतरीन इस्लाह ह…tag:openbooksonline.com,2019-07-16:5170231:Comment:9875632019-07-16T12:13:56.789ZNaveen Mani Tripathihttp://openbooksonline.com/profile/NaveenManiTripathi
<p>आ0 कबीर साहब वेहतरीन इस्लाह हेतु हार्दिक आभार और नमन।</p>
<p>आ0 कबीर साहब वेहतरीन इस्लाह हेतु हार्दिक आभार और नमन।</p> हार्दिक बधाई आदरणीय नवीन मणि…tag:openbooksonline.com,2019-07-16:5170231:Comment:9877312019-07-16T01:55:59.214ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय नवीन मणि जी।बेहतरीन गज़ल।</p>
<p><span>यह छलकती आंखों से मय देखिए ।</span><br/><span>कौन से प्याले में डाली जाएगी ।।</span></p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय नवीन मणि जी।बेहतरीन गज़ल।</p>
<p><span>यह छलकती आंखों से मय देखिए ।</span><br/><span>कौन से प्याले में डाली जाएगी ।।</span></p> जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदा…tag:openbooksonline.com,2019-07-14:5170231:Comment:9877212019-07-14T05:47:22.111ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'नौकरी मत ढूढ़ तू इस मुल्क में ।</span><br></br><span>अब तेरे हिस्से की थाली जाएगी'</span></p>
<p><span>इस शैर का भाव स्पष्ट नहीं है,देखियेगा ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'चाहतें अब क्या सताएंगी उसे'</span></p>
<p><span>इस मिसरे को यूँ कर लें,गेयता बढ़ जाएगी:-</span></p>
<p><span>'ज़िन्दगी कैसे सताएगी भला'</span></p>
<p></p>
<p><span>'ऐ खुदा इक दिन तेरे दर पर तो ये'</span></p>
<p><span>इस…</span></p>
<p>जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'नौकरी मत ढूढ़ तू इस मुल्क में ।</span><br/><span>अब तेरे हिस्से की थाली जाएगी'</span></p>
<p><span>इस शैर का भाव स्पष्ट नहीं है,देखियेगा ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'चाहतें अब क्या सताएंगी उसे'</span></p>
<p><span>इस मिसरे को यूँ कर लें,गेयता बढ़ जाएगी:-</span></p>
<p><span>'ज़िन्दगी कैसे सताएगी भला'</span></p>
<p></p>
<p><span>'ऐ खुदा इक दिन तेरे दर पर तो ये'</span></p>
<p><span>इस मिसरे को यूँ कर लें,गेयता बढ़ जाएगी:-</span></p>
<p><span>'ऐ ख़ुदा, इक दिन तेरे दरबार में'</span></p>
<p></p>
<p><span>'इश्क़ पर कुछ तो भरोसा है मुझे'</span></p>
<p><span>इस मिसरे को यूँ कर लें,गेयता बढ़ जाएगी:-</span></p>
<p><span>'इश्क़ पर अपने भरोसा है मुझे'</span></p>
<p></p>
<p><span>'यह छलकती आंखों से मय देखिए'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'से' की जगह 'की' शब्द उचित होगा,ग़ौर करें ।</span></p>