Comments - दो ग़ज़लें (2122-1212-22) - Open Books Online2024-03-29T13:18:18Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A987723&xn_auth=noआ. भाई गुरप्रीत सिह जी, सादर…tag:openbooksonline.com,2021-01-05:5170231:Comment:10411732021-01-05T13:01:38.359Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई गुरप्रीत सिह जी, सादर अभिवादन । दोनों गजलें अच्छी हुई हैं । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई गुरप्रीत सिह जी, सादर अभिवादन । दोनों गजलें अच्छी हुई हैं । हार्दिक बधाई ।</p> 'उससे ज्यूँ ही नज़र मिली यारो'…tag:openbooksonline.com,2019-07-23:5170231:Comment:9886632019-07-23T13:20:18.239ZGurpreet Singh jammuhttp://openbooksonline.com/profile/GurpreetSingh624
<p>'उससे ज्यूँ ही नज़र मिली यारो'</p>
<p> वाह सर जी । बहुत बहुत धन्यवाद </p>
<p>'उससे ज्यूँ ही नज़र मिली यारो'</p>
<p> वाह सर जी । बहुत बहुत धन्यवाद </p> //उस से इक पल निगाह टकराई //…tag:openbooksonline.com,2019-07-23:5170231:Comment:9887572019-07-23T09:54:17.585ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p></p>
<p>//उस से इक पल निगाह टकराई //</p>
<p>इस मिसरे को यूँ कर सकते हैं:-</p>
<p>'उससे ज्यूँ ही नज़र मिली यारो'</p>
<p></p>
<p></p>
<p>//उस से इक पल निगाह टकराई //</p>
<p>इस मिसरे को यूँ कर सकते हैं:-</p>
<p>'उससे ज्यूँ ही नज़र मिली यारो'</p>
<p></p> बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय अजय…tag:openbooksonline.com,2019-07-23:5170231:Comment:9885772019-07-23T07:24:11.572ZGurpreet Singh jammuhttp://openbooksonline.com/profile/GurpreetSingh624
<p>बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय अजय तिवारी जी </p>
<p>बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय अजय तिवारी जी </p> आदाब समर सर जी । ग़ज़ल की सरहना…tag:openbooksonline.com,2019-07-23:5170231:Comment:9887552019-07-23T07:23:31.916ZGurpreet Singh jammuhttp://openbooksonline.com/profile/GurpreetSingh624
<p>आदाब समर सर जी । ग़ज़ल की सरहना के शुक्रिया । ये मिसरा ऐसे ठीक रहेगा क्या </p>
<p> ' उस से इक पल निगाह टकराई ' </p>
<p></p>
<p> जी बहुत दिनों बाद obo पर आ पाया । क्या बताएं सर जी </p>
<p> दुनियादारी ने ऐसे उलझाया है । </p>
<p> ख़ुद के लिए भी वक़्त नहीं मिल पाया है । </p>
<p></p>
<p>आदाब समर सर जी । ग़ज़ल की सरहना के शुक्रिया । ये मिसरा ऐसे ठीक रहेगा क्या </p>
<p> ' उस से इक पल निगाह टकराई ' </p>
<p></p>
<p> जी बहुत दिनों बाद obo पर आ पाया । क्या बताएं सर जी </p>
<p> दुनियादारी ने ऐसे उलझाया है । </p>
<p> ख़ुद के लिए भी वक़्त नहीं मिल पाया है । </p>
<p></p> आदरणीय गुरप्रीत जी, ख़ूबसूरत अ…tag:openbooksonline.com,2019-07-20:5170231:Comment:9876692019-07-20T04:37:28.817ZAjay Tiwarihttp://openbooksonline.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीय गुरप्रीत जी, ख़ूबसूरत अशाआर हुए हैं. हार्दिक बधाई. </p>
<p>आदरणीय गुरप्रीत जी, ख़ूबसूरत अशाआर हुए हैं. हार्दिक बधाई. </p> जनाब गुरप्रीत सिंह जी आदाब,बह…tag:openbooksonline.com,2019-07-19:5170231:Comment:9884282019-07-19T05:48:03.445ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब गुरप्रीत सिंह जी आदाब,बहुत दिनों बाद आपकी ग़ज़लें ओबीओ पर पढ़ने का मौक़ा मिला,कहाँ रहे भाई?</p>
<p>दोनों ग़ज़लें अच्छी हुई हैं,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।</p>
<p></p>
<p><span>'उस से इक पल नज़र मिली शायद,'</span></p>
<p><span>इस मिसरे से "शायद" शब्द निकालें । </span></p>
<p>जनाब गुरप्रीत सिंह जी आदाब,बहुत दिनों बाद आपकी ग़ज़लें ओबीओ पर पढ़ने का मौक़ा मिला,कहाँ रहे भाई?</p>
<p>दोनों ग़ज़लें अच्छी हुई हैं,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।</p>
<p></p>
<p><span>'उस से इक पल नज़र मिली शायद,'</span></p>
<p><span>इस मिसरे से "शायद" शब्द निकालें । </span></p>