Comments - सुख उसका दुख उसका है - सलीम 'रज़ा' रीवा - Open Books Online2024-03-28T18:54:43Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A993703&xn_auth=noआदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज' जी…tag:openbooksonline.com,2019-10-15:5170231:Comment:9944342019-10-15T02:45:14.362ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
<p><span>आदरणीय <a href="http://openbooksonline.com/profile/brijeshkumar" class="fn url">बृजेश कुमार 'ब्रज'</a> जी आपकी मोहब्बतों के लिए बेहद शुक्रिया।</span></p>
<p><span>आदरणीय <a href="http://openbooksonline.com/profile/brijeshkumar" class="fn url">बृजेश कुमार 'ब्रज'</a> जी आपकी मोहब्बतों के लिए बेहद शुक्रिया।</span></p> मोहतरम समर साहब, आपकी मुहब्बत…tag:openbooksonline.com,2019-10-14:5170231:Comment:9942062019-10-14T16:28:53.853ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
<p>मोहतरम समर साहब, आपकी मुहब्बत के लिए शुक्रिया,</p>
<p>अगर सिर्फ़ उसकी हो तो 22 है मगर ज़रूरत के मुताबिक़,</p>
<p>अगर आगे का लफ्ज़ सिंगल है तो और अरकान की ज़रूरत है तो</p>
<p>अख़िरी लफ्ज़ के मात्रा को गिरा सकते हैं</p>
<p>उसी का फ़ायदा लिया गया है,</p>
<p>2 1 1 22</p>
<p>उस कि हु कू मत </p>
<p></p>
<p>मोहतरम समर साहब, आपकी मुहब्बत के लिए शुक्रिया,</p>
<p>अगर सिर्फ़ उसकी हो तो 22 है मगर ज़रूरत के मुताबिक़,</p>
<p>अगर आगे का लफ्ज़ सिंगल है तो और अरकान की ज़रूरत है तो</p>
<p>अख़िरी लफ्ज़ के मात्रा को गिरा सकते हैं</p>
<p>उसी का फ़ायदा लिया गया है,</p>
<p>2 1 1 22</p>
<p>उस कि हु कू मत </p>
<p></p> //उसकी हु/ कूमत है हर सू वो ज…tag:openbooksonline.com,2019-10-14:5170231:Comment:9942012019-10-14T06:20:52.379ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>//उसकी हु/ कूमत है हर सू वो जो चाहे सो होना है'</p>
<p>2 11/ 22 //</p>
<p>'उसकी' शब्द अपने आप में 22 है तो मात्रा पतन करके आप उसे 21 क्यों करना चाहते हैं?</p>
<p>//उसकी हु/ कूमत है हर सू वो जो चाहे सो होना है'</p>
<p>2 11/ 22 //</p>
<p>'उसकी' शब्द अपने आप में 22 है तो मात्रा पतन करके आप उसे 21 क्यों करना चाहते हैं?</p> मोहतरम कबीर साहब आपकी मोहब्बत…tag:openbooksonline.com,2019-10-12:5170231:Comment:9940782019-10-12T06:42:25.514ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
<p><span style="font-size: 10pt;">मोहतरम कबीर साहब आपकी मोहब्बत के लिए बहुत बहुत शुक्रिया,, अल्लाह आपको सलामत रखे </span></p>
<p><span style="font-size: 10pt;">उसकी हु/ कूमत है हर सू वो जो चाहे सो होना है'</span></p>
<p>2 11/ 22 </p>
<p></p>
<p>बदलाव कर दिया जाएगा </p>
<p></p>
<p><span style="font-size: 10pt;">'काम बुरे और बद आमाली दोज़ख़ में ले जाएँगे, टाइपिंग मे आगे पीछे हो गया बहुत शुक्रिया.. इशारा के लिए </span></p>
<p><span style="font-size: 10pt;">मोहतरम कबीर साहब आपकी मोहब्बत के लिए बहुत बहुत शुक्रिया,, अल्लाह आपको सलामत रखे </span></p>
<p><span style="font-size: 10pt;">उसकी हु/ कूमत है हर सू वो जो चाहे सो होना है'</span></p>
<p>2 11/ 22 </p>
<p></p>
<p>बदलाव कर दिया जाएगा </p>
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<p><span style="font-size: 10pt;">'काम बुरे और बद आमाली दोज़ख़ में ले जाएँगे, टाइपिंग मे आगे पीछे हो गया बहुत शुक्रिया.. इशारा के लिए </span></p> बढ़िया ग़ज़ल कही है सलीम साहब..ब…tag:openbooksonline.com,2019-10-12:5170231:Comment:9943342019-10-12T04:30:31.375Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>बढ़िया ग़ज़ल कही है सलीम साहब..बधाई</p>
<p>बढ़िया ग़ज़ल कही है सलीम साहब..बधाई</p> जनाब सलीम रज़ा साहिब आदाब,ग़ज़ल…tag:openbooksonline.com,2019-10-11:5170231:Comment:9942392019-10-11T13:28:22.182ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब सलीम रज़ा साहिब आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>"उसकी हुकूमत है हर सू वो जो चाहे सो होना है'</span></p>
<p><span>इस मिसरे की बह्र चेक करें,'हुकूमत' शब्द 122 है ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'बुरे काम और बद-आमाली दोज़ख में ले जाएँगे'</span></p>
<p><span>इस मिसरे की शुरुआत 1 से नहीं होती,इसे यूँ कर सकते हैं:-</span></p>
<p>'काम बुरे और बद आमाली दोज़ख़ में ले जाएँगे'</p>
<p>जनाब सलीम रज़ा साहिब आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>"उसकी हुकूमत है हर सू वो जो चाहे सो होना है'</span></p>
<p><span>इस मिसरे की बह्र चेक करें,'हुकूमत' शब्द 122 है ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'बुरे काम और बद-आमाली दोज़ख में ले जाएँगे'</span></p>
<p><span>इस मिसरे की शुरुआत 1 से नहीं होती,इसे यूँ कर सकते हैं:-</span></p>
<p>'काम बुरे और बद आमाली दोज़ख़ में ले जाएँगे'</p> आदरणीय प्रदीप देवीशरण भट्ट जी…tag:openbooksonline.com,2019-10-10:5170231:Comment:9942192019-10-10T01:42:01.786ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
<p>आदरणीय प्रदीप देवीशरण भट्ट जी आपकी मोहब्बतों के लिए बेहद शुक्रिया।</p>
<p>आदरणीय प्रदीप देवीशरण भट्ट जी आपकी मोहब्बतों के लिए बेहद शुक्रिया।</p> आदरणीय तेजवीर सिंह जी आपकी मो…tag:openbooksonline.com,2019-10-10:5170231:Comment:9938052019-10-10T01:41:32.545ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
<p>आदरणीय तेजवीर सिंह जी आपकी मोहब्बतों के लिए बेहद शुक्रिया।</p>
<p>आदरणीय तेजवीर सिंह जी आपकी मोहब्बतों के लिए बेहद शुक्रिया।</p> बेहतरीन रज़ा जीtag:openbooksonline.com,2019-10-07:5170231:Comment:9941112019-10-07T11:56:12.514Zप्रदीप देवीशरण भट्टhttp://openbooksonline.com/profile/PradeepDevisharanBhatt
<p>बेहतरीन रज़ा जी</p>
<p>बेहतरीन रज़ा जी</p> हार्दिक बधाई आदरणीय सलीम "रज़ा…tag:openbooksonline.com,2019-10-07:5170231:Comment:9939832019-10-07T06:19:05.894ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय सलीम "रज़ा" रीवा साहब जी। बेहतरीन गज़ल।</p>
<p><span>इक रस्ता जो बंद किया तो दस रस्ते वो खोलेगा </span><br/><span>उसपे भरोसा रख तू प्यारे जो लिक्खा वो होना है //</span><br/><br/><span>गॉड ख़ुदा भगवान कहो या ईश्वर अल्लाह उसे कहो</span><br/><span>वो ख़ालिक है वो मालिक है उसका कोना</span><strong>-</strong><span>कोना है //</span></p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय सलीम "रज़ा" रीवा साहब जी। बेहतरीन गज़ल।</p>
<p><span>इक रस्ता जो बंद किया तो दस रस्ते वो खोलेगा </span><br/><span>उसपे भरोसा रख तू प्यारे जो लिक्खा वो होना है //</span><br/><br/><span>गॉड ख़ुदा भगवान कहो या ईश्वर अल्लाह उसे कहो</span><br/><span>वो ख़ालिक है वो मालिक है उसका कोना</span><strong>-</strong><span>कोना है //</span></p>