Comments - ज़िन्दगी का वह हिस्सा - Open Books Online2024-03-28T09:27:47Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A994218&xn_auth=noसराहना के लिए हार्दिक आभार, आ…tag:openbooksonline.com,2019-10-25:5170231:Comment:9951232019-10-25T05:27:19.375Zvijay nikorehttp://openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p><span>सराहना के लिए हार्दिक आभार, आदरणीय मित्र विमल शर्मा ’विमल’ जी।</span></p>
<p><span>सराहना के लिए हार्दिक आभार, आदरणीय मित्र विमल शर्मा ’विमल’ जी।</span></p> वाह...अद्भुत बधाई आदरणीयtag:openbooksonline.com,2019-10-16:5170231:Comment:9943942019-10-16T08:06:24.996Zविमल शर्मा 'विमल'http://openbooksonline.com/profile/07o4z2ua0u403
वाह...अद्भुत बधाई आदरणीय
वाह...अद्भुत बधाई आदरणीय आदरणीय भाई समर कबीर जी, इस आत…tag:openbooksonline.com,2019-10-14:5170231:Comment:9941982019-10-14T03:28:11.879Zvijay nikorehttp://openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p>आदरणीय भाई समर कबीर जी, इस आत्मीय सराहना के लिए और सुझाव के लिए भी हार्दिक आभार। मैं अभी सुधार करता हूँ।</p>
<p></p>
<p>आदरणीय भाई समर कबीर जी, इस आत्मीय सराहना के लिए और सुझाव के लिए भी हार्दिक आभार। मैं अभी सुधार करता हूँ।</p>
<p></p> इतनी अच्छी सराहना के लिए हार्…tag:openbooksonline.com,2019-10-14:5170231:Comment:9944142019-10-14T03:25:44.144Zvijay nikorehttp://openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p>इतनी अच्छी सराहना के लिए हार्दिक आभार, आदरणीय मित्र तेज वीर सिंह जी।</p>
<p>इतनी अच्छी सराहना के लिए हार्दिक आभार, आदरणीय मित्र तेज वीर सिंह जी।</p> इतनी अच्छी सराहना के लिए हार्…tag:openbooksonline.com,2019-10-14:5170231:Comment:9944122019-10-14T03:24:18.432Zvijay nikorehttp://openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p>इतनी अच्छी सराहना के लिए हार्दिक आभार, आदरणीय मित्र सुशील जी।</p>
<p>इतनी अच्छी सराहना के लिए हार्दिक आभार, आदरणीय मित्र सुशील जी।</p> प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब,…tag:openbooksonline.com,2019-10-11:5170231:Comment:9943272019-10-11T13:54:03.801ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब, बहुत उम्द: और प्रभावशाली रचना हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'अनपेक्षित तजुर्बों को लीलती हुई'</span></p>
<p><span>इस पंक्ति में 'तजुर्बों' शब्द ग़लत </span></p>
<p><span>है,सहीह शब्द है "तज्रिबों" देखियेगा ।</span></p>
<p>प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब, बहुत उम्द: और प्रभावशाली रचना हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p><span>'अनपेक्षित तजुर्बों को लीलती हुई'</span></p>
<p><span>इस पंक्ति में 'तजुर्बों' शब्द ग़लत </span></p>
<p><span>है,सहीह शब्द है "तज्रिबों" देखियेगा ।</span></p> हार्दिक बधाई आदरणीय विजय निको…tag:openbooksonline.com,2019-10-11:5170231:Comment:9940462019-10-11T05:41:46.358ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय विजय निकोरे जी। बेहतरीन प्रस्तुति।</p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय विजय निकोरे जी। बेहतरीन प्रस्तुति।</p> और लगता है, अन्यमनस्क
तुम भी…tag:openbooksonline.com,2019-10-10:5170231:Comment:9942212019-10-10T11:36:11.484ZSushil Sarnahttp://openbooksonline.com/profile/SushilSarna
<p>और लगता है, अन्यमनस्क</p>
<p>तुम भी बेसब्री से दूरियाँ पार कर कहीं</p>
<p>ज़िन्दगी के हिस्से का वह सदमा सहलाती</p>
<p>रात देर तक उसे समझने की कोशिश करती</p>
<p>गहरे दर्द की गाँठ खोल रही हो..... वाह आदरणीय विजय निकोर जी अतीत के खूबसूरत लम्हों की परतें खोलती .... अंतर्मन के अहसासों की अभिव्यक्ति को शब्द दर शब्द अभिव्यक्त करती इस अप्रतिम रचना के लिए दिल से बधाई।</p>
<p>और लगता है, अन्यमनस्क</p>
<p>तुम भी बेसब्री से दूरियाँ पार कर कहीं</p>
<p>ज़िन्दगी के हिस्से का वह सदमा सहलाती</p>
<p>रात देर तक उसे समझने की कोशिश करती</p>
<p>गहरे दर्द की गाँठ खोल रही हो..... वाह आदरणीय विजय निकोर जी अतीत के खूबसूरत लम्हों की परतें खोलती .... अंतर्मन के अहसासों की अभिव्यक्ति को शब्द दर शब्द अभिव्यक्त करती इस अप्रतिम रचना के लिए दिल से बधाई।</p>