Comments - नकेलें ग़म के मैं नथुनों में डालूँ (६६) - Open Books Online2024-03-29T07:35:25Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A994261&xn_auth=no // मेहमान को वजन में अधिकतर…tag:openbooksonline.com,2019-10-14:5170231:Comment:9942022019-10-14T06:32:50.842ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p> // मेहमान को वजन में अधिकतर सुख़नवरोँ के कलाम में २२१ ही देखा है २१२१ नहीं | इतना ही नहीं जिस भी लफ्ज़ में दूसरा अक्षर "ह" होता है उसमें उससे पहले के अक्षर की एक मात्रा गिरती हुई देखी है | जैसे मेहरबानी =१२२२ ,मोहलत =२२ , मेहनत =२२ , ज़ेहन =२१ , शोहरत =२२ , आदि | //</p>
<p>भाई 'ह' के पहले वाले अक्षर की मात्रा गिराने की ज़रूरत ही क्या है,आपने इस तरह के जितने शब्द उदाहरण में लिखे हैं,उनका सहीह उच्चारण…</p>
<p> // मेहमान को वजन में अधिकतर सुख़नवरोँ के कलाम में २२१ ही देखा है २१२१ नहीं | इतना ही नहीं जिस भी लफ्ज़ में दूसरा अक्षर "ह" होता है उसमें उससे पहले के अक्षर की एक मात्रा गिरती हुई देखी है | जैसे मेहरबानी =१२२२ ,मोहलत =२२ , मेहनत =२२ , ज़ेहन =२१ , शोहरत =२२ , आदि | //</p>
<p>भाई 'ह' के पहले वाले अक्षर की मात्रा गिराने की ज़रूरत ही क्या है,आपने इस तरह के जितने शब्द उदाहरण में लिखे हैं,उनका सहीह उच्चारण देखिये:-</p>
<p>'मेहमान'--"महमान"</p>
<p>'मेहनत'--"मिहनत"</p>
<p>''ज़ेहन'--"ज़ह्न"</p>
<p>'शोहरत'--"शुहरत" </p>
<p></p>
<p></p> आदरणीय Samar kabeer साहेब ,आद…tag:openbooksonline.com,2019-10-13:5170231:Comment:9940982019-10-13T13:24:18.620Zगिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत 'http://openbooksonline.com/profile/GIRDHARISINGHGAHLO
<p>आदरणीय <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer" class="fn url">Samar kabeer</a> साहेब ,आदाब , आपकी पृरखलुस हौसला आफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया | मेहमान को वजन में अधिकतर सुख़नवरोँ के कलाम में २२१ ही देखा है २१२१ नहीं | इतना ही नहीं जिस भी लफ्ज़ में दूसरा अक्षर "ह" होता है उसमें उससे पहले के अक्षर की एक मात्रा गिरती हुई देखी है | जैसे मेहरबानी =१२२२ ,मोहलत =२२ , मेहनत =२२ , ज़ेहन =२१ , शोहरत =२२ , आदि | कृपया इस बारे में कोई जानकारी है तो प्रदान करें | </p>
<p>आदरणीय <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer" class="fn url">Samar kabeer</a> साहेब ,आदाब , आपकी पृरखलुस हौसला आफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया | मेहमान को वजन में अधिकतर सुख़नवरोँ के कलाम में २२१ ही देखा है २१२१ नहीं | इतना ही नहीं जिस भी लफ्ज़ में दूसरा अक्षर "ह" होता है उसमें उससे पहले के अक्षर की एक मात्रा गिरती हुई देखी है | जैसे मेहरबानी =१२२२ ,मोहलत =२२ , मेहनत =२२ , ज़ेहन =२१ , शोहरत =२२ , आदि | कृपया इस बारे में कोई जानकारी है तो प्रदान करें | </p> आदरणीय Shyam Narain Verma जी…tag:openbooksonline.com,2019-10-13:5170231:Comment:9941872019-10-13T13:17:32.409Zगिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत 'http://openbooksonline.com/profile/GIRDHARISINGHGAHLO
<p>आदरणीय <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/ShyamNarainVerma" class="fn url">Shyam Narain Verma</a> जी , रचना की सराहना के लिए सादर आभार </p>
<p>आदरणीय <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/ShyamNarainVerma" class="fn url">Shyam Narain Verma</a> जी , रचना की सराहना के लिए सादर आभार </p> जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरं…tag:openbooksonline.com,2019-10-13:5170231:Comment:9943562019-10-13T09:26:54.916ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'मुसीबत आ गई मेहमान बनकर'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'मेहमान' को "महमान" कर लें,क्योंकि 'मेहमान' का वज़्न 2121 है ।</span></p>
<p>जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'मुसीबत आ गई मेहमान बनकर'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'मेहमान' को "महमान" कर लें,क्योंकि 'मेहमान' का वज़्न 2121 है ।</span></p> प्रणाम आदरणीय, बहुत ही उम्दा…tag:openbooksonline.com,2019-10-12:5170231:Comment:9943452019-10-12T11:53:22.668ZShyam Narain Vermahttp://openbooksonline.com/profile/ShyamNarainVerma
प्रणाम आदरणीय, बहुत ही उम्दा प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर
प्रणाम आदरणीय, बहुत ही उम्दा प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर