Comments - ग़ज़ल: वक़्त की शतरंज पर किस्मत का एक मोहरा हूँ मैं। - Open Books Online2024-03-28T16:02:51Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A994438&xn_auth=noबहुत बहुत शुक्रिया, आदरणीय ना…tag:openbooksonline.com,2023-09-19:5170231:Comment:11095092023-09-19T10:59:33.201ZBalram Dhakarhttp://openbooksonline.com/profile/BalramDhakar
<p>बहुत बहुत शुक्रिया, आदरणीय नासवा जी.</p>
<p>सादर.</p>
<p>बहुत बहुत शुक्रिया, आदरणीय नासवा जी.</p>
<p>सादर.</p> वाह ... धाकड़ है आपकी ग़ज़ल धाकड़…tag:openbooksonline.com,2019-11-21:5170231:Comment:9965432019-11-21T04:24:14.066Zदिगंबर नासवाhttp://openbooksonline.com/profile/DigamberNaswa
<p>वाह ... धाकड़ है आपकी ग़ज़ल धाकड़ जी ...</p>
<p>हर शेर जैसे धड़कता हुआ दिल ... जिंदाबाद ... जिंदाबाद ...</p>
<p>वाह ... धाकड़ है आपकी ग़ज़ल धाकड़ जी ...</p>
<p>हर शेर जैसे धड़कता हुआ दिल ... जिंदाबाद ... जिंदाबाद ...</p> आदरणीय दंडपाणि जी,
आपको ग़ज़…tag:openbooksonline.com,2019-10-19:5170231:Comment:9947272019-10-19T19:10:43.995ZBalram Dhakarhttp://openbooksonline.com/profile/BalramDhakar
<p>आदरणीय दंडपाणि जी, </p>
<p>आपको ग़ज़ल पसंद आई, मेरा लिखना सार्थक हुआ। </p>
<p>बहुत बहुत शुक्रिया। </p>
<p>सादर। </p>
<p>आदरणीय दंडपाणि जी, </p>
<p>आपको ग़ज़ल पसंद आई, मेरा लिखना सार्थक हुआ। </p>
<p>बहुत बहुत शुक्रिया। </p>
<p>सादर। </p> आदरणीय प्रशांत भाई,
बहुत बहु…tag:openbooksonline.com,2019-10-19:5170231:Comment:9944622019-10-19T18:51:16.970ZBalram Dhakarhttp://openbooksonline.com/profile/BalramDhakar
<p>आदरणीय प्रशांत भाई, </p>
<p>बहुत बहुत धन्यवाद। </p>
<p>सादर। </p>
<p>आदरणीय प्रशांत भाई, </p>
<p>बहुत बहुत धन्यवाद। </p>
<p>सादर। </p> Bahut sundar sirtag:openbooksonline.com,2019-10-18:5170231:Comment:9946192019-10-18T02:14:41.693Zप्रशांत दीक्षित 'प्रशांत'http://openbooksonline.com/profile/PrashantDixit
<p>Bahut sundar sir</p>
<p>Bahut sundar sir</p> आदरणीय समर सर, सादर अभिवादन। …tag:openbooksonline.com,2019-10-17:5170231:Comment:9947072019-10-17T16:51:25.528ZBalram Dhakarhttp://openbooksonline.com/profile/BalramDhakar
<p>आदरणीय समर सर, सादर अभिवादन। </p>
<p>ग़ज़ल पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा थी। </p>
<p>टंकण त्रुटियाँ सुधार कर ली जाएंगीं। </p>
<p>जिस शेर के उला और सानी में रब्त नहीं है उसपर और कोशिश करता हूँ। </p>
<p>आपकी हौसला अफ़ज़ाई ग़ज़ल का उचित पारितोषिक है। और बेहतर की दिशा में अग्रसर करती है। </p>
<p>सादर। </p>
<p>आदरणीय समर सर, सादर अभिवादन। </p>
<p>ग़ज़ल पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा थी। </p>
<p>टंकण त्रुटियाँ सुधार कर ली जाएंगीं। </p>
<p>जिस शेर के उला और सानी में रब्त नहीं है उसपर और कोशिश करता हूँ। </p>
<p>आपकी हौसला अफ़ज़ाई ग़ज़ल का उचित पारितोषिक है। और बेहतर की दिशा में अग्रसर करती है। </p>
<p>सादर। </p> जनाब बलराम धाकड़ जी आदाब,बहुत…tag:openbooksonline.com,2019-10-17:5170231:Comment:9944042019-10-17T06:40:37.095ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब बलराम धाकड़ जी आदाब,बहुत उम्द: ग़ज़ल हुई है, दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।</p>
<p></p>
<p><span>'वक़्त की शतरंज पर किस्मत का एक मोहरा हूँ मैं'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'एक' को "इक" और 'मोहरा' को "मुहरा" कर लें ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'मेरी हर एक बात के मतलब हैं सौ, मक़सद हज़ार'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'एक' को "इक'' कर लें ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'झूठ भी सच की मीनारों से कहा करता हूँ मैं'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'मीनारों' को "मिनारों" कर लें…</span></p>
<p>जनाब बलराम धाकड़ जी आदाब,बहुत उम्द: ग़ज़ल हुई है, दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।</p>
<p></p>
<p><span>'वक़्त की शतरंज पर किस्मत का एक मोहरा हूँ मैं'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'एक' को "इक" और 'मोहरा' को "मुहरा" कर लें ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'मेरी हर एक बात के मतलब हैं सौ, मक़सद हज़ार'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'एक' को "इक'' कर लें ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'झूठ भी सच की मीनारों से कहा करता हूँ मैं'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'मीनारों' को "मिनारों" कर लें । </span></p>
<p></p>
<div dir="auto">'ऐ मेरे मालिक! ये तेरा अक्स मैला हो गया, </div>
<div dir="auto">अब भी लगता है तुझे तेरा नुमाइंदा हूँ मैं'</div>
<div dir="auto">इस शैर के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है,देखियेगा ।</div>
<div dir="auto"></div>
<div dir="auto"><span>'शायरों की भीड़ में अब तक पसंदीदा हूँ मैं'</span></div>
<div dir="auto"><span>इस मिसरे में 'शायरों' कोई शब्द नहीं है,इसे "शाइरों" लिखा करें ।</span></div>
<div dir="auto"><span>'बस उसी बहते हुए दरिया का एक क़तरा हूँ मैं'</span></div>
<div dir="auto"><span>इस मिसरे में 'एक' को "इक" कर लें ।</span></div>
<div dir="auto"></div> हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्…tag:openbooksonline.com,2019-10-17:5170231:Comment:9946162019-10-17T06:37:26.528ZBalram Dhakarhttp://openbooksonline.com/profile/BalramDhakar
<p>हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया, आदरणीय लक्ष्मण जी। </p>
<p>सादर। </p>
<p>हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया, आदरणीय लक्ष्मण जी। </p>
<p>सादर। </p> आ. भाई बलराम जी, सुंदर गजल हु…tag:openbooksonline.com,2019-10-17:5170231:Comment:9946122019-10-17T04:23:21.012Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई बलराम जी, सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई बलराम जी, सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>