Comments - प्रश्न , एक छोटी सी बहुत बड़ी कविता — डॉo विजय शंकर - Open Books Online2024-03-29T04:42:18Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A994565&xn_auth=noआदरणीय विजय निकोर जी , नमस्का…tag:openbooksonline.com,2019-11-09:5170231:Comment:9958702019-11-09T11:46:26.165ZDr. Vijai Shankerhttp://openbooksonline.com/profile/DrVijaiShanker
<p>आदरणीय विजय निकोर जी , नमस्कार , आपने रचना को मान दिया , ह्रदय से आभार। आप स्वस्थ रहें , प्रसन्न रहें और ओ बी ओ पर आते रहें , सुभेच्छू , सादर।</p>
<p>आदरणीय विजय निकोर जी , नमस्कार , आपने रचना को मान दिया , ह्रदय से आभार। आप स्वस्थ रहें , प्रसन्न रहें और ओ बी ओ पर आते रहें , सुभेच्छू , सादर।</p> चंद शब्दों में इतना अच्छा, इ…tag:openbooksonline.com,2019-11-09:5170231:Comment:9957772019-11-09T01:56:26.725Zvijay nikorehttp://openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p> चंद शब्दों में इतना अच्छा, इतना कुछ कह लेना... यह आपकी खूबी है। हार्दिक बधाई, मित्र विजय शंकर जी।</p>
<p> चंद शब्दों में इतना अच्छा, इतना कुछ कह लेना... यह आपकी खूबी है। हार्दिक बधाई, मित्र विजय शंकर जी।</p> आदरणीय सुरेंद्र नाथ सिंह कुशक…tag:openbooksonline.com,2019-11-01:5170231:Comment:9952972019-11-01T15:50:59.481ZDr. Vijai Shankerhttp://openbooksonline.com/profile/DrVijaiShanker
<p>आदरणीय सुरेंद्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप जी , रचना आप तक पहुंचीं , आपको पसंद आई , सफल हुयी। आपका बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद , सादर।</p>
<p>आदरणीय सुरेंद्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप जी , रचना आप तक पहुंचीं , आपको पसंद आई , सफल हुयी। आपका बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद , सादर।</p> आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी…tag:openbooksonline.com,2019-11-01:5170231:Comment:9954052019-11-01T13:23:52.639ZDr. Vijai Shankerhttp://openbooksonline.com/profile/DrVijaiShanker
<p>आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी , आपने रचना में और उससे जुड़े संवादों में गहरी रूचि ली , निसंदेह सामान्य से अधिक समय दिया , आपका आभार ,रचना अपने उद्देश्य में सफल , सफलता के कोइ सौ पचास प्रमाण - पत्रों की आवश्यकता नहीं होती है , बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद , सादर।</p>
<p>आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी , आपने रचना में और उससे जुड़े संवादों में गहरी रूचि ली , निसंदेह सामान्य से अधिक समय दिया , आपका आभार ,रचना अपने उद्देश्य में सफल , सफलता के कोइ सौ पचास प्रमाण - पत्रों की आवश्यकता नहीं होती है , बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद , सादर।</p> आद0 विजय शंकर जी सादर अभिवादन…tag:openbooksonline.com,2019-11-01:5170231:Comment:9953932019-11-01T05:47:22.212Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 विजय शंकर जी सादर अभिवादन। इतने कम शब्दों में,, इतनी गहरी बात आप के हवाले से ही आ सकती है। बहुत बहुत बधाई आदरणीय। सादर</p>
<p>आद0 विजय शंकर जी सादर अभिवादन। इतने कम शब्दों में,, इतनी गहरी बात आप के हवाले से ही आ सकती है। बहुत बहुत बधाई आदरणीय। सादर</p> आदाब। वाह और वाह। जितना अच्छा…tag:openbooksonline.com,2019-10-31:5170231:Comment:9952682019-10-31T13:26:05.443ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p style="text-align: left;">आदाब। वाह और वाह। जितना अच्छा आपकी रचना पढ़कर लगा, उतना ही अच्छा जवाबी टिप्पणियों को पढ़कर, लाभान्वित हो कर लगा। हार्दिक बधाई और आभार जनाब डॉ. विजय शंकर साहिब।</p>
<p style="text-align: left;">आदाब। वाह और वाह। जितना अच्छा आपकी रचना पढ़कर लगा, उतना ही अच्छा जवाबी टिप्पणियों को पढ़कर, लाभान्वित हो कर लगा। हार्दिक बधाई और आभार जनाब डॉ. विजय शंकर साहिब।</p> आदरणीय सुश्री उषा साहनी जी ,…tag:openbooksonline.com,2019-10-30:5170231:Comment:9953592019-10-30T16:13:12.447ZDr. Vijai Shankerhttp://openbooksonline.com/profile/DrVijaiShanker
<p>आदरणीय सुश्री उषा साहनी जी , आपने फ्रांसिस बेकन को याद किया , मेरा भी वह बहुत प्रिय लेखक है। हाँ , मुझे आपकी टिप्पणी के साथ याद आ गया कि Brevity is soul of wit ! जो मैं कभी भूलता नहीं। हम नेता तो हैं नहीं कि बोलते चलें जाएँ और सार कुछ न निकले।विश्व में बहुत बड़ी बड़ी बातें तो कुछ शब्दों में कहीं गई हैं , प्रकृति तो कुछ भी नहीं बोलती पर हमें हमारा सारा ज्ञान इसी प्रकृति से मिलता है। हाँ , हमें महसूस करना आना चाहिए। <br/>आभार और धन्यवाद , सादर।</p>
<p>आदरणीय सुश्री उषा साहनी जी , आपने फ्रांसिस बेकन को याद किया , मेरा भी वह बहुत प्रिय लेखक है। हाँ , मुझे आपकी टिप्पणी के साथ याद आ गया कि Brevity is soul of wit ! जो मैं कभी भूलता नहीं। हम नेता तो हैं नहीं कि बोलते चलें जाएँ और सार कुछ न निकले।विश्व में बहुत बड़ी बड़ी बातें तो कुछ शब्दों में कहीं गई हैं , प्रकृति तो कुछ भी नहीं बोलती पर हमें हमारा सारा ज्ञान इसी प्रकृति से मिलता है। हाँ , हमें महसूस करना आना चाहिए। <br/>आभार और धन्यवाद , सादर।</p> आदरणीय समर कबीर साहब, नमस्कार…tag:openbooksonline.com,2019-10-30:5170231:Comment:9952522019-10-30T15:51:24.865ZDr. Vijai Shankerhttp://openbooksonline.com/profile/DrVijaiShanker
<p>आदरणीय समर कबीर साहब, नमस्कार , आपका बहुत बहुत आभार रचना कितनी भी छोटी क्यों न आपकी पैनी दृष्टि से छुप नहीं पाती , न स्वरुप से न भावार्थ से। बहुत बहुत आभार और धन्यवाद। सादर।</p>
<p>आदरणीय समर कबीर साहब, नमस्कार , आपका बहुत बहुत आभार रचना कितनी भी छोटी क्यों न आपकी पैनी दृष्टि से छुप नहीं पाती , न स्वरुप से न भावार्थ से। बहुत बहुत आभार और धन्यवाद। सादर।</p> आदरणीय डॉ वियज शंकर सर, आपने…tag:openbooksonline.com,2019-10-29:5170231:Comment:9952172019-10-29T07:07:25.727ZUshahttp://openbooksonline.com/profile/Usha
<p>आदरणीय डॉ वियज शंकर सर, आपने "फ्रांसिस बेकन" की तरह कई सारी बातों को इतने कम शब्दों में बड़ी ख़ूबसूरती से अभिव्यक्त किया है। बधाई स्वीकार करें सर। सादर।</p>
<p>आदरणीय डॉ वियज शंकर सर, आपने "फ्रांसिस बेकन" की तरह कई सारी बातों को इतने कम शब्दों में बड़ी ख़ूबसूरती से अभिव्यक्त किया है। बधाई स्वीकार करें सर। सादर।</p> जनाब डॉ. विजय शंकर जी आदाब,कम…tag:openbooksonline.com,2019-10-28:5170231:Comment:9951932019-10-28T10:21:08.330ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब डॉ. विजय शंकर जी आदाब,कमाल है साहिब,कम शब्दों में बड़ी बात कहना कोई आपसे सीखे,बहुत ख़ूब, वाह, इस शानदार प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब डॉ. विजय शंकर जी आदाब,कमाल है साहिब,कम शब्दों में बड़ी बात कहना कोई आपसे सीखे,बहुत ख़ूब, वाह, इस शानदार प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>