Comments - ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-29T12:32:44Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A996142&xn_auth=noएक अच्छा प्रयास है आपका ... म…tag:openbooksonline.com,2019-11-21:5170231:Comment:9964282019-11-21T04:19:55.411Zदिगंबर नासवाhttp://openbooksonline.com/profile/DigamberNaswa
<p>एक अच्छा प्रयास है आपका ... मेरी बहुत बधाई ...</p>
<p>एक अच्छा प्रयास है आपका ... मेरी बहुत बधाई ...</p> आ. भाई शवीन जी, गजल का अच्छा…tag:openbooksonline.com,2019-11-19:5170231:Comment:9965172019-11-19T22:59:31.526Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई शवीन जी, गजल का अच्छा प्रयास हुआ है । हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. भाई शवीन जी, गजल का अच्छा प्रयास हुआ है । हार्दिक बधाई।</p> जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदा…tag:openbooksonline.com,2019-11-16:5170231:Comment:9962602019-11-16T09:32:29.587ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब, तरही ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p>'नहीं यूँ ही दीवाने आए हरम तक ।</p>
<p>इशारा तेरा भी हुआ मुख़्तसर है'</p>
<p>भाव की दृष्टि से इस शैर के सानी मिसरे में 'भी' शब्द भर्ती का है,और क़ाफ़िया भी उचित नहीं है ।</p>
<p><span>'है मकतल सा मंजर हटा जब से चिलमन'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'चिल्मन' शब्द स्त्रीलिंग है ।</span></p>
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<p>'मुलाक़ात जाइज कहेगी ये दुनिया ।</p>
<p>तेरे ही गली से मेरा रहगुज़र है'</p>
<p>इस शैर के दोनों…</p>
<p>जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब, तरही ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p>'नहीं यूँ ही दीवाने आए हरम तक ।</p>
<p>इशारा तेरा भी हुआ मुख़्तसर है'</p>
<p>भाव की दृष्टि से इस शैर के सानी मिसरे में 'भी' शब्द भर्ती का है,और क़ाफ़िया भी उचित नहीं है ।</p>
<p><span>'है मकतल सा मंजर हटा जब से चिलमन'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'चिल्मन' शब्द स्त्रीलिंग है ।</span></p>
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<p>'मुलाक़ात जाइज कहेगी ये दुनिया ।</p>
<p>तेरे ही गली से मेरा रहगुज़र है'</p>
<p>इस शैर के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है,दूसरी बात ये कि 'रहगुज़र' शब्द स्त्रीलिंग है,देखियेगा ।</p>
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