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कहाँ रहते वो कैसे रहते

उनसे न होती अपनी बात

वैर भाव की बात नही ये, अब उनसे न कोई दुआ-सलाम।।

 

खैरियत भी वो नहीं पूछते

क्या प्रेमभाव की करूँ मैं बात

अच्छे-खासे रिश्ते उनसे, न जानें क्यूँ वो रहते नाराज।।

 

हसी-मजाक, टिटौली चलती

हमारी कौन सी लगी उन्हें बुरी बात

कल तक थे जो अपनों से बढ़कर, है आज उसने दूरी खास।।

 

आना-जाना लगा रहता था

मिलजुल कर पहले रहते साथ

सही सलामत है कि नही वें, अब मिलता नहीं है कोई समाचार।।

 

जीवन है चलता रहेगा

घबराने की न इसमे बात

सुख-दुख होते वक़्त के पहिये, आज तेरे कल उसके साथ||

 

समस्या है तो समाधान भी होगा

बात करने से क्यूँ ऐतराज

कोशिश करेंगे अपनी पूरी, पर देंगे जरूर उन्हे कोई समाधान।।

मौलिक व अप्रकाशित रचना

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Comment

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Comment by नाथ सोनांचली on March 22, 2023 at 12:02pm

आद0 फूल सिंह जी सादर अभिवादन। बढ़िया है

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 17, 2023 at 6:54am

आ. भाई फूल सिंह जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।

Comment by PHOOL SINGH on March 14, 2023 at 12:20pm

बहुत बहुत आभार आपका ...

Comment by Rachna Bhatia on March 9, 2023 at 10:28am

आदरणीय फूल सिंह जी सकरात्मकता लिए हुए अच्छी रचना हुई। बधाई स्वीकारें।

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