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ग़ज़ल - (रवि प्रकाश)

बहर-।ऽऽ ।ऽऽ ।ऽऽ ।ऽऽ
...
कभी चाँदनी छूने आया करेगी।
सितारों की ज़ीनत बुलाया करेगी॥
...
बदन की मुलायम तहों में समेटे,
नदी पत्थरों को सुलाया करेगी।
...
भटकता फिरेगा कहीं पे अँधेरा,
कहीं रोशनी गीत गाया करेगी।
...
परिंदों की परवाज़ क्या खूब होगी,
हवा जब उन्हें आज़माया करेगी।
...
नई चूड़ियों से खनकती कलाई,
सवेरे-सवेरे जगाया करेगी।
...
ज़रा सी किसी बात पे रो पड़ूँगा,
कभी ज़िंदगानी हँसाया करेगी।
...
कहूँगा उदासी भरा शेर कोई,
अगर याद तेरी सताया करेगी।
...
किसी और का नाम ले के जवानी,
'रवी' की कहानी सुनाया करेगी।
...
-मौलिक एवं अप्रकाशित।
-23.12.2013

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Comment by Ravi Prakash on December 27, 2013 at 7:19pm
आ॰ सौरभ जी, सराहना तथा उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद। आशीर्वाद बनाए रखें॥

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Comment by Saurabh Pandey on December 27, 2013 at 1:27am

नई चूड़ियों से खनकती कलाई,
सवेरे-सवेरे जगाया करेगी।..

गज़ब ग़ज़ब ग़ज़ब ! आपके इस शेर पर विशेष बधाई रवि प्रकाशजी..

Comment by Ravi Prakash on December 25, 2013 at 8:45pm
सराहना तथा उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद वंदना जी, अखिलेश जी एवं अरुण जी।
Comment by अरुन 'अनन्त' on December 25, 2013 at 1:57pm

वाह वाह भाई रवि प्रकाश जी कामयाब जिंदाबाद ग़ज़ल कही है आपने एक एक शेर अपनी छाप छोड़ रहा है ढेरों दिली दाद कुबूल फरमाएं भाई. दो शेर तकाबुले रदीफ़ के दोष में उन्हें सुधार लें.

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on December 25, 2013 at 12:16pm

क्या खूब गज़ल हुई, बधाई आ. रवि प्रकाश भाई।

Comment by vandana on December 25, 2013 at 8:00am

बदन की मुलायम तहों में समेटे,
नदी पत्थरों को सुलाया करेगी।
...
भटकता फिरेगा कहीं पे अँधेरा,
कहीं रोशनी गीत गाया करेगी।....वाह आदरणीय बहुत खूब 

Comment by Ravi Prakash on December 24, 2013 at 11:17pm
धन्यवाद जी !!!
Comment by coontee mukerji on December 24, 2013 at 10:32pm

कहूँगा उदासी भरा शेर कोई,
अगर याद तेरी सताया करेगी।...........बहुत खूब.

Comment by Ravi Prakash on December 24, 2013 at 7:20pm
आ॰ तपन दुबे जी, आपको रचना अच्छी लगी, जान कर मन को असीम आनंद प्राप्त हुआ। स्नेह बनाए रखें। पुनः धन्यवाद।
Comment by Ravi Prakash on December 24, 2013 at 7:17pm
धन्यवाद अन्नपूर्णा जी।

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