For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - क्यों शरमाने लगे थे - पूनम शुक्ला

२१२२ / २१२२ / २१२२
दूर से तो गीत वो गाने लगे थे
पास आते ही क्यों शरमाने लगे थे
मेरे दिल में बस गए थे वो उसी दिन
जब से मेरा दिल वो बहलाने लगे थे
दूर थे पर पास ही थीं उनकी यादें
हमने कहा कब आप अनजाने लगे थे
धड़कनों नें खुद ही घुल मिल बात कर ली
तेरे तरन्नुम सारे पहचाने लगे थे
हम हैं तुममें तुम हो हम में अब ये जाना
पर नजारे कब से समझाने लगे थे

मौलिक एवं अप्रकाशित

पूनम शुक्ला

Views: 474

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 14, 2014 at 1:54pm

आदरणीया पूनम जी .इस शानदार प्रयास के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 14, 2014 at 10:22am

आदरणीया पूनम जी , ग़ज़ल का बहुत सुन्दर प्रयास हुआ है , आपको बधाइयाँ ॥

Comment by Shailendra Awasthi "AAKASH" on May 12, 2014 at 5:54pm

बहुत- बहुत बधाई....

Comment by अरुन 'अनन्त' on May 12, 2014 at 2:44pm

अच्छा प्रयास है पूनम जी

Comment by Meena Pathak on May 11, 2014 at 2:21pm

बहुत सुन्दर .. बधाई 

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on May 10, 2014 at 10:37pm

sundar prastuti

Comment by MAHIMA SHREE on May 8, 2014 at 8:51pm

सुंदर प्रस्तुति हार्दिक बधाई आपको/


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 7, 2014 at 9:02pm

//हमने कहा कब आप अनजाने लगे थे

तेरे तरन्नुम सारे पहचाने लगे थे//

आदरणीया पूनम जी कोशिश अच्छी है इन तो मिसरों की फिर से तक्ती करके देखें

Comment by coontee mukerji on May 7, 2014 at 5:55pm

सुंदर रचना...हार्दिक बधाई

Comment by Shyam Narain Verma on May 7, 2014 at 3:02pm
सुन्दर भावों से सजी इस गज़ल के लिए आपको बहुत बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय जी। सादर अभिवादन स्वीकार करें। ग़ज़ल तक आने व प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार"
18 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Sanjay जी, अच्छा प्रयास रहा, बधाई आपको।"
20 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Aazi ji, अच्छी ग़ज़ल रही, बधाई।  सुझाव भी ख़ूब। ग़ज़ल में निखार आएगा। "
26 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकारें बाक़ी गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
38 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Mahendra Kumar ji, अच्छी ग़ज़ल रही। बधाई आपको।"
40 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Euphonic Amit जी, ख़ूब ग़ज़ल हुई, बधाई आपको।  "आप के तसव्वुर में एक बार खो जाए फिर क़लम…"
45 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ अच्छी ग़ज़ल की बधाई स्वीकार करें गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
50 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ अच्छी ग़ज़ल की बधाई स्वीकार करें भाई चारा का सही वज्न 2122 या 2222 है ? "
52 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें सातवाँ थोड़ा मरम्मत चाहता है"
57 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत ख़ूब। समझदार को इशारा काफ़ी। आप अच्छा लिखते हैं और जल्दी सीखते हैं। शुभकामनाएँ"
58 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service