For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- ४८

मेरा खूने-क़ल्ब कबतक यूँ ही बार-बार होगा

कभी वो घड़ी भी आए जो तुझे भी प्यार होगा

 

दिलेसरनिगूं में कब तक पशेमानियाँ रहेंगी

तेरी हाँ का मुझको कब तक यूँ ही इंतेज़ार होगा

 

मेरी आशिक़ी पे कब तक यूँ ही तुहमतें लगेंगी

तेरे हाथ इश्क़ कब तक यूँ ही दाग़दार होगा

 

करूँ भी तो मैं करूँ क्या कोई दाफ़िया नहीं है

तेरा ज़िक्र जब भी होगा दिल बेक़रार होगा

 

पसेशाम अपने घर को जो मैं जाऊं फिरसे वापिस

वही इन्दिहाम होगा वही इंतेशार होगा

 

तेरी खुशबुओं से महके तकिए पे सर रखूंगा

तेरी चूड़ियों का रेज़ा मेरा गमगुसार होगा

 

तुझे मिलके बाद बरसों लबरेज़ चश्मेदो थे

दिलेसोज़िशां में बैठा कितना गुबार होगा  

 

तेरे दिल में भी रज़ा है मेरा प्यार बावफ़ा है

मुझे कब यकीन तुझको कब ऐतबार होगा 

 

मुझे क्या ख़बर थी तेरी चाहत का रंग ये है

जो था दिल तरब का ख्वाहाँ वही सोगवार होगा

 

तेरी बेरुख़ी से बढ़कर मुझे ख़ुद पे है भरोसा

तू सता ले दिल को जितना दिल उस्तवार होगा

 

तेरा रोज़ मिलना जुलना तेरा रोना हंसना गाना

ये ज़माना बेवफ़ा है उसे नागवार होगा  

 

तेरे लब की गर्मियों से तेरी फुरक़तों में तपकर

मेरे लब से जो उठेगा वो फुगाँ शरार होगा

 

~ राज़ नवादवी

०८-०९/१०/२०१६

 

खूने-क़ल्ब- हृदय की ह्त्या; दिलेसरनिगूं- नतमस्तक हृदय: पशेमानियाँ- शर्मिन्दगी; तुहमत- आरोप: दाग़दार- धब्बेदार; दाफ़िया- इलाज: पसेशाम- संध्योपरांत; इन्दिहाम- विनाश; इंतेशार- बिखराव; रेज़ा- टुकड़ा गमगुसार- दुःख की घड़ी में पूछताछ करनेवाला; लबरेज़- किनारे तक भरा हुआ; चश्मेदो- दो आँखे; दिलेसोज़िशां- व्यथा में डूबा ह्रदय; रज़ा- स्वीकृति; ऐतबार- विश्वास; तरब- हर्ष; ख्वाहाँ- इच्छुक; सोगवार- गम में डूबा हुआ; उस्तवार- मज़बूत; नागवार- नापसंद; गर्मी-ए-लब- होंठों की उष्मा; फुरक़त- वियोग; फुगाँ- दिल की आह; शरार- चिंगारी;

 

 

Views: 581

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज़ नवादवी on October 11, 2016 at 9:08pm

आदरणीय सुरेन्द्रनाथ जी, आपका हृदय से आभार! 

Comment by नाथ सोनांचली on October 11, 2016 at 3:16pm
आदरणीय राज साहब आदाब, बहुत खुबसूरत गजल।
बधाई स्वीकार करें
Comment by राज़ नवादवी on October 11, 2016 at 11:55am

आदरणीय सुरेश जी, आपका हृदय से आभार. 

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 11, 2016 at 11:10am
आदरणीय राज साहब बहुत खूबसूरत गजल। हृदयतल से बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।"
25 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
32 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब आज़ी तमाम साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। भाई-चारा का…"
32 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
38 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी, ऐसा करना मुनासिब होगा। "
53 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें"
56 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ इस्लाह भी ख़ूब हुई आ अमित जी की"
58 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ रिचा अच्छी ग़ज़ल हुई है इस्लाह के साथ अच्छा सुधार किया आपने"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु हार्दिक बधाई आपको ।"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Sanjay Shukla जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Euphonic Amit जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Dinesh Kumar जी, अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई है। "
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service