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क्या जवाब दूँ तुम्हे मैं...ये जो सवाल है तुम्हारा...

हर रोज्र हारता हूँ...यहीं तो हाल है हमारा...

 

ये ख्वाब हीं बुरे हैं...

या फिर बुरा सा मैं हूँ...

सौ बार सोचता हुँ...

कुछ तो भला सा कह दूँ..

 

हर वक़्त एक सपना...

हाफीज्र सदा है मेरे...

कुछ पास है हमारे...

कुछ पास में है तेरे...

 

मै वक़्त का मुसाफिर...

अब वक़्त ढुँढता हूँ...

कुछ और खर्च करके...

शायद वो वक़्त पा लूँ...

 

ये दौर है गज़ब का...

आँधी सी आहटें हैं...

बेसुध से हम पडेँ हैं...

खामोश रास्ते हैं...

 

मौलिक व अप्रकाशित.

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Comment

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Comment by नाथ सोनांचली on January 18, 2017 at 4:30am
ज़नाब आदित्य लोक जी सादर अभिवादन, अच्छी रचना पर बधाई निवेदित है।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 18, 2017 at 2:00am

आदरणीय आदित्य लोक जी, आपकी प्रस्तुति का प्रवाह बहुत बढ़िया है. लय पर आपकी बहुत अच्छी पकड़ है. यही इस प्रस्तुति की विशेषता है. इस हेतु आपको हार्दिक बधाई.... किसी भी रचना में शब्द चयन, शिल्प अर्थात लय और भाव तीनों का समन्वय ही रचना को विशिष्ट बनाता है. आपने भाव पक्ष और लय को तो साध लिया है किन्तु शब्द चयन और उनके प्रयोग में व्याकरण सम्मत तार्किकता का अभाव प्रस्तुति को कमज़ोर कर रहा है. यह प्रस्तुति 'मैं' और 'तुम' के बीच के संबंधों की भावाभिव्यक्ति है. अतः उसी संबोधन के आधार पर पूरी कविता चलेगी.  अब आपकी प्रस्तुति को अगर ''जिंदगी से गुफ्तगू'' कहा जाए तो देखिये यह प्रस्तुति कैसी लगती है-

सौ सौ सवाल गर हैं तो क्या जवाब दूँ मैं 

अब रोज हारता हूँ, क्या-क्या हिसाब दूँ मैं 

ये ख्वाब ही बुरे हैं, या फिर बुरा सा मैं हूँ
सौ बार सोचता हूँ, कुछ तो भला सा कह दूँ

हर वक़्त एक सपना, दिल में बसा हुआ है 
कुछ पास लग रहा है, लेकिन छुपा हुआ है 

मै वक़्त का मुसाफिर, अब वक़्त ढूँढता हूँ
कुछ शाम खर्च कर मैं,शायद वो वक़्त पा लूँ

ये दौर है गज़ब का, आँधी सी आहटें हैं
बेसुध-सी है फिज़ा ये, खामोश रास्तें हैं

यारो कि जिंदगी से, करता हूँ रोज़ बातें

ऐसे ही दिन गुजरते, ऐसे ही कटती रातें 

Comment by Samar kabeer on January 17, 2017 at 10:00pm
जनाब आदित्य लोक जी आदाब,अच्छी कविता है, बधाई स्वीकार करें ।
पहली पंक्ति में 'मैं'और दूसरी पंक्ति में 'हमारा' ?कविता लिखने के बाद उसे पढ़ा भी करें ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 17, 2017 at 7:58pm
हाल...सवाल..मलाल..ख्याल पर बेहतरीन भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय आदित्य लोक जी। पोस्ट करने से पहले टंकण त्रुटियों को सुधारने की कोशिश की जानी चाहिए।

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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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