For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

22 22 22 22
तंज कसे फिर हाथ हिलाये।
लगता खुद पर ही पछताये।1

हाथ मिलाना,ख़ंजर लेकर,
यह चीनी लहजा कहलाये।2

बेमतलब का घुसपैठी बन
अरुणाचल पर आँख गड़ाये।3

बासठ बासठ करता रहता
सतरह में वह पीठ दिखाये।4

भारत के अंदर वह अपने
देश बने सामां बिकवाये।5

'आतंकी सब ढ़ेर करेंगे',
कह लेता,फिर फिर सहलाये।6

पाँच दिशा के दोस्त बुलाकर(ब्रिक देश)
अपना ही बाजा बजवाये।7

भूल गया सब चाल-बिसातें
पाँच सुरों का गाना गाये।8(पंचशील)

अपना भारत धीर धनुर्धर
पुतली-पुतली नैन गड़ाये।9

नाटे-चिपटे मुँह के बल हों,
जो चीनी होली जल जाये।10

आवाहन की आज घड़ी है
भारत-भारत हर जन गाये।11
@"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 945

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on September 14, 2017 at 7:55am
आदरणीय गिरिराज भाई,आभारी हूँ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 13, 2017 at 9:07pm

आ. मनन भाई , वर्तमान पर बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें ।

Comment by Manan Kumar singh on September 11, 2017 at 8:45pm
आदरणीय महेंद्र जी,आपका बहुत बहुत शुक्रिया।
Comment by Mahendra Kumar on September 11, 2017 at 8:00pm

अच्छी मुसलसल ग़ज़ल है आ. मनन जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Manan Kumar singh on September 11, 2017 at 8:38am
बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by SALIM RAZA REWA on September 11, 2017 at 8:09am
मनन जी रचना के लिए बधाई,
Comment by Manan Kumar singh on September 10, 2017 at 8:06pm
आदरणीय आरिफ जी,शुक्रिया।
Comment by Manan Kumar singh on September 10, 2017 at 8:04pm
आदरणीय समर जी,आभार एवं नमन।
Comment by Samar kabeer on September 10, 2017 at 6:11pm
जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब,चीन से ख़िताब करती अच्छी ग़ज़ल कही है,बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohammed Arif on September 10, 2017 at 4:23pm
आदरणीय मनन कुमार सिंह जी आदाब, चीन को केंद्र में रखकर बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने । इस हेतु दिली मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकारें बाक़ी गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
4 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Mahendra Kumar ji, अच्छी ग़ज़ल रही। बधाई आपको।"
6 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Euphonic Amit जी, ख़ूब ग़ज़ल हुई, बधाई आपको।  "आप के तसव्वुर में एक बार खो जाए फिर क़लम…"
11 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ अच्छी ग़ज़ल की बधाई स्वीकार करें गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
16 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ अच्छी ग़ज़ल की बधाई स्वीकार करें भाई चारा का सही वज्न 2122 या 2222 है ? "
18 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें सातवाँ थोड़ा मरम्मत चाहता है"
23 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत ख़ूब। समझदार को इशारा काफ़ी। आप अच्छा लिखते हैं और जल्दी सीखते हैं। शुभकामनाएँ"
24 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
32 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
32 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
33 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बारीकी से इस्लाह व ज़र्रा-नवाज़ी का बहुत बहुत शुक्रिया आ इक नज़र ही काफी है आतिश-ए-महब्बत…"
34 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
48 minutes ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service