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ग़ज़ल - अक्सर खुद से खुद ही लड़ कर, खुद से खुद ही हारे हम - अजय तिवारी

फ़ेलुन  फ़ेलुन  फ़ेलुन  फ़ेलुन  फ़ेलुन  फ़ेलुन  फ़ेलुन  फ़ा

 22      22      22       22     22      22      22      2  

अक्सर खुद से खुद ही लड़ कर, खुद से खुद ही हारे हम

और किसी  से  शिकवा कैसा, अपने हाथ  के मारे हम

 

हम अपनी पर आ जाते तो, दुनिया बदल भी सकते थे

लेकिन थी कोई बात कि जिससे, बन के रहे बेचारे हम

तन्हाई ने कर डाला है,  जिस्म को अब  मिट्टी का ढेर 

साथ तेरे  चाहा था  मिल कर,  छूते  चाँद-सितारे  हम  

 

दिल की सगाई हो नहीं पायी, रिश्ते मिले थे यूं तो बहुत

आए थे  इस  जग  में  कुंवारे, और  जायेंगे  कुंवारे हम

 

बरसों बीते  उनको हमने, एक  नज़र   देखा भी नहीं

हम थे  पिता के राज दुलारे, माँ की आँख के तारे हम

 

सदियों  से   जीवन  में  हमारे,  रात अँधेरी   ठहरी है        

जाने  कब   सूरज  आएगा,    देखेंगे   उजियारे   हम

ज़ख़्मी है लेकिन जिंदा है, दिल में अब भी इक उम्मीद 

ढोते हैं अब सांस का पत्थर, बस इस के ही सहारे हम  

"मौलिक-अप्रकाशित"

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Comment by Ajay Tiwari on January 1, 2018 at 9:28am

नव वर्ष मंगलमय हो !

Comment by Ajay Tiwari on January 1, 2018 at 9:27am

आदरणीय संदीप जी, हार्दिक धन्यवाद. 

Comment by Ajay Tiwari on January 1, 2018 at 9:26am

आदरणीय अफ़रोज़ साहब, हार्दिक धन्यवाद.  

Comment by Ajay Tiwari on January 1, 2018 at 9:25am

आदरणीय कालीपद प्रसाद जी, हार्दिक धन्यवाद.  

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 29, 2017 at 7:23pm

बहुत बहुत बधाई हो आदरणीय बाकमाल ग़ज़ल कही है आपने हर अशआर पर दाद हाजिर है 

Comment by Afroz 'sahr' on December 29, 2017 at 7:19am
आदरणीय अजय जी इस रचना पर बधाई स्वीकार करें।
Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 28, 2017 at 10:10pm

वाह् वाह् आदरणीय अजय तिवारी जी , हर शेर काबिले तारीफ़ है | शेर दर शेर मुबारक बाद कुबूल करें 

Comment by Ajay Tiwari on December 28, 2017 at 3:20pm

आदरणीय महेंद्र जी, उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद.

Comment by Mahendra Kumar on December 28, 2017 at 2:50pm

तन्हाई ने कर डाला है,  जिस्म को अब  मिट्टी का ढेर 

साथ तेरे  चाहा था  मिल कर,  छूते  चाँद-सितारे  हम  ...वाह!

हर शेर उम्दा है आ. अजय जी. इस शानदार ग़ज़ल पर हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Ajay Tiwari on December 28, 2017 at 2:30pm

आदरणीय सुरेन्द्र जी, आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद.

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