For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1. खोये स्वप्न .../2. मन्नत   ....

1. खोये स्वप्न ...

तमाम रात
मेरे साथ था
एक स्वप्न

भोर होते ही
वो स्वप्न
स्वप्न सा हो गया

मैं
देर तक
पलकों की दहलीज़
बुहारती रही
खोये स्वप्न को
ढूंढने के लिए

...........................

2. मन्नत   ....

देर तक
रुका रहा
मेरे घर की छत पर
वो आसमान से टूटा
मन्नत का तारा
मेरे ज़ह्न में
काँपता रहा
देर तक उसका ख़्याल
मेरी आँखों के कटोरों में
कोई अपने अक्स की
भीख डाल गया
टूटा तारा चला गया
मेरी मन्नत मेरी
झोली में डाल के

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 749

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on February 11, 2018 at 3:16pm

आदरणीय   vijay nikore   जी,  ... सृजन पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on February 8, 2018 at 6:52pm

आदरणीय   सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'   जी,  ... सृजन पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on February 8, 2018 at 6:52pm

आदरणीय   बृजेश कुमार 'ब्रज  जी,  ... सृजन पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by नाथ सोनांचली on February 7, 2018 at 7:11pm

आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवादन। हर बार की तरह उम्दा सृजन। बधाई

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 7, 2018 at 6:48pm

वाह आदरणीय बहुत ही सुन्दर 

Comment by Sushil Sarna on February 5, 2018 at 3:03pm

आदरणीय  Tasdiq Ahmed Khan साहिब, आदाब ... सृजन पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on February 5, 2018 at 3:03pm

आदरणीय समर कबीर साहिब , आदाब। ... सृजन को आपकी मनोहारी प्रशंसा का आभारी है। मन्नत के तारे से मेरा अभिप्राय आसमान का वो टूटा तारा जो हर किसी की मुराद हो पूरा करता है। ऐसा ही कुछ भाव था इसमें ... सादर।

Comment by Sushil Sarna on February 5, 2018 at 3:00pm

आदरणीय नरेंद्र सिंह चौहान जी सृजन को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on February 5, 2018 at 3:00pm

आदरणीया रक्षिता सिंह जी सृजन आपकी मधुर प्रशंसा का आभारी है।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 5, 2018 at 9:34am

जनाब सुशील सरना साहिब , एक और ज़बरदस्त कविता हुई है, मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।"
43 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
50 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब आज़ी तमाम साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। भाई-चारा का…"
50 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
56 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी, ऐसा करना मुनासिब होगा। "
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ इस्लाह भी ख़ूब हुई आ अमित जी की"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ रिचा अच्छी ग़ज़ल हुई है इस्लाह के साथ अच्छा सुधार किया आपने"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु हार्दिक बधाई आपको ।"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Sanjay Shukla जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Euphonic Amit जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Dinesh Kumar जी, अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई है। "
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service