For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

युद्ध और साम्राज्य 2

पुराने ज़माने की बात है ।
        दो पङोसी देशों मे आपस सहयोग बढने लगा था । कहते हैं कि जब सहयोग बढता है तो परस्पर विश्वास जनम लेता है और विश्वास से प्रेम । प्रेम से मेल जोल बढता है और मेलजोल से खुशहाली आती है । लेकिन खुशहाल प्रजा भलीभांति शासित नही होती । क्योंकि खुशहाल व्यक्ति सम्पन्न होता है और समपन्न ही शक्तिशाली । फिर शक्तिशाली तो शासन ही करता है , उसे शासित नही किया जा सकता । गडरिया तो भेड़ों  के झुंड को ही चराता है , कभी शेरों के झुंड को चराते किसी को देखा गया है क्या ?
       इन सब विचारों के वशीभूत, दोनो देशों के शासक चिंतित रहने लगे ।
       एक दिन दोनो शासकों ने आपस मे मंत्रणा की और आपस मे युद्ध के द्वारा जनता को गुमराह किया । 
       अब वे दोनो प्रसन्न थे । जनता युद्ध का बोझ उठाती रही, जनता अपनी श्रेष्ठ संतान युद्ध की भेंट चढ़ाती रही । लेकिन दोनो देशों की जनता ने आज तक नहीँ पूछा कि हमारी आपस में क्या दुश्मनी है । दोनो शासक मुस्कुराते रहे, कि हम सुरक्षित हैं । 
       लेकिन प्रजा ने कभी नहीं सोचा कि यह परंपरा कब तक चलती रहेगी । शायद यह अच्छी प्रजा की निशानी है ।

 

 

***

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 521

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 15, 2018 at 3:24am

दो पड़ोसी शासकों के स्वार्थपूर्ण रवैये और फैसलों और मासूम सी निर्दोष जनता पर मानसिक, आर्थिक ज़ुल्म-ओ-सितम को मिश्रित लघुकथा शैली में उभारती बेहतरीन भावपूर्ण, यथार्थपूर्ण रचना। आपकी अपनी विशिष्ट शैली। हार्दिक बधाई मुहतरम जनाब मिर्ज़ा ह़ाफ़िज़ बेग  साहिब।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 22, 2018 at 10:48am

बहुत खूब..

Comment by नाथ सोनांचली on March 22, 2018 at 6:04am

जनाब मिर्जा हाफिज जी सादर अभिवादन। पुनः एक बेहतरीन और शशक्त लघुकथा। बहुत बहुत बधाई जनाब। सादर

Comment by Samar kabeer on March 21, 2018 at 6:15pm

जनाब मिर्ज़ा हफ़ीज़ बैग साहिब आदाब,बहुत ख़ूब वाह, शानदार प्रस्तुति,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Ajay Tiwari on March 21, 2018 at 5:17pm

आदरणीय हफ़ीज़ साहब, एक और सशक्त लघुकथा के लिए. हार्दिक बधाई.

Comment by somesh kumar on March 21, 2018 at 11:25am

lghuktha me lekhak ka vishleshn ise km prbhavi krta lgta hai.ise ingit me hona chahie. khani me ye chal skta hai .aap ङ ka pyryog glt kr rhe hain yh pnchm vrn hai ang k rup me bola jata hai kripya  ड़ का pryog करें 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब आज़ी तमाम साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। भाई-चारा का…"
22 seconds ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
6 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी, ऐसा करना मुनासिब होगा। "
20 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें"
24 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ इस्लाह भी ख़ूब हुई आ अमित जी की"
26 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ रिचा अच्छी ग़ज़ल हुई है इस्लाह के साथ अच्छा सुधार किया आपने"
27 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु हार्दिक बधाई आपको ।"
36 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Sanjay Shukla जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
53 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Euphonic Amit जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
53 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Dinesh Kumar जी, अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई है। "
55 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Richa यादव जी, अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई। इस्लाह से बेहतर हो जाएगी ग़ज़ल। "
59 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' ji, अच्छा प्रयास हुआ ग़ज़ल का। बधाई आपको। "
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service