For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - सब में आग थी, लोहा भी था, नेक बहुत थे सारे हम - अजय तिवारी

फ़ेलुन  फ़ेलुन  फ़ेलुन  फ़ेलुन  फ़ेलुन  फ़ेलुन  फ़ेलुन  फ़ा

 22      22      22       22     22      22      22      2

सब में आग थी, लोहा भी था, नेक बहुत थे सारे हम

लेकिन  तन्हा-तन्हा लड़ कर,  तन्हा-तन्हा  हारे हम

 

ज़र्रा-ज़र्रा  बिखरे  है  हम,  चारो ओर खलाओं में

लेकिन जिस दिन होंगे इकठ्ठा, बन जायेंगे सितारे हम

 

कितने दिन वो मूँग दलेंगे, कमजोरों की छाती पर

कितने दिन और चुप  बैठेंगे, बनके यूं बेचारे हम 

 

कबतक और ये खून की होली, कबतक और नफ़रत का खेल

कबतक और करेंगे दिल के, ये खूनी बंटवारे हम

 

जब हो जरूरत खिल जायेंगे, फिर से सुनहरी लपटों में

राख में अपनी दबे है लेकिन, हैं जलते अंगारे हम.

 

शायद एक दिन ऐसा होगा, खुशियाँ होंगी सब के साथ

शायद एक दिन ऐसा होगा, होंगे साथ तुम्हारे हम

               "मौलिक/अप्रकाशित"

Views: 844

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ajay Tiwari on March 29, 2018 at 5:17pm

आदरणीय नवीन जी, हार्दिक धन्यवाद.

Comment by Naveen Mani Tripathi on March 28, 2018 at 9:25pm

वाह आदरणीय अजय तिवारी जी बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई हार्दिक बधाई आपको ।हर शेर लाजबाब ।

Comment by Ajay Tiwari on March 27, 2018 at 4:26pm

आदरणीय सुरेन्द्र जी. हार्दिक धन्यवाद.

Comment by नाथ सोनांचली on March 27, 2018 at 11:13am

आद0 अजय जी सादर अभिवादन। बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही आपने।  पढ़कर बढिया लगा। वाह वाह, ।।शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद कुबूल फरमाए।

Comment by Ajay Tiwari on March 26, 2018 at 8:04pm

आदरणीय अजय कुमार शर्मा जी, हार्दिक धन्यवाद. 

Comment by Ajay Tiwari on March 26, 2018 at 8:03pm

आदरणीय लक्ष्मण जी, हार्दिक धन्यवाद.

Comment by Ajay Kumar Sharma on March 26, 2018 at 7:58pm

बहुत सुन्दर रचना.

बधाई स्वीकार करें...

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 26, 2018 at 6:07pm

आ. भाई अजय जी , बेहतरीन गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Ajay Tiwari on March 26, 2018 at 5:46pm

आदरणीय सुशील जी, हार्दिक धन्यवाद..

Comment by Sushil Sarna on March 26, 2018 at 5:00pm

जब हो जरूरत खिल जायेंगे, फिर से सुनहरी लपटों में

राख में अपनी दबे है लेकिन, हैं जलते अंगारे हम.

वाह आदरणीय वाह बहुत सुंदर भावों को आपने ग़ज़ल में समाहित किया है। हार्दिक बधाई स्वीकारें सर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है हर शेर क़ाबिले तारीफ़ है गिरह ख़ूब हुई सादर"
4 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
5 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. भाई महेन्द्र जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई। गुणीजनो की सलाह से यह और…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, बेह्तरीन ग़ज़ल से आग़ाज़ किया है, सादर बधाई आपको आखिरी शे'र में…"
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा जी बहुत धन्यवाद"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी, आपकी बहुमूल्य राय का स्वागत है। 5 में प्रकाश की नहीं बल्कि उष्मा की बात है। दोनों…"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी। आप की मूल्यवान राय का स्वागत है।  2 मय और निश्तर पीड़ित हृदय के पुराने उपचार…"
6 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय महेंद्र कुमार जी नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
6 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी ।सादर अभिवादन स्वीकार कीजिए। अच्छी ग़ज़ल हेतु आपको हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,सादर अभिवादन स्वीकार कीजिए।  ग़ज़ल हेतु बधाई। कंटकों को छूने का.... यह…"
6 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा यादव जी ।सादर नमस्कार।ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।गुणीजनों के इस्लाह से और निखर गई है।"
6 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय euphonic amit जी आपको सादर प्रणाम। बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय त्रुटियों को इंगित करने व…"
6 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service