For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बरबादियाँ ही सब तरफ आती हैं इससे बस - गजल

221 2121 222 1212


हाकिम ही  देश लूट के जब यूँ  फरार हो
ऐसे में किस पे किस तरह तब ऐतबार हो।१।


रूहों का दर्द बढ़ के जब जिस्मों को आ लगे
बातों  से  सिर्फ  बोलिए  किसको  करार हो।२।


इनकी तो रोज ऐश  में  कटती है खूब अब
क्या फर्क इनको रोज ही जनता शिकार हो।३।


हर शख्श जब तलाश में अवसर की लूट के
हालत में देश की  भला  फिर क्या सुधार हो ।४।


मुट्ठी में सबको चाहिए पलभर में चाँद भी
मंजिल के  बास्ते  किसे  तब  इन्तजार हो ।५।


हमसे खिजाँ का वास्ता पड़ता रहे मगर
हिस्से में उनके हर कहीं आयी बहार हो ।६।


बरबादियाँ ही सब तरफ आती हैं इससे बस
खूँ का जुनून  तो  किसी  सर  मत सवार हो।७।


माना कि हम तो प्यार के काबिल नहीं मगर
दिल तो किसी  पे  दोस्तो  अपना निसार हो।८।

मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

Views: 851

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 18, 2018 at 11:32pm

आ. भाई बृजेश जी, गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 18, 2018 at 8:46am

बड़ी अच्छी ग़ज़ल कही आदरणीय...

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 15, 2018 at 8:53pm

आ. भाई समर जी, मार्गदर्शन के लिए आभार । बदलाव का सतत प्रयास करूँगा । 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 15, 2018 at 7:50pm

आ. भाई समर जी, मार्गदर्शन के लिए आभार । बदलाव का सतत प्यास करूँगा ।

Comment by Samar kabeer on September 15, 2018 at 11:30am

मिसाल के तौर पर :-

'हाकिम ही  देश लूट के जब यूँ  फरार हो
ऐसे में किस पे किस तरह तब ऐतबार हो'

मतले के ऊला मिसरे में 'यूँ'शब्द भर्ती का है, और सानी में 'किस तरह तब',ये मतला मेरे ख़याल में यूँ होना चाहिए :-

'हाकिम ही देश लूट के यारो फ़रार हो

ऐसे में किस पे कैसे भला एतिबार हो'

' बातों  से  सिर्फ  बोलिए  किसको  करार हो'

ये मिसरा यूँ करें तो गेयता बहतर हो:-

'बातों से सिर्फ़ कैसे किसी को क़रार हो'

इनकी तो रोज ऐश  में  कटती है खूब अब
क्या फर्क इनको रोज ही जनता शिकार हो'

इस शैर के दोनों मिसरों में 'रोज़' शब्द खटक रहा है ।

हर शख्श जब तलाश में अवसर की लूट के
हालत में देश की  भला  फिर क्या सुधार हो"

इस शैए का ऊला मिसरा में 'तलाश'अर्थहीन है, और 'अक्सर की लूट के'ये टुकड़ा भी भर्ती का है,और सानी भी कुछ और समय चाहता है ।

मुट्ठी में सबको चाहिए पलभर में चाँद भी
मंजिल के  बास्ते  किसे  तब  इन्तजार हो'

इस शैर के ऊला में 'भी' शब्ज़ भर्ती का है, औए सानी में 'बास्ते' को "वास्ते" कर लें ।

'हिस्से में उनके हर कहीं आयी बहार हो '

इस मिसरे में 'हर कहीं' शब्द भर्ती का है ।

'बरबादियाँ ही सब तरफ आती हैं इससे बस
खूँ का जुनून  तो  किसी  सर  मत सवार हो'

ये शैर भी शिल्प की दृष्टि से बहुत कमज़ोर है ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 14, 2018 at 10:13pm

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और मार्गदर्शन के लिए आभार । यदि मिसरों के बारे इंगित कर देते तो सुधार का प्रयास होता । 

Comment by Samar kabeer on September 14, 2018 at 11:35am

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

शिल्प की दृष्टि से कई मिसरे कमज़ोर नज़र आये,इस पर विचार करने की ज़रूरत है ।

4थे शैर के ऊला में' शख्श' को "शख़्स" कर लें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 13, 2018 at 6:45pm

आ. भाई बसंत जी, सादर अभिवादन । गजल पर उत्साहवर्धक उपस्थिति के लिए आभार ।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 13, 2018 at 4:23pm

आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी नमस्कार, बहुत बढ़िया समसामयिक गजल हुई है, बधाई आपको 

रूहों का दर्द बढ़ के जब जिस्मों को आ लगे
बातों  से  सिर्फ  बोलिए  किसको  करार हो --वाह क्या कहने गूढ़ अर्थ लिए हुए शानदार शेर 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 13, 2018 at 2:16pm

आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, ख़ूब ग़ज़ल रही, बधाई आपको। "
19 seconds ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय जी। सादर अभिवादन स्वीकार करें। ग़ज़ल तक आने व प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार"
18 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Sanjay जी, अच्छा प्रयास रहा, बधाई आपको।"
21 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Aazi ji, अच्छी ग़ज़ल रही, बधाई।  सुझाव भी ख़ूब। ग़ज़ल में निखार आएगा। "
26 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकारें बाक़ी गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
39 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Mahendra Kumar ji, अच्छी ग़ज़ल रही। बधाई आपको।"
41 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Euphonic Amit जी, ख़ूब ग़ज़ल हुई, बधाई आपको।  "आप के तसव्वुर में एक बार खो जाए फिर क़लम…"
45 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ अच्छी ग़ज़ल की बधाई स्वीकार करें गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
51 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ अच्छी ग़ज़ल की बधाई स्वीकार करें भाई चारा का सही वज्न 2122 या 2222 है ? "
53 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें सातवाँ थोड़ा मरम्मत चाहता है"
57 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत ख़ूब। समझदार को इशारा काफ़ी। आप अच्छा लिखते हैं और जल्दी सीखते हैं। शुभकामनाएँ"
58 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service