For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बदहाल जनता (तुकांत अतुकांत कविता)

प्रजातांत्रिक देश स्वतंत्र व्यक्ति
अभिव्यक्ति की आजादी
विकास यात्रा सत्तर साल की
सरकारी नक्शे पर दर्ज इलाका
हालात जस के तस
टूटे घने जंगलों में बसा वीराना सा गांव
टूटी फूटी नदी, दम तोडती पुलिया
जर्जर धूल उडाती सडकें
विकराल संकटों से जूझ रहा
जीवन से लडता
रोजीरोटी की जद्दोजहद
मैले कुचैले अर्धवदन ढके
बदहाली मे आपस में दुख बांटते
अपने गांव की पीडा समझाते
चेहरे पर पीडा झलक आती
नेताओं के झूठे वादे घडियाली ऑसू
बिना लहर के हिलोरें मारते मुद्दे
बहते नाले के पानी की तरह बह जाते
कागजों पर सिमटता विकास
जनता ठगा सा महसूस करती
फिर भी हर बार की तरह
लोकतंत्र का महोत्सव मनाते
चुनावी प्रचार में बढचढकर हिस्सा ले रहे
दूरस्थ अंचल, कच्ची पगडंडियाँ तय करके
जज्बा ,मतदान करने का उत्साह
कर्तव्य निभाने की जिम्मेदारी
भिक्षुक बने नेताओं की झोली
भरोसा कर, भर देगे
क्योंकि जनता जनार्दन है
आया दर पर, खाली हाथ ना जायेगा।

बबीता गुप्ता

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 761

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 26, 2018 at 3:57pm

आ. बबीता जी, आज के हालात पर अच्छी कविता कही है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 22, 2018 at 9:02pm

बेहतरीन कटाक्षपूर्ण चित्रण। पुनर्विचारोत्तेजक। हार्दिक बधाई आदरणीया बबीता गुप्ता साहिबा।

Comment by Neelam Upadhyaya on November 22, 2018 at 12:44pm

 आज की वास्तविकता को उजागर करती अच्छी कविता की रचना हुई है।  हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया बबिता गुप्ता जी। 

Comment by babitagupta on November 21, 2018 at 4:06pm

नमस्कार! , आदरणीय तेजवीर सरजी, समर सरजी, राजेश सरजी, रचना पर टिप्पणी करने व पसंद करने के लिए सधन्यबाद।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 21, 2018 at 11:11am

आज के हालात पर अच्छी कविता की है आद० बबीता जी बहुत बहुत बधाई 

Comment by Samar kabeer on November 20, 2018 at 11:51am

मुहतरमा बबीता गुप्ता जी आदाब,बहुत अच्छी कविता लिखी आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कुछ टंकण त्रुटियाँ हैं,देख लें ।

टूटे घने जंगलों में बसा वीराना सा गांव'

इस पंक्ति में 'वीराना' को "वीरान" कर लें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on November 20, 2018 at 10:41am

हार्दिक बधाई आदरणीय बबिता गुप्ता जी। बेहतरीन कविता।

भिक्षुक बने नेताओं की झोली
भरोसा कर, भर देगे
क्योंकि जनता जनार्दन है
आया दर पर, खाली हाथ ना जायेगा।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन अभिवादन व हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी. सादर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुन्दर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
" आदरणीय अशोक जी उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"  कोई  बे-रंग  रह नहीं सकता होता  ऐसा कमाल  होली का...वाह.. इस सुन्दर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली.. हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली..हार्दिक बधाई आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"सुन्दर होली गीत के लिये हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। बहुत अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, उत्तम दोहावली रच दी है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service