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स्नेह-धारा

कल्पना-मात्र नहीं है यह स्नेह का बंधन ...

उस स्वप्निल प्रथम मिलन में, प्रिय

कुछ इस तरह लिख दी थीं तुमने

मेरे वसन्त की रातें

मेरी समस्याओं ने

अव्यव्स्थाओं ने, अभिलाषाओं ने 

भाग कर ले ली थी असाधारण शरण

कल-कल गाती तुम्हारी स्नेह-धारा में

उस प्रथम मिलन की अभी भी महकती है गंध

फट गए थे बाहरी सतही ज़िन्दगी के परदे सारे

एकान्त ने सत्य में पाया सुख संपूर्ण

मेरी गोद है बनी तुम्हारी सम्पत्ति

बाहें तुम्हारी हैं अब मेरा आधार

अप्राकृतिक-सी थी मेरी अवस्था

स्वप्नाभिलाषी रहा मेरा प्यार

तुम भावुक, कुछ मैं अतिभावुक

ऐसे में बन गई हैं महत्वपूर्ण

छोटी से छोटी करी हुई वह बातें

कि दुहराते उनको शीतल-अकेले में

थकती नहीं हैं हमारी छायामय रातें

मुस्कराते हैं हमारे हेमन्त-शीत-वसन्त

कुछ अजीब अनुभव हैं अन्तस्थ हमारे

टटोलते रहते हैं एक-दूजे में धड़कन अपनी

बांधे रखती है इसी से हमें कोई मनोग्रन्थि

शायद इसी को कहते होंगे मानव-परम्परा

कि ऐसे में हो गए हैं हम दोनो अनजाने

कुछ गुप्त अभिलाषाओं के शिकार

सुना जब से तुम्हारी साँसों ने मेरी साँसों में

बहती स्नेह-धारा में मोह-ममता का आलाप

धड़कन मेरी अब इकाई नहीं है

अँधेरे आसमान को देख अब डरी-डरी

रुकती नहीं है मेरी रक्त-धारा की गति

आत्म-स्वीकृति के सुख में यह मांगता है मन  

कि स्वप्न-सी  हमारी  यह मिलन की रात 

ठहरे,  न खोले अभी कुछ देर तक

चोरी-छुपके-से अपनी मुंदी आँखो के द्वार

बाहों-में-बाहों के मधुमय नशे में मस्त

पलने दे आज यूँ ही हमारा निश्छल प्यार

                    ------

-- विजय  निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by Samar kabeer on April 2, 2020 at 11:50am

प्रिय भाई,हमारी हालत भी आप जैसी ही है,घर में ही रहते हैं,और सबके लिए दुआ करते हैं,समाचारों में अमेरिका के हालात सुनता हूँ तो आपकी फ़िक्र करना मेरे लिए लाज़िमी हो जाता है,आप अपना और परिवार का विशेष ध्यान रखें,अल्लाह जल्द ही इस मुसीबत से हमें निकालेग,यही दुआ है,आमीन ।

Comment by vijay nikore on April 2, 2020 at 11:14am

मेरे प्रिय भाई, सर्वप्रथम आपका आभारी हूँ कि आपने हमारी ख़ैरियत को सोच में रखा। हम एक महीने से घर में ही हैं।  आना-जाना, शोपिंग आदि सब सब बंद है। खाने का सामान deliver service से मंगवाते हैं, वह बैग बाहर छोड़ जाते हैं, सामान आने के बाद सभी चीज़ों को disinfect करते हैं, गरम पानी से, साबन से, कई चीज़ें chemical से भी। शायद ३-४ महीने और ऐसा ही चलेगा। 

कृपया आप अपना सुख-समाचार दें। आपके परिवार के लिए शुभकामनाएँ। 

रचना की सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद, मेरे भाई।

Comment by Samar kabeer on March 31, 2020 at 1:00pm

प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब,रचना हमेशा की तरह कामयाब है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

आप के बारे में चिंता है,कृपया अपनी ख़ैरियत से आगाह करें,और अमेरिका के हालात पर भी कुछ रोशनी डालें 

 ।

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