For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किसी का दिल से जो ख़ुश-आमदीद होता है (१०३ )

( 1212 1122 1212 22 /112 )
किसी का दिल से जो ख़ुश-आमदीद होता है
तो आँखों आँखों में गुफ़्त-ओ-शुनीद होता है

**
किसी के रू ब रू मुमकिन कहाँ है इश्क़ कभी
गवाह प्यार का कब चश्म-दीद होता है

**
नसीब में कहाँ मिलते हैं जश्न के मौक़े
कभी कभी कोई मौक़ा सईद होता है

**
जो पैरहन से ही दिखता जदीद है अक्सर
वो सिर्फ़ कहने की ख़ातिर जदीद होता है

**
चले जो शख़्स हमेशा रह-ए-सदाक़त पर
वही बशर तो जहाँ में मजीद होता है

**
उसी का ज़िक्र नज़र आता है फ़सानों में
बशर जो प्यार की ख़ातिर शहीद होता है

**
वो अपनी मौज में या फिर पनाह-ए-रब में रहे
फ़क़ीर ग़म कि ख़ुशी से बईद होता है

**
गुनाह-ओ-जुर्म की दुनिया से दूरियाँ रक्खे
उसी बशर का ज़माना मुरीद होता है

**
किया है इश्क़ वही जानता ये राज़ 'तुरंत '
कि लुत्फ़-ए-हिज्र भी कितना शदीद होता है
**
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी |
22 /05 /2020
**
शब्दार्थ -ख़ुश-आमदीद=स्वागत ,गुफ़्त-ओ-शुनीद=चर्चा/बातचीत
चश्म-दीद=जो घटना पर उपस्थित हो ,सईद=पावन ,
पैरहन =वस्त्र ,जदीद=आधुनिक ,रह-ए-सदाक़त=सच्चाई की राह
मजीद=पूज्य ,प्रतिष्ठित , बईद= परे ,मुरीद =अनुयायी,प्रशंसक
शदीद=अत्यधिक 

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 379

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on May 25, 2020 at 11:24am

आदरणीय अमीरुद्दीन खा़न "अमीर "  साहेब , खाकसार का कलाम पसन्द करने और हौसला आफजाई का बेहद शुक्रिया

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on May 25, 2020 at 11:15am

आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत जी 'तुरंत' आदाब।बहुत ही अच्छी ग़ज़ल कही है आपने ।बधाई स्वीकार करें। सादर। 

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on May 24, 2020 at 3:15pm

आदरणीय रवि भसीन 'शाहिद'  साहेब , 

खाकसार का कलाम पसन्द करने और हौसला आफजाई का बेहद शुक्रिया | जी हाँ एक जगह ११२२ की जगह १२१२ होना चाहिए था ये टंकण त्रुटि हो गई है | बाद में ध्यान आई , कई ग्रुप में दुरुस्त कर दी। लेकिन यहाँ रह गई है ,अभी ठीक करता हूँ | 

 

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on May 24, 2020 at 2:45pm

आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' साहिब, आदाब। इस सुंदर ग़ज़ल पर आपको ढेरों बधाई। शायद अरकान ग़लत लिखे गए हैं। दरअस्ल आपकी ग़ज़ल इस बह्र में है:
मुज्तस मुसम्मन मख़्बून महज़ूफ़ (महज़ूफ़ मुसक्किन)
1212 1122 1212 112 (22)

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
23 hours ago
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service