For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भूख तक तो ठीक था - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'(गजल)

२१२२/२१२२/२१२२/२१२


जिन्दगी की डाँट खाकर भी सँभल पाये न हम
चाह कर भी यूँ  पुराना  पथ  बदल पाये न हम।१।
**
एक संकट क्या उठा के साथ छूटा सबका ही
हाथ था सबने बढ़ाया किन्तु चल पाये न हम।२।
**
फर्क था इस जिन्दगी को जीने के अन्दाज में
आप सा छोटी खुशी पर यूँ उछल पाये न हम।३।
**
भूख तक तो ठीक था मुँह फेरकर सब चल दिये
लुट रही इन इज्जतों  पर क्यों उबल पाये न हम।४।
**
दूसरों  के  हित  में  जलना  सोच  में  पनपा  नहीं
पर स्वयं के हित भी बनकर दीप जल पाये न हम।५।
**
आप ने  पूछा  मुखौटे  क्यों  बदलते  रोज  हो
है वजह इसकी किसी साँचे में ढल पाये न हम।६।
**
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 421

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 29, 2020 at 8:04pm

आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति से मान व उत्साहवर्धन के लिए आभार।

Comment by TEJ VEER SINGH on May 29, 2020 at 5:55pm

हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी।बेहतरीन गज़ल।

भूख तक तो ठीक था मुँह फेरकर सब चल दिये
लुट रही इन इज्जतों  पर क्यों उबल पाये न हम।४।

आप ने  पूछा  मुखौटे  क्यों  बदलते  रोज  हो
है वजह इसकी किसी साँचे में ढल पाये न हम।६।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 28, 2020 at 4:09pm

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन व मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार ।

Comment by Samar kabeer on May 28, 2020 at 2:28pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

बदलते  रोज  हो
'है वजह इसकी किसी साँचे में ढल पाये न हम'

इस मिसरे में 'वजह' शब्द ग़लत है, सहीह शब्द है "वज्ह"21,इस मिसरे को यूँ कर सकते हैं:-

'है सबब इसका किसी साँचे में ढल पाये न हम'

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 28, 2020 at 10:37am

आ. भाई अमीरूद्दीन जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति से मान व उत्साहवर्धन के लिए आभार ।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on May 28, 2020 at 9:45am

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी। आदाब, मन को कचोटती सुन्दर रचना के लिए आपको बहुत बधाईयाँ। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी, ऐसा करना मुनासिब होगा। "
13 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें"
16 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ इस्लाह भी ख़ूब हुई आ अमित जी की"
18 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ रिचा अच्छी ग़ज़ल हुई है इस्लाह के साथ अच्छा सुधार किया आपने"
20 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु हार्दिक बधाई आपको ।"
29 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Sanjay Shukla जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
46 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Euphonic Amit जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
46 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Dinesh Kumar जी, अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई है। "
48 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Richa यादव जी, अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई। इस्लाह से बेहतर हो जाएगी ग़ज़ल। "
52 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' ji, अच्छा प्रयास हुआ ग़ज़ल का। बधाई आपको। "
56 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Chetan Prakash ji, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास रहा। सुझावों से निखार जाएगी ग़ज़ल। बधाई। "
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, ख़ूब ग़ज़ल रही, बधाई आपको। "
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service