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नदी इंकार मत करना कभी तू अपनी क़ुर्बत से (१०७ )

( 1222 1222 1222 1222 )

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नदी इंकार मत करना कभी तू अपनी क़ुर्बत से
समुन्दर बेसहारा हो न जाये तेरी हरकत  से

हमेशा वक़्त हो महफ़िल सजाने लुत्फ़ लेने का
ख़ुदाया दूर रखना ज़िंदगी भर शाम-ए-फ़ुर्क़त से

जहाँ में हर बशर को नैमत-ए-उल्फ़त अता करना
कहीं भी रब न रह पाए कोई महरूम चाहत से

ज़रा सी गुफ़्तगू शीरीं भी करना सीख लो मीरों
हमेशा मसअले हल हो नहीं सकते हैं ताक़त से

हमारे हिन्द के फौज़ी नहीं अब हैं किसी से कम
पड़ोसी बाज़ आ जा तू ज़रा अपनी हिमाक़त से

गुनाहों की तरफ चल दें न ये मजदूर बेबस हों
न हासिल हो उन्हें रोटी अगर मेहनत मशक़्क़त  से

वबा ने शान-ओ-शौकत ऐश और आराम छीने सब
किया आगाह पंगा लेना मत इंसान क़ुदरत से

ख़ुदा के हाथ की कठपुतलियाँ हैं लोग दुनिया में
कराया रू ब रू इंसान को फिर इस हक़ीक़त से

शजर को काटना छाती ज़मीं की चीरना छोड़ें
'तुरंत' इंसान सीखें ये सबक़ सारे शराफ़त से
**
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी |

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on June 7, 2020 at 3:57pm

भाई सालिक गणवीर  जी , इस उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार 

Comment by सालिक गणवीर on June 7, 2020 at 3:29pm

आदरणीय गहलोत जी

सादर अभिवादन

एक और शानदार ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें.

Comment by Samar kabeer on June 5, 2020 at 8:17pm

मैंने 'ग़लतियाँ' के बारे में नहीं "ग़लती" को 112 बताया था,'ग़लतियाँ'212 होगा ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on June 5, 2020 at 8:16pm

भाई  TEJ VEER SINGH  जी , इस उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए दिल से आभार  एवं सादर नमन | 

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on June 5, 2020 at 8:15pm

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'  जी , इस उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए दिल से आभार  एवं सादर नमन

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on June 5, 2020 at 8:14pm

आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर'  साहेब , इस उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए दिल से आभार  एवं सादर नमन | 

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on June 5, 2020 at 8:13pm

आदरणीय Samar kabeer  साहेब , आपकी हौसला आफजाई और नई जानकारी के लिए बहुत बहुत आभार | आपने ग़लतियाँ शब्द के लिए भी १११२ बताया था | देवनागरी में लिखने वालों को शायद ही हरकत =११२ पता होगा | 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on June 5, 2020 at 5:12pm

आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी, आदाब। अच्छी ग़ज़ल हुई है, बधाई स्वीकार करें। सादर। 

Comment by नाथ सोनांचली on June 5, 2020 at 1:49pm

आद0 गिरधर सिंह गहलोत जी सादर अभिवादन। बढ़िया ग़ज़ल कही आपने। बधाई स्वीकार कीजिए

Comment by TEJ VEER SINGH on June 5, 2020 at 12:38pm

हार्दिक बधाई आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी। बेहतरीन गज़ल।

गुनाहों की तरफ चल दें न ये मजदूर बेबस हों
न हासिल हो उन्हें रोटी अगर मेहनत मशक्क़त से

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