For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तेरे ख्वाहिशों के शह्र में- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'(गजल)

२२१/२१२१/१२२१/२१२१/२


लिखना न मेरा नाम तेरे ख्वाहिशों के शह्र में
आयेगा कुछ न काम तेरे ख्वाहिशों के शह्र में।१।
**
सबको पता है धूल से बढ़कर न मैं रहा कभी
ऊँचा भले ही दाम तेरे ख्वाहिशों के शह्र में।२।
**
सूरज न उगता भोर का तारों भरी न रात हूँ
ढलती हुई सी शाम तेरे ख्वाहिशों के शह्र में।३।
**
रावण बना दिया है मुझे प्यास ने हवस की यूँ
करना न मुझको राम तेरे ख्वाहिशों के शह्र में।४।
**
चाहत न कोई नाम की रिश्ता अगर बना कोई
चलना मुझे अनाम  तेरे  ख्वाहिशों के शह्र में।५।
**
मुझको सफर मिला हैं अभी दूर चाँद देश का
होगा  नहीं  विराम  तेरे  ख्वाहिशों के शह्र में।६।
*
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
मौलिक.अप्रकाशित

Views: 830

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 17, 2020 at 9:38pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी सादर नमस्कार 

खुबसूरत गजल हुई 

मुझको सफर मिला हैं अभी दूर चाँद देश का
होगा  नहीं  विराम  तेरे  ख्वाहिशों के शह्र में।६।- वसः 
*

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 17, 2020 at 2:48pm

आ. भाई अमीरुद्दीन जी, पुनः उपस्थिति के लिए आभार ।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on July 16, 2020 at 12:15am

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आदाब, 

मिसरे का भाव समझाने के लिए शुक्रिया जनाब। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 14, 2020 at 3:18pm

आ. भाई अमीरुद्दीन जी, उसका भाव यह है कि अब राम जैसा सात्विक मत बनाना।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on July 13, 2020 at 6:22pm

//जहाँ तक चौथे शे'र का सवाल है उसे आपके कहे अनुसार करने से उसका भाव बदल जायेगा । //

जनाब लक्ष्मण धामी जी अगर मिसरा बदलने से भाव बदल रहा है तो मत बदलिये मगर जो भाव है उसे बता तो दीजिए हुज़ूर 

मैने पिछली टिप्पणी में भी यही जानना चाहा था "रावण बना दिया है मुझे प्यास ने हवस की यूँ

                                                                   करना न मुझको राम तेरे ख्वाहिशों के शह्र में।४।  इस शैर का भाव 

ख़ुसूसन सानी मिसरे का भाव समझा देंगे तो बड़ी इनायत होगी। सादर। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 12, 2020 at 8:59pm

आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति सराहना व सलाह के लिए हार्दिक आभार ।

जहाँ तक चौथे शे'र का सवाल है उसे आपके कहे अनुसार करने से उसका भाव बदल जायेगा । सादर...

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 12, 2020 at 3:49pm

आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति, स्नेह व उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 12, 2020 at 3:47pm

आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on July 12, 2020 at 3:35pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार करें।

कुछ टंकण त्रुटियां रह गयी हैं जैसे लफ़्ज़ 'ख्वाहिशों' में ख के नीचे नुक़्ता लगा लें,

'मुझको सफर मिला हैं' में 'सफर' को सफ़र तथा 'हैं' को 'है' कर लें।

//रावण बना दिया है मुझे प्यास ने हवस की यूँ

करना न मुझको राम तेरे ख्वाहिशों के शह्र में।// जनाब शैर के सानी मिसरे में आप क्या कहना चाहते हैं भाव स्पष्ट नहीं है। 

आप चाहें तो सानी को यूँ कर के देख सकते हैं :   "करता न होश काम तेरे ख़्वाहिशों के शह्र में"   सादर। 

Comment by TEJ VEER SINGH on July 11, 2020 at 6:24pm

हार्दिक बधाई आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'  जी।बेहतरीन गज़ल।

चाहत न कोई नाम की रिश्ता अगर बना कोई
चलना मुझे अनाम  तेरे  ख्वाहिशों के शह्र में।५।
**

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

AMAN SINHA posted blog posts
1 hour ago
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: सही सही बता है क्या

1212 1212सही सही बता है क्याभला है क्या बुरा है क्यान इश्क़ है न चारागरतो दर्द की दवा है क्यालहू सा…See More
1 hour ago
Sushil Sarna posted blog posts
1 hour ago
दिनेश कुमार posted blog posts
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन अभिवादन व हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी. सादर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुन्दर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
" आदरणीय अशोक जी उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"  कोई  बे-रंग  रह नहीं सकता होता  ऐसा कमाल  होली का...वाह.. इस सुन्दर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली.. हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service