For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन

ज़िन्दगी में सिर्फ़ ग़म हैं और तुम हो
आज फिर से आँखें नम हैं और तुम हो

लग रहा है अब मिलन संभव नहीं है
वक़्त से लाचार हम हैं और तुम हो

रात चुप, है चाँद तन्हा, साँस मद्धम
इश्क़ में लाखों सितम हैं और तुम हो

दिल की बस्ती में अकेला तो नहीं हूँ
नींद से बोझिल क़दम हैं और तुम हो

क्या बताऊँ किसलिये है 'ब्रज' परेशां
वस्ल के आसार कम हैं और तुम हो

(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 1009

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 22, 2021 at 11:25pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय समर जी संशय दूर करने के लिए।दरअसल पहले आंख रखा था लेकिन वो भी ठीक नही था।सुधार करता हूँ सादर

Comment by Samar kabeer on February 22, 2021 at 9:04pm

जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

'आज फिर से चश्म-ए-नम हैं और तुम हो'

इस मिसरे में 'चश्म' एक वचन है,और रदीफ़ का 'हैं' बहुवचन में,इस मिसरे को यूँ कह सकते हैं:-

'आज फिर से आँखें नम हैं और तुम हो'

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 20, 2021 at 8:31pm

आदरणीय अमीरुद्दीन जी आपके खूबसूरत शब्दों से अति प्रसन्नता का अनुभव हुआ..शुक्रिया आपका..सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 20, 2021 at 8:30pm

आदरणीय धामी जी हार्दिक अभिनंदन एवं आभार...

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 20, 2021 at 8:30pm

हौसलाफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय गुमनाम जी....

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 20, 2021 at 8:29pm

ग़ज़ल पसंदगी के लिए शुक्रिया भाई कृष मिश्रा जी...

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 20, 2021 at 8:28pm

ग़ज़ल पे आपकी हौसलाफजाई के लिए शुक्रिया मित्र आजी तमाम जी...

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on February 20, 2021 at 10:06am

जनाब बृजेश कुमार जी आदाब, शानदार ग़ज़ल पेश की है आपने, शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ। सादर।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 19, 2021 at 7:18pm

आ. भाई बृजेश कुमार जी, सादर अभिवादन । उत्तम गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by gumnaam pithoragarhi on February 19, 2021 at 6:43pm

वाह शानदार ग़ज़ल हुई है बधाई।
अच्छी लगी वाह। ...... 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।"
11 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
18 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब आज़ी तमाम साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। भाई-चारा का…"
19 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
25 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी, ऐसा करना मुनासिब होगा। "
39 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें"
43 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ इस्लाह भी ख़ूब हुई आ अमित जी की"
45 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ रिचा अच्छी ग़ज़ल हुई है इस्लाह के साथ अच्छा सुधार किया आपने"
46 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु हार्दिक बधाई आपको ।"
55 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Sanjay Shukla जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Euphonic Amit जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Dinesh Kumar जी, अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई है। "
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service