For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-82 (विषय: 'सैन्य जीवन)

आदरणीय साथियो,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-82 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है, इस बार आयोजन के विषय-निर्धारण में थोडा परिवर्तन किया गया है। अर्थात विषय का दायरा बढ़ाने का प्रयास किया गया है। इस बार हमें सैन्य जीवन के विभिन्न पह्लुयों पर कलम चलानी होगी। स्मरण रहे कि एक सैनिक का अर्थ केवल सीमा पर लड़ना अथवा राष्ट्र के लिए शहीद हो जाना ही नहीं होता। इसके अलावा भी उसके जीवन के अनेक पहलू होते हैं; यथा परिवार, सामाजिक सरोकार, शौक़-रुचियाँ, ट्रेनिंग, अपेक्षाएँ, संवेदनशीलता, सेना अथवा समाज में पेश आने वाली कठिनाइयाँ आदि। मैं चाहता हूँ कि हमारे रचनाकार अपनी कल्पनाशक्ति का उपयोग कर सैन्य जीवन के कुछ अनछुए पह्लुयों पर भी सृजन करें। आयोजन में शामिल उत्कृष्ट रचनाओं को मेरे द्वारा संपादित 'सैन्य जीवन की लघुकथाएँ' नामक शीघ्र प्रकाशित लघुकथा संग्रह में स्थान दिया जाएगा।          
:  
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-82 
"विषय: 'सैन्य जीवन'
अवधि : 30-01-2022  से 31-01-2022 
.
अति आवश्यक सूचना:-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने/लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
.    
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 2194

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आपकी सूत्र शैली में लिखे गए इस रचना के लिए बधाई

सादर नमस्कार। प्रविष्टि पर प्रथम टिप्पणी व प्रोत्साहन हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय ओमप्रकाश क्षत्रिय जी।

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख़ शहज़ाद जी। बहुत सुन्दर लघुकथा।

आदाब। यूँ प्रोत्साहित करनेहेतु हार्दिक धन्यवाद जनाब तेजवीर सिंह साहिब।

सैन्य जीवन पर कुछ गंभीर रचना आती आपकी तो और अच्छा होता। बहरहाल इस रचना के लिये बधाई आपको

सादर नमस्कार। रचना पटल पर समय देकर मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु शुक्रिया आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी। इस रचना में सुधार हेतु भी कुछ बताइएगा। आप सभी की विषयांतर्गत लघुकथायें पढ़कर इस विषय पर बेहतर लिखने की कोशिश करूँगा।

लघुकथा-सर्दी वर्दी

स्वाति एक शिक्षक पिता की बेटी थी अतः आर्थिक स्थिति बहुत खराब न थी । जाड़ों के दिन थे, बाज़ारों में रंग बिरंगी स्वेटर और ऊन का आना शुरु हो गया था । स्वाति उन रंगों से आकर्षित हुई, और ललचा कर माँ से फ़रमाइश करके बोली- "माँ मुझे समुद्री हरा और चुकंदरी गुलाबी रंग की एक स्वेटर बना दो ना...."
माँ ने उसे समझाते हुए कहा- "बेटा अभी तुम्हारे पास दो स्वेटर हैं, बदल-बदल कर पहनने के लिए, और फिर तुम अभी बड़ी हो रही हो, तो ये स्वैटर, छोटे भी तो हो जाएंगे न, अगले साल बना दूंगी हाँ ।"
पर स्वाति जिद करने लगी, कि माँ कम से कम ऊन ही लेकर रख लो, इतने सुंदर-सुंदर रंग के हैं ये, फिर मिलें न मिलें।
बेटी को मितव्ययिता का पाठ पढ़ाने की उद्देश्य से अब माँ ने थोड़ी गंभीरता से कहा- "बेटा! तुम्हारे पास ठंड से बचने के लिए पर्याप्त साधन हैं । कई लोग ऐसे भी हैं, जिनके पास इस कड़कड़ाती सर्दी मे तन ढँकने के लिए कपड़े भी नहीं होते ।
अपनी फ़रमाइश पूरी न होते देखकर स्वाति गुस्से से तमतमाती हुई, तुनक कर बोली- "मैं सर्दी वर्दी नहीं जानती...मु...झे...तो...
माँ ने उसे बीच में ही दृढ़ता से रोक कर कहा- बेटा वर्दी सर्दी नहीं जानती
।स्वाति आश्चर्य से बोली मतलब !!! शब्दों को उल्टा करने से क्या मतलब !!!
माँ ने कृतज्ञता पूर्वक, सम्मान भाव से कहना शुरु किया- "बेटा हमारे देश की सीमा पर जो प्रहरी है न, वे वीर जवान, जो सैनिक की वर्दी धारण करते हैं न, वे सर्दी की परवाह किए बिना, हमारी रक्षा करते हैं । सीमा पर कुछ जगहों पर तापमान शूंय अंश सेल्सियस से भी काफी नीचे होता है, जहाँ हाड़ कँपा देने वाली ठंड से बचाव के लिए, ऊनी कपड़े भी अपने हाथ खड़े कर देते हैं, पर वहीं ऐसी भीषण ठंड में भी हमारे वीर सैनिक गर्म जोशी के साथ, हमारी रक्षा करते हैं ।
माँ की गंभीर बातें सुनकर स्वाति का गुस्सा कब का सर्द हो चुका था ।वह बड़े भोले पन और आश्चर्य से बोली- "माँ फिर ये सैनिक ठंड कैसे भगाते हैं !? माँ ने उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा- "बेटा ये जो देश भक्ति का जज़्बा है न....इसमे ही कुछ ऐसी शक्ति होती है, कुछ ऐसा ओज होता है, कि ये सब खुशी खुशी सह लेते हैं । सीमा के इन प्रहरियों की वर्दी में देश सम्मान की गर्मी होती है बेटा। इसीलिए तो मैंने कहा
कि वर्दी सर्दी नहीं जानती ।

स्वरचित एवं मौलिक

आदाब। स्वागतम। विषयांतर्गत बालसुलभ शिक्षाप्रद रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया अंजुमन मंसूरी 'आरज़ू' जी। ग़जल विधा में मशहूर होने के साथ ही आपने लघुकथा विधा में भी रुचि ली और हम आपकी सधी गद्य लेखनी से यूँ परिचित यहाँ भी हुए। हार्दिक बधाई और शुक्रिया।

विषयांतर्गत रचना में 'सर्दी-वर्दी' से सर्दी से वर्दी का ट्विस्ट और वर्दी का सर्दी से ज़ोख़िम और बहादुरी व देशभक्ति भरा प्रेरक संदेश। लघुकथा गोष्ठियों की तमाम रचनाओं को पढ़कर और आदरणीय सर  जनाब योगराज जी के आलेख पढ़कर आप लघुकथा मे भी लेखनी को बेहतर साध सकेंगी।

// वर्दी सर्दी नहीं जानती// अच्छी लघुकथा आदरणीया। हार्दिक बधाई।

बात बात में एक गंभीर बात कह देना लघुकथा का मूल उद्देश्य होता है जो यहां पूरा होता दिखाई देता है। 

लघुकथा

विश्वास
---------

आज भी भैया-भाभी उसे मनाने आ गए।
बिन्नी चार महीने पूर्व ही ब्याही गई थी। मात्र चार दिन ही साथ रह पाई कि बुलावा आ गया था। मेंहदी का रंग फीका न हुआ था, पाँवों का महावर भी टुह-टुह लाल था, उसने पति के भाल पर लाल तिलक लगा फ्रंट पर भेजा था।
उनके जाने के बाद घर उसका, वह घर की होकर रह गई थी।
फौजी की बेहद कर्मठ ब्याहता उसकी बाँसुरी को हर समय साथ रखती। बाँसुरी दोनों के बीच एक डोर की तरह थी।
"इसे कभी न छोड़ना। जहाँ भी रहूँगा, मैं तेरा रहूँगा। और तू मेरी। है न? रहेगी न?"

"चल तू।"
"मैं नहीं जा सकती। अम्मा-बाबूजी को उन्होंने मेरे भरोसे छोड़ा था।"
"तीन महीने से ऊपर हो गए। वह शहीद हो गया होगा, मानती क्यों नहीं। तुम्हारे सास-ससुर भी ले जाने के लिए कह रहे हैं।"
दोनों तरफ के परिजनों की आँखों में बिन्नी को नया जीवन देने का मजबूर स्वप्न पल रहा था।
"वे युद्ध में गुम गए हैं भैया, शहीद नहीं हुए हैं।...जरूर आएँगे।"
"नहीं।...आखिर यहाँ क्या धरा है बिन्नी?"
"आस!"
बिन्नी ने बाँसुरी को माथे से लगा लिया। उसके कानों ने उसकी मीठी धुन सुनी।

******

मौलिक व अप्रकाशित

फौजी जीवन के इस अनोखों पहलू को दर्शाती अच्छी लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी, ऐसा करना मुनासिब होगा। "
8 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें"
11 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ इस्लाह भी ख़ूब हुई आ अमित जी की"
13 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ रिचा अच्छी ग़ज़ल हुई है इस्लाह के साथ अच्छा सुधार किया आपने"
15 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु हार्दिक बधाई आपको ।"
24 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Sanjay Shukla जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
40 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Euphonic Amit जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
41 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Dinesh Kumar जी, अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई है। "
42 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Richa यादव जी, अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई। इस्लाह से बेहतर हो जाएगी ग़ज़ल। "
47 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' ji, अच्छा प्रयास हुआ ग़ज़ल का। बधाई आपको। "
50 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Chetan Prakash ji, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास रहा। सुझावों से निखार जाएगी ग़ज़ल। बधाई। "
55 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, ख़ूब ग़ज़ल रही, बधाई आपको। "
59 minutes ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service