For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा : त्रिया चरित्र (गणेश जी बागी)

ये साहब बहुत ही कड़क और अत्यंत नियमपसंद स्वाभाव के थे ।  कई दिन रेखा देवी की हाजिरी कट गई |  फटकार लगी सो अलग ।

उस दिन साहब के चैम्बर से तेज आवाज़ें आ रही थीं । रेखा देवी चीखे जा रही थीं, "ये साहब मेरी इज़्ज़त पर हाथ डाल रहा है.."
सब देख रहे थे, ब्लाउज फटा हुआ था । साहब भी भौचक थे । उनकी साहबगिरी और बोलती दोनो बंद थी |


साहब संयत हुए और बोले, "जाओ रेखा देवी.. जब आना हो कार्यालय आना और जब जाना हो जाना, आज से मैं तुम्हें कुछ नही कहनेवाला । वेतन भी पहले जैसा समय से मिलता रहेगा ।.."
मामला सुलझ गया था । रेखा देवी जीत के भाव के साथ चैम्बर से बाहर निकल रही थीं |

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 2996

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 1, 2013 at 10:03pm

आदरणीय मोहन बेगोवाल जी, इस उत्सावर्धन करती टिप्पणी हेतु ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ, सदा स्नेह बना रहे । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 1, 2013 at 10:01pm

प्रिय अनुज, आपकी टिप्पणी इस लघुकथा की सार्थकता को बल देती है,बहुत बहुत आभार । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 1, 2013 at 9:59pm

आदरणीय गिरिराज भाई साहब, आप के कहे को मैं सत प्रतिशत समर्थन देता हूँ , बहुत बहुत आभार, आपने इस रचना पर  बहुमूल्य टिप्पणी दी । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 1, 2013 at 9:57pm

प्रिय शुभ्रांशु भाई, यह लघुकथा कोई आयातित नहीं है, हम आसपास यदि नज़र दौडायें तो कथा के पात्र मिल जायेंगे, आपकी उत्सावर्धन करती टिप्पणी और व्यक्त घटना इस लघुकथा के यथार्थ को बल देती है । बहुत बहुत आभार । 

Comment by Vinita Shukla on September 1, 2013 at 9:44pm

किसी समाज की स्थिति, सबसे अधिक शोचनीय तभी होती है- जब पीढ़ियों में संस्कार रोपने वाली स्त्री, स्वयम अवसरवादी, चरित्रहन्ता और पथभ्रष्ट हो जाये. अत्यंत ज्वलंत प्रश्न उठाती हुई, इस रचना पर, बधाई एवं साधुवाद.

Comment by MAHIMA SHREE on September 1, 2013 at 8:35pm

आ. बागी जी ..सशक्त लघुकथा पर बधाई स्वीकार करें ...ये सत्य है ..चलाकी और बेईमानी कोई भी कर सकता है .सिर्फ पुरुषसत्तामक समाज है इस लिए हर बार पुरुष ही दोषी हो जरुरी नहीं हो सकता पर इस तरह की घटनाओ की संख्या कम है क्योंकि अभी स्त्रिओं के हाथ में सत्ता नहीं है पर जब जब उन्हें भी मौका मिलता है वे भी चक्रव्यूह रचती हैं इसका बहुत उदाहरण वार्तमान राजनितिक परिदृश्य में भरे पड़े हैं    मैंने भी कई महिलाओ को धूर्तता करते देखा है और पुरुषो को उकसाते हुए फिर उन्हें कटघरे में खड़ा कर तमाशा करते हुए भी , सादर

Comment by वेदिका on September 1, 2013 at 8:08pm

ऐसे दौर की लघुकथा मन को मथ के रख देती है ...... ऐसी ही घटना मैंने अपने जीवन मे निकट से देखि है| उसमे एक भाई को जो की चरित्रवान और सज्जन थे, उनकी अपनी दो बहनों ने और एक भाई भाभी ने मिलके ऐसे जाल मे लपेट दिया था,, महज इसलिए की बड़े भाई ने अपनी तंख्वाह का कुछ हिस्सा अपनी पत्नी और बच्ची के लिए भविष्य निधि को रखना शुरू कर दिया|

और आज जब उन अंकल को फिर से राखी बांधने उनकी बहनें आती है, और कीमती तोहफे लेकर हँसते हुये वापस लौटती है, और अंकल 'बिटिया' कहके उनकी विदाई करते है तो मुझे वही किस्सा..........!

  इस दर्दनाक पहलू को सामने लाने के लिए बधाई देती हूँ आदरणीय बागी जी!     

Comment by Abhinav Arun on September 1, 2013 at 7:55pm

आ. बागी जी आप भाव भूमि की समानता पर न जाएँ इमानदारी हमारे भीतर होनी चाहिए और ओ बी ओ में सभी साथी इस कसौटी पर किसी के द्वारा परखे जाने से परे पहचान और ईमान रखते हैं ये बात तो फिर हम सब के कई कई शेरोन पर कही जा सकती है ..सो स्पष्टीकरण ज़रूरी नहीं . अन्यत्र भी कुछ अलग किस्म की टिप्पणियों को मैं देख रहा हूँ जो की जा रही हैं ... रचना के विषय और उसके भावो के प्रवाह पर .. कवि दृष्टि पर ...अवांछित है शिल्प और शैली भाषा की त्रुटी की और ध्यान दिलाना तो सर्वथा उचित है पर किसी के दर्शन को बदलने का प्रयत्न गैर ज़रूरी .ये वही बात हुई न की हम कहने की बच्चन जी ने मधुशाला लिखकर मदिरा को प्रोत्साहित क्यों किया ??

Comment by Abhinav Arun on September 1, 2013 at 7:50pm

... करीब बीस बरस के मीडिया जीवन में कई बार ... ऐसे और इस सदृश हालात से गुज़र चूका हूँ..बतौर दर्शक  : -)  ...महिला अधिकारी कर्मचारी द्वारा सही बात पर भी अफसरों को धमकियां देते सुना देखा है थाना पुलिस और महिला आयोग तक का ...दुखद है .. हम अक्सर सिक्के के एक पहलू को देखते हैं आपने दूसरे को बड़े सधे सशक्त अंदाज़ में पिरोया है बहुत बधाई ये भी आज की सच्चाई है ... साधुवाद !!

Comment by Satyanarayan Singh on September 1, 2013 at 7:14pm

आदरणीय गणेश जी,  यथार्थ पर आधारित प्रभावी  लघु कथा के लिए आपका हार्दिक अभिनन्दन.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
20 hours ago
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service