आदरणीय काव्य-रसिको,
सादर अभिवादन !
’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार चौंसठवाँ आयोजन है.
आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ –
19 अगस्त 2016 दिन शुक्रवार से 20 अगस्त 2016 दिन शनिवार तक
इस बार पिछले कुछ अंकों से बन गयी परिपाटी की तरह ही दोहा छन्द तो है ही, इसके साथ पुनः कुकुभ छन्द को रखा गया है. -
दोहा छन्द और कुकुभ छन्द
कुकुभ छन्द पर आधारित रचनाओं के लिए बच्चन की मधुशाला का उदाहरण ले सकते हैं.
हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.
इन छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना करनी है.
प्रदत्त छन्दों को आधार बनाते हुए नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.
रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो दोनों छन्दों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.
केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.
दोहा छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें
[प्रस्तुत चित्र अंतरजाल से प्राप्त हुआ है]
कुकुभ छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें
जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.
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आयोजन सम्बन्धी नोट :
फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 19 अगस्त 2016 दिन शुक्रवार से 20 अगस्त 2016 दिन शनिवार तक शनिवार तक यानी दो दिनों केलिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.
अति आवश्यक सूचना :
छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...
विशेष :
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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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Replies are closed for this discussion.
आदरणीया राजेश कुमारी, मेरा इशारा ’नीड़ बनाती’ को लेकर है, जो कि ’नीड़’ और ’बनाती’ के ’बना’ के त्रिकल हैं और सम चरण के अंत में आ रहा है. वाचन-प्रवाह शब्द-संयोजन पर भी महती रूप से निर्भर करता है.
आप, आदरणीया, चूँकि छान्दसिक रचनाकर्म में एक स्तर से आगे पहुँच चुकी हैं. इसी कारण मेरा यह या ऐसा कोई निवेदन आपसे है. वर्ना, इस चरण में मात्रिक व्यवस्था के हिसाब से कहीं कोई ग़लती नहीं है.
सादर
जी आपकी बात मैं समझ गई थी किन्तु बनवाती कर नहीं सकती बस यहीं मजबूरी आड़े आ रही है |
:-)))
यानी, रोग़ का ज्ञान तो है, लेकिन दवा लेने में दिक्कत आ रही है !! .. हा हा हा....
आदरणीया राजेशजी
माँ के पोषण की उष्मा से, पंखों में ऊर्जा पाई|
एक दिवस उड़ गया न लौटा,माँ को देकर तन्हाई|| ,,, बहुत सुंदर । पशु पक्षियों का यह स्वभाव हमारे लिए अनुकरणीय है , वे अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं पर माया मोह में नहीं फँसते।
तीनों खूबसूरत कुकुभ के लिए हार्दिक बधाई
आद० अखिलेश जी ,आपको ये कुकुभ छंद पसंद आई आपका दिल से बहुत बहुत शुक्रिया
कुकुभ छंद में में मार्मिक और अनुपम प्रस्तुति ! वाह ! बहुत बहुत बधाई आदरणीया
आद० लक्ष्मण लडीवाला जी ,आपको ये कुकुभ छंद पसंद आई आपका दिल से बहुत बहुत शुक्रिया|
आद० शेख़ उस्मानी जी ,आपको छंद पसंद आये मेरा लिखना सार्थक हो गया बहुत शुक्रगुजार हूँ |
वा वा दीदी,
सुन्दर बढ़िया, प्यारा चित्र उकेरा है
फुदक-फुदक कर चलता चू-चू बचपन वाला घेरा है
भावुक करती हर लाइन पर, दिल से ढेर बधाई है
कुकुभ छंद में दिल को छूती बढ़िया कविता पाई है
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