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संतुलन - डॉo विजय शंकर

जोड़-तोड़ खूब कर लेते हो।
जहां तोड़ लेना चाहिए ,
वहीं जोड़ लेते हो ,
समस्या को निपटा नहीं पाते ,
लिपटा लेते हो , गले लगा लेते हो।
उसी का राग अलापते हो ,
गीत गाते हो , छोड़ते नहीं ,
अलबत मौक़ा मिलते ही भुना लेते हो।
जिनको जोड़ लेना चाहिए ,
उन्हें भूले रहते हो।
संतुलन बनाये रखते हो।
कहते हो , राजनीति है ,
कर लेते हो।

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by Dr. Vijai Shanker on August 23, 2016 at 7:37pm
आदरणीय जवाहर लाल सिंह जी रचना आप को पसंद आई , आभार , प्रशस्ति के लिए धन्यवाद , सादर।
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 23, 2016 at 5:47pm

आदरणीय डॉ. विजय शंकर जी, क्या संतुलन बनाया है आपने! इसे ही तो राजनीति कहते हैं! वाह! वाह! सादर!

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 23, 2016 at 11:55am
आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी , रचना पर आपके आगमन एवं प्रशस्ति के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on August 23, 2016 at 11:55am
आदरणीय सुश्री प्रतिभा पांडेय जी , रचना आपको अच्छी लगी , प्रसन्नता हुयी , आपकी प्रशस्ति के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on August 23, 2016 at 11:27am
आदरणीय डॉ . विजय शंकर जी इस सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई प्रेषित है ।
Comment by pratibha pande on August 23, 2016 at 9:36am

राजनैतिक मजबूरियाँ जिन्हें अक्सर संतुलन का नाम मिल जाता है ,पर तंज कसती सार्थक प्रस्तुति  हार्दिक बधाई आपको आदरणीय डॉ विजय शंकर जी ..सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 22, 2016 at 7:15pm
आदरणीय समर कबीर साहब , नमस्कार , रचना पर आपकी सादर उपस्थिति एवं उसे प्रशस्ति प्रदान करने के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on August 22, 2016 at 7:14pm
आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी , रचना को स्वीकृति प्रदान करने के लिए ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Samar kabeer on August 22, 2016 at 3:05pm
जनाब डॉ.विजय शंकर जी आदाब,बहुत ख़ूब वाह, इस बहतरीन प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Shyam Narain Verma on August 22, 2016 at 2:55pm

शानदार रचना पर हार्दिक बधाई ! सादर 

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