For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत - तुझे देखूँ यहाँ वहाँ

संदेसा तेरे दिल का , धड़कने है लातीं,

सवार तेरे धुन मे, खुद को कहाँ रोक पाते,
बस मुस्कुरकर तू देख लेती ज़रा,
दिल क्या, जान भी तेरे हो जाते,
तुझे देखूँ यहाँ वहाँ, ढूँढूँ मैं सारा जहाँ, 
बाहों से लगा लूँ तुझे, दिल मे बसा लूँ तुझे....(2)

तेरे कदमों के निशान, हर जगह ढूंढा करता हूँ,

मिल जाए वो धूल तो, उन्हे समेट लिया करता हूँ,
भले ही भूल जाऊं खुदा को,
पर तेरी बातें हर पल याद किया करता हूँ ,
तुझे देखूँ यहाँ वहाँ, ढूँढूँ मैं सारा जहाँ, 
बाहों से लगा लूँ तुझे, दिल मे बसा लूँ तुझे....(2)

 

फूलों का गुरूर, तेरी एक हँसी ने तोड़ दिया, 
खुश्बू ने तेरी, हवाओं का रुख़ मोड़ दिया,
तेरी अदाओं की नज़ाकत ने,
टूटे दिल को भी जोड़ दिया,
तुझे देखूँ यहाँ वहाँ, ढूँढूँ मैं सारा जहाँ, 
बाहों से लगा लूँ तुझे, दिल मे बसा लूँ तुझे....(2)

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 629

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by M Vijish kumar on October 13, 2017 at 10:07pm

आदरणीय KALPANA BHATT ('रौनक़') जी आपका ह्रदय  से धन्यवाद

Comment by M Vijish kumar on October 13, 2017 at 10:06pm

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'  जी आपका ह्रदय  से धन्यवाद

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 11, 2017 at 5:42pm

अच्छा प्रयास आद ० एम् विजेश जी | बधाई आपको 

Comment by नाथ सोनांचली on October 9, 2017 at 4:35am
आद0 एम विजिश कुमार जी सादर अभिवादन, अच्छा गीत लिखा आपने, दिल खोल कर बधाई लीजिये। सादर
Comment by नाथ सोनांचली on October 9, 2017 at 4:34am
आद0 एम विजिश कुमार जी सादर अभिवादन, अच्छा गीत लिखा आपने, दिल खोल कर बधाई लीजिये। सादर
Comment by M Vijish kumar on October 8, 2017 at 6:33pm

आदरणीय  Samar kabeer जी आपका ह्रदय  से धन्यवाद

Comment by Samar kabeer on October 8, 2017 at 6:02pm
जनाब विजिश कुमार जी आदाब,गीत का अच्छा प्रयास है,मार्गदर्शन के लिए गुणीजनों की प्रतीक्षा करें,इस प्रस्तुति पर बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:। तरही मुशाइरा…"
41 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
6 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
13 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
13 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
13 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
14 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
14 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
14 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
15 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service