For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अजल की हो जाती है....

अजल की हो जाती है....


ज़िंदगी
साँसों के महीन रेशों से
गुंथी हुई
बिना सिरों वाली
एक रस्सी ही तो है
जिसकी उत्पत्ति भी अंधेरों से
और विलय भी अंधेरों में होता है


ज़िंदगी
लम्हों के पायदानों पर
आबगीनों सी ख़्वाहिशों को
छूने के लिए
सांस दर सांस
चढ़ती जाती है
मौसम
अपने ज़िस्म के
इक इक लिबास को उतारते
ज़िंदगी को
हकीकत के आफ़ताब की
तपिश से रूबरू करवाने की
हर मुमकिन कोशिश करते हैं
मगर अफ़सोस
ग़ुरूर में गुम ज़िंदगी
कायनात की हर ख़्वाहिश को
अपनी मुट्ठी में क़ैद करना चाहती है
नहीं जानती कि
ख़्वाहिश तो
अजल की डिब्बी में क़ैद है
वो कहाँ किसी के हाथों की ज़द में आती है
हर अलससुब्ह
नयी ख़्वाहिश ज़ह्न में अंगड़ाई लेती है
फिर रात की तारीकियों में
अजल की हो जाती है
ज़िंदगी
फिर अपनी नाकामी पे
उदास हो जाती है
थक-हार के
आख़िर
साथ ख्वाहिशों के
वो भी
अजल की हो जाती है


सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 655

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on November 27, 2017 at 1:10pm

आदरणीया   Rakshita Singh जी सृजन को आत्मीय मान  देने का दिल से आभार। 

Comment by रक्षिता सिंह on November 24, 2017 at 10:14pm
आदरणीय सुशील जी,
ह्रदयस्पर्शी पंक्तियों से बुनी इस खूबसूरत रचना पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें।
Comment by Sushil Sarna on November 24, 2017 at 7:39pm

आदरणीय समर कबीर साहिब, आपका सन्देश मिल गया है।  संदेह का निवारण हुआ। आपका तहे दिल से शुक्रिया। असुविधा के लिए क्षमा। 

Comment by Samar kabeer on November 23, 2017 at 9:35pm
आपके सन्देश का जवाब मैं दे चुका हूँ भाई ।
Comment by Sushil Sarna on November 23, 2017 at 7:30pm

आदरणीय तस्दीक अहमद साहिब, आदाब ... सृजन को आत्मीय स्नेह देने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on November 23, 2017 at 7:30pm

आदरणीय समर कबीर साहिब, शुक्रिया आपकी दुआओं का। सर मैंने आपको एक सन्देश भेजा है। प्लीज़ देख लें।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on November 23, 2017 at 5:41pm
जनाब सुशील सरना साहिब ,बहुत ही जज़्बाती कविता हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें
Comment by Samar kabeer on November 23, 2017 at 5:11pm
कोशिश करते रहें,सब ठीक होगा ।
Comment by Sushil Sarna on November 23, 2017 at 12:49pm

आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब , सृजन को अपनी आत्मीय प्रशंसा से मान देने का हार्दिक आभार। इंगित त्रुटियों को दर्शाने का मैं हार्दिक आभारी भी हूँ शरमसार भी हूँ। कोशिश करता हूँ फिर भी .... . इस हेतु आपका तहे दिल से शुक्रिया। आप जैसे गुणीजनों से ही हम अपने भावों को सही राह दे पा रहे हैं। मैं इसे अभी एडिट करता हूँ। थैंक्स सर।

Comment by Sushil Sarna on November 23, 2017 at 12:49pm

आदरणीय मो.आरिफ साहिब , आदाब , सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सम्माननीय ऋचा जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल तकआने व हौसला बढ़ाने हेतु शुक्रियः।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"//मशाल शब्द के प्रयोग को लेकर आश्वस्त नहीं हूँ। इसे आपने 121 के वज्न में बांधा है। जहाँ तक मैं…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है हर शेर क़ाबिले तारीफ़ है गिरह ख़ूब हुई सादर"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. भाई महेन्द्र जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई। गुणीजनो की सलाह से यह और…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, बेह्तरीन ग़ज़ल से आग़ाज़ किया है, सादर बधाई आपको आखिरी शे'र में…"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा जी बहुत धन्यवाद"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी, आपकी बहुमूल्य राय का स्वागत है। 5 में प्रकाश की नहीं बल्कि उष्मा की बात है। दोनों…"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी। आप की मूल्यवान राय का स्वागत है।  2 मय और निश्तर पीड़ित हृदय के पुराने उपचार…"
7 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय महेंद्र कुमार जी नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
8 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service