For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उसकी सूरत नई नई देखो

2122 1212 22
उसकी सूरत नई नई देखो ।
तिश्नगी फिर जगा गई देखो।।

उड़ रही हैं सियाह जुल्फें अब ।
कोई ताज़ा हवा चली देखो ।।

बिजलियाँ वो गिरा के मानेंगे ।
आज नज़रें झुकी झुकी देखो ।।

खींच लाई है आपको दर तक ।
आपकी आज बेखुदी देखो ।।

रात गुजरी है आपकी कैसी ।
सिलवटों से बयां हुई देखो ।।

डूब जाएं न वो समंदर में ।
क्या कहीं फिर लहर उठी देखो ।।

हट गया जब नकाब चेहरे से ।
पूरी बस्ती यहां जली देखो ।।

वो तसव्वुर में लिख रहा ग़ज़लें ।
याद आती है आशिकी देखो ।।

खत को पढ़कर जला दिया उसने ।
चोट दिल पर कहीं लगी देखो ।।

उसके दिल में धुंआ अभी तक है ।
आग अब तक नहीं बुझी देखो ।।

नवीन मणि त्रिपाठी

         नवीन मणि त्रिपाठी 

मौलिक अ प्रकाशित

Views: 885

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on December 17, 2017 at 12:27pm

आ0 रक्षिता सिंह जी सादर आभार ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on December 17, 2017 at 12:26pm

सादर नमन के साथ आभार भाई सुरेंद्र नाथ सिंह जी 

Comment by नाथ सोनांचली on December 11, 2017 at 4:53am

आद0 नवीन जी सादर अभिवादन। आद0 आली जनाब समर कबीर साहब के इस्लाह से ग़ज़ल में चार चाँद तो लगी है, मिसरों बीच रब्त और गजलियत दोनों निखर रही है,  बहुत बहुत बधाई आपको, और आद0 समर सर् को सादर प्रणाम।

Comment by रक्षिता सिंह on December 8, 2017 at 1:42am

आदरणीय , नवीन जी

बहुत ही खूबसूरत गज़ल , बहुत बहुत बधाई।

Comment by Naveen Mani Tripathi on December 8, 2017 at 12:13am

नमन सर 

Comment by Samar kabeer on December 7, 2017 at 9:13pm

बहुत ख़ूब ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on December 7, 2017 at 6:18pm

जनाब अफरोज सहर साहब शुक्रिया के साथ अमीन

Comment by Afroz 'sahr' on December 7, 2017 at 4:26pm
जनाब नवीन मणि जी इस सुंदर रचना पर बहुत बधाई आपको,,,,
Comment by Samar kabeer on December 7, 2017 at 1:46pm

आमीन, सुम्मा आमीन ।

Comment by Afroz 'sahr' on December 7, 2017 at 12:03pm
आमीन,,,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
6 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
19 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सम्माननीय ऋचा जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल तकआने व हौसला बढ़ाने हेतु शुक्रियः।"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"//मशाल शब्द के प्रयोग को लेकर आश्वस्त नहीं हूँ। इसे आपने 121 के वज्न में बांधा है। जहाँ तक मैं…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है हर शेर क़ाबिले तारीफ़ है गिरह ख़ूब हुई सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. भाई महेन्द्र जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई। गुणीजनो की सलाह से यह और…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, बेह्तरीन ग़ज़ल से आग़ाज़ किया है, सादर बधाई आपको आखिरी शे'र में…"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा जी बहुत धन्यवाद"
8 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी, आपकी बहुमूल्य राय का स्वागत है। 5 में प्रकाश की नहीं बल्कि उष्मा की बात है। दोनों…"
8 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service