For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सब जन हैं आगोश में, धुन्ध धुएँ के आज

अतिशय कम है दृश्यता, सभी प्रभावित काज

सभी प्रभावित काज, नहीं कुछ अपने कर में

जन जीवन बेहाल, छुपे सब अपने घर में

यहीं रहा जो हाल, धुन्ध होगी और सघन

इसका एक निदान, अभी से सोचें सब जन।1।

बच्चे मानों पट्टिका, चाक आपके हाथ

चाहे इच्छा जो लिखें, उनके ऊपर नाथ

उनके ऊपर नाथ, असर वो होगा गहरा

परखें उनके भाव, यथोचित देकर पहरा

दिए जरा जो ध्यान, बनेंगे फिर वो सच्चे

कच्चे घड़े समान, सदा ही होते बच्चे ।2।

बोया पेड़ बबूल का, मिले कहाँ से आम

वक़्त रहे चेते नहीं, उसका यह परिणाम

उसका यह परिणाम, सभी बच्चे हैं बिगड़े

घिर व्यसनों के बीच, राह सुत सही न पकड़े

बचपन के दिन चार, सवारें उनको गोया

हाथ मलेंगे आप, अगर संस्कार न बोया।3।

जाना इक दिन छोड़कर, सबको अपना देह

सुंदर शुभ सत्कर्म से, जोड़ें हम सब नेह

जोड़ें हम सब नेह, रखे ना बैर किसी से

मय को दें हम त्याग, मिले सब दुःख उसी से

करें आत्म का ज्ञान, छिपा जो एक खजाना

चले ब्रह्म की ओर, जिसे सन्तों ने जाना।4।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 480

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 16, 2017 at 8:39pm

उत्तम..बहुत उत्तम शिक्षाप्रद रचना..बधाई

Comment by Samar kabeer on December 14, 2017 at 5:19pm

जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,बहुत बढ़िया कुण्डलिया छन्द हुए,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by vijay nikore on December 14, 2017 at 4:05pm

आपकी कंडलियों का आनन्द आ गया, आ० सुरेन्द्र जी।

Comment by नाथ सोनांचली on December 14, 2017 at 8:34am

आद0 रामबली गुप्ता जी सादर अभिवादन। रचना पर आपके सुझावों का सादर स्वागत हैं। बहुत बहुत आभार आपका।

Comment by नाथ सोनांचली on December 14, 2017 at 8:32am

आद0 मोहम्मद आरिफ जी सादर अभिवादन। आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया और मेरी रचना को आपके द्वारा दिया गया प्यार दोनों मुझे तोष देता है। हर विधा में कुछ लिखने की तीव्र इच्छा और गुरुजन का आशीष है कि मैंने इस विधा में भी कुछ लिखने का प्रयास किया। आपने उत्साह बढ़ाया, आपका अतिशय आभार।

Comment by रामबली गुप्ता on December 14, 2017 at 3:18am

देश को शेष पढ़ें

Comment by रामबली गुप्ता on December 14, 2017 at 3:17am

सुरेन्द्र जी प्रवाह शिल्प और गेयता के हिसाब से दूसरी तीसरी और चौथी कुंडलिया बढियाँ हैं। प्रथम कुंडलिया में अटकाव है।

'धुंध होगी और सघन' ,,,,,,,,गेयता बन नही पायी

देश सब ठीक है।

हार्दिक बधाई स्वीकारें।सादर

Comment by Mohammed Arif on December 13, 2017 at 8:04am

आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी आदाब,

                                 बदलते मौसम के प्रभाव , शिक्षा संस्कार , सांसारिक इच्छा , बच्चों की चिंता  बुरी लत आदि को रेखांकित और प्रभाव को दर्शाती सशक्त कुंडलियाँ । आपकी कंडलियों से पहला संवाद क़ायम हो रहा है । अच्छा लगा । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"ग़ज़ल — 212 1222 212 1222....वक्त के फिसलने में देर कितनी लगती हैबर्फ के पिघलने में देर कितनी…"
55 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"शुक्रिया आदरणीय, माजरत चाहूँगा मैं इस चर्चा नहीं बल्कि आपकी पिछली सारी चर्चाओं  के हवाले से कह…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:। तरही मुशाइरा…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
4 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
8 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
15 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
15 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
15 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
15 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
15 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service