For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल नूर की-हँसता चेहरा यूँ तो रुख्सत उसे कर आएगा

2122 /1122 /1122 /22 (112)
.
हँसता चेहरा यूँ तो रुख्सत उसे कर आएगा 
दिल पे टूटेंगे सितम..... दर्द से भर आएगा.
.
एक दूजे को जो देखेंगे अगर हम यूँ ही 
किसी चेहरे का किसी पर तो असर आएगा.
.
अपनी आँखों से हटा ले ये अना की पट्टी
तुझ को हर शख्स तेरा अक्स नज़र आएगा.
.
सोच के गहरे समुन्दर में लगा ले गोते,   
उथले पानी में कहाँ हाथ गुहर आएगा?  
.
रूह को अश्क-ए-नदामत से कभी धो कर देख,   
हुस्न हस्ती का तेरी और निखर आएगा.
.
कोई मंज़िल ही नहीं है तो कहाँ पहुँचेंगे
इस सफ़र बाद कोई और सफ़र आएगा

.
नूर बुलवाए कभी “नूर” को मिलने के लिए
जिस्म की ख़ाक यहीं राख में धर आएगा. 
.

निलेश “नूर”
मौलिक अप्रकाशित 

Views: 819

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 25, 2018 at 7:54am

शुक्रिया आ. लक्ष्मण धामी जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 25, 2018 at 7:53am

शुक्रिया आ. महेंद्र  जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 25, 2018 at 7:53am

शुक्रिया आ. भाई सुरेन्द्रनाथ सिंह जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 25, 2018 at 7:53am

शुक्रिया आ. भाई दिनेश जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 25, 2018 at 7:53am

शुक्रिया आ. राजेश कुमारी जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 25, 2018 at 7:52am

शुक्रिया आ. तस्दीक अहमद जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 25, 2018 at 7:52am

शुक्रिया आ बलराम धाकड़ जी 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 28, 2017 at 7:23pm

आ. भाई नीलेश जी, बेहतरीन गजल के लिए हार्दिक बधाई ।

Comment by Mahendra Kumar on December 27, 2017 at 11:26am

बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है आ. निलेश सर. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by नाथ सोनांचली on December 26, 2017 at 8:52am

आद0 नीलेश भाई जी सादर अभिवादन। खूबसूरत ग़ज़ल कही आपने। बहुत खूब। शैर दर शैर मुबारकबाद कुबूल फरमायें। सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
yesterday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Apr 10
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी

२१२२ २१२२ग़मज़दा आँखों का पानीबोलता है बे-ज़बानीमार ही डालेगी हमकोआज उनकी सरगिरानीआपकी हर बात…See More
Apr 10
Chetan Prakash commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"आदाब,  समर कबीर साहब ! ओ.बी.ओ की सालगिरह पर , आपकी ग़ज़ल-प्रस्तुति, आदरणीय ,  मंच के…"
Apr 10
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post कैसे खैर मनाएँ
"आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, प्रस्तूत रचना पर उत्साहवर्धन के लिये आपका बहुत-बहुत आभार। सादर "
Apr 9

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service