For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरा हमदम है तो हर ग़म से बचाने आए - SALIM RAZA REWA

2122 1122 1122 22

मेरा हमदम है तो हर ग़म से बचाने आए
मुश्किलों में भी मेरा साथ निभाने आए

oo

चाँद तारे भी यहाँ बन के दिवाने आए 
उनकी खुश्बू के समन्दर में नहाने आए 
oo
रश्क करते हैं जिन्हे देखकर सितारे भी 
मस्त नज़रों से वही जाम पिलाने आए
oo
उनके दीदार से आंखों को सुकूं मिलता है 
ख़ुद से कर-कर के कई बार बहाने आए
oo
उनकी निसबत से ज़माने की ख़ुशी हासिल है
मेरे हाथों में तो अनमोल ख़ज़ाने आए
_______________________________
मौलिक व अप्रकाशित

बहरे रमल मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़

Views: 689

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 19, 2018 at 5:06am

सुंदर गजल हुई है आदरणीय हार्दिक बधाई ।

Comment by नादिर ख़ान on February 18, 2018 at 7:47pm

पाप धुल जाते हैं सुनते हैं यहां पर आ कर
लोग यूँ ही तो नहीं गंगा नहाने आए ...अच्छी गज़ल हुयी है मुबारकबाद जनाब  सलीम रज़ा साहब ...

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 18, 2018 at 7:12pm

बहुत ही खूब ग़ज़ल कही आदरणीय...

Comment by रक्षिता सिंह on February 18, 2018 at 2:57pm

आदरणीय सलीम जी

बहुत ही बेहतरीन गजल,

हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

Comment by Anita Maurya on February 17, 2018 at 7:22am

वाह, खूबसूरत ग़ज़ल....

Comment by SALIM RAZA REWA on February 16, 2018 at 8:39am
राम अवध जी बहुत शुक्रिया
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 15, 2018 at 10:52pm

जनाब सलीम रज़ा साहिब, उम्दा ग़ज़ल हो गई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें। आखरी शेर में अभी भी ऐब-तकाबुले रदीफैंन है । उला मिसरा यूँ कर लें । जिनके दिल में भी रज़ा तेरे लिए है उल्फ़त 

Comment by Mohammed Arif on February 15, 2018 at 7:49am


जिनको जीने की दुआ दी है हमेशा मैंने
आज महफ़िल में वही ऊँगली उठाने आए वाह! वाह!! क्या ख़ूब तंज़ कसा है ।  बहुत ही उम्दा शे'र ।

दिली मुबारकबाद आदरणीय सलीम रज़ा साहब ।

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on February 14, 2018 at 10:25pm

आदर्णीय  सलीम रज़ा साहब खूबसूरत ग़ज़ल कहने के लिये बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service