For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बात दिल मे ही ठहर जाती है

2122 1122 22


छू के साहिल को लहर जाती है ।
रेत नम अश्क़ से कर जाती है ।।

सोचता हूँ कि बयाँ कर दूं कुछ ।
बात दिल में ही ठहर जाती है ।।

याद आने लगे हो जब से तुम ।
बेखुदी हद से गुजर जाती है ।।

कुछ तो खुशबू फिजां में लाएगी ।
जो सबा आपके घर जाती है ।।



कितनी ज़ालिम है तेरी पाबन्दी ।
यह जुबाँ रोज क़तर जाती है ।।

हुस्न को देख लिया है जब से ।
तिश्नगी और सवर जाती है।।

ढूढिये आप जरा शिद्दत से ।
दिल तलक कोई डगर जाती है ।।

कर गया जख्म की बातें कोई ।
रूह सुनकर ही सिहर जाती है ।।

जब भी फिरती हैं निगाहें उसकी ।
कोई तकदीर सुधर जाती है ।।

आशिकों तक वहाँ जाने कैसे ।
तेरे आने की ख़बर जाती है ।।

देख कर आपका लहजा साहिब ।
चोट मेरी भी उभर जाती है ।।

जब निकलता हूँ तेरे कूचे से ।
कोई सूरत तो निखर जाती है ।।

कोशिशें कर चुका हूँ लाखों पर ।
ये नज़र फिर भी उधर जाती है ।।

बे अदब हो गयी है याद तेरीे ।
बे सबब दिल में उतर जाती है ।।

जेब का हाल समझ कर अक्सर ।
आशिकी हम से मुकर जाती है ।।

-- नवीन मणि त्रिपाठी

मौलिक अप्रकाशित

Views: 376

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on February 21, 2018 at 3:17pm

आ0 लक्ष्मण धामी साहब हार्दिक आभार

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 21, 2018 at 9:53am
  • आ. भाई नवीन जी, सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on February 19, 2018 at 11:41am

 आ0 राम अवध विश्वकर्मा जी बह्र मुझे तो ठीक लग रही है । सम्भवतः 3 और 4 शेर का ओला दुरुस्त है ।

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on February 18, 2018 at 3:06pm

आदर्णीय त्रिपाठी जी खूबसूरत ग़ज़ल कहने के लिये बधाई। शेर नं 3 और 4 के ऊला मिसरा के बह्र को शायद एक बार पुन: अवलोकन करने की जरूरत है।

Comment by रक्षिता सिंह on February 18, 2018 at 12:20pm

आदरणीय नवीन जी नमस्कार,

बहुत खूबसूरत गजल, बे अदब हो गयी है याद तेरी - बे सबब दिल में उतर जाती है।

मुबारकबाद कुबूल फरमायें। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकारें बाक़ी गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
6 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Mahendra Kumar ji, अच्छी ग़ज़ल रही। बधाई आपको।"
8 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Euphonic Amit जी, ख़ूब ग़ज़ल हुई, बधाई आपको।  "आप के तसव्वुर में एक बार खो जाए फिर क़लम…"
12 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ अच्छी ग़ज़ल की बधाई स्वीकार करें गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
18 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ अच्छी ग़ज़ल की बधाई स्वीकार करें भाई चारा का सही वज्न 2122 या 2222 है ? "
20 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें सातवाँ थोड़ा मरम्मत चाहता है"
24 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत ख़ूब। समझदार को इशारा काफ़ी। आप अच्छा लिखते हैं और जल्दी सीखते हैं। शुभकामनाएँ"
25 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
33 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
34 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
34 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बारीकी से इस्लाह व ज़र्रा-नवाज़ी का बहुत बहुत शुक्रिया आ इक नज़र ही काफी है आतिश-ए-महब्बत…"
35 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
50 minutes ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service