For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कोई फरक नहीं पड़ता — डॉo विजय शंकर

क्या फरक पड़ता है ,
कुछ पढ़े-लिखे लोगों ने
आपको और आपकी
किसी भी बात को नहीं समझा।
आपको , आप जैसे लोगों ने तो
समझा और खूब समझा।
आपकी नैय्या उनसे और
उनकी नैय्या आपसे
पार लग ही रही है ,
आगे भी लग जाएगी ।

- मौलिक एवं अप्रकाशित
 

Views: 451

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on March 26, 2018 at 8:14pm

आद0 विजय शंकर जी सादर अभिवादन।बढिया रचना से रूबरू करवाया आपने। बधाई

Comment by Samar kabeer on March 25, 2018 at 9:39pm

आली जनाब डॉ.विजय शंकर जी आदाब,बहुत दिनों बाद आपकी रचना के दर्शन हुए ।

बहुत ख़ूब वाह, सुंदर और प्रभावशाली कविता,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें । शीर्षक और पहली पंक्ति में 'फरक' को "फ़र्क़" कर लें ।

मुझे अपनी ग़ज़ल का एक शैर याद आ गया :-

'इक जाहिल को समझा सकते हैं जितनी आसानी से

उतना ही मुश्किल समझाना पढ़े लिखे नादानों को'

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 25, 2018 at 2:06pm

आ. भाई विजय जी बहुत खूब लिखा । हार्दिक बधाई ।

Comment by Ajay Tiwari on March 25, 2018 at 11:33am

आदरणीय विजय जी,  बहुत अच्छा व्यंग! इस काव्य-प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई.

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 25, 2018 at 9:45am

वाह आदरणीय खूब लिखा..

Comment by Shyam Narain Verma on March 23, 2018 at 5:49pm
इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई
Comment by Mohammed Arif on March 23, 2018 at 5:12pm

वाह! वाह!!  कितना कड़वा सच लिखा है आपने । सचमुच हम आज एक ऐसे वातावरण में जीने को अभिशप्त हैं जहाँ हमारा पढ़ा-लिखा  होना कोई मायने नहीं रखता है । पढ़-लिखकर हम अपने आपको शर्मिंदा महसूस करते हैं । हम भयभीत  उच्च शिक्षित हैं । बहुत ही कटाक्षपूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय विजय शंकर जी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"ग़ज़ल — 212 1222 212 1222....वक्त के फिसलने में देर कितनी लगती हैबर्फ के पिघलने में देर कितनी…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"शुक्रिया आदरणीय, माजरत चाहूँगा मैं इस चर्चा नहीं बल्कि आपकी पिछली सारी चर्चाओं  के हवाले से कह…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:। तरही मुशाइरा…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
5 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
9 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
16 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
16 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
16 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
16 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
16 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service