For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जज़्बात

(अतुकांत)

हर फ़ल्सफ़:  यूँ बयाँ न ही हो तो अच्छा

शबे-वस्ल  हमेशा  मीठी  तो  नहीं होती

रात-अँधेरे जब नींद ओझल हो आँखो से

चले आते हैं मेरे ही फ़ल्सफ़े डसने मुझको

मेरा कहा आज कलामे मुस्तदाम न सही

या अल्फ़ाज़ मेरे चरागे आस्मानी न सही

जानता हूँ सोचेगा कर्दगार खुदा ही कभी

क़लमदस्त का कलाम ऐसा बुरा तो न था

रहमत होगी तब खुदा की, बुलाएगा मुझ्रे

रिहाइश के वास्ते  वह आलमे मलकूत में

कहूँगा उससे लाहासिल है बुलावा उसका

भर चुका है अब तो  उम्र का पैमाना मेरा

पता नहीं  किस वास्ते  करता रहा है वह

कब से अभी तक  किस्मत आज़्माई मेरी

जो पूछेगा वह मुझसे कि मेरी रज़ा क्या है

कह दूँगा तन कर तब परवरदिगार से भी

कलम कार  हूँ  मैं ....आशिक मिजाज हूँ

दे दे  मेरे चश्म-ए- पुर आब   को  अब  तो

जज़्ब-ए-दिल, और  ले आए  सामने  मेरे

बचपन  की वह आश्ना  सूरत  दिलनशीं

                 -------

--विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

 

फ़्ल्सफ़:           =  तर्क

शबे-वस्ल         =  मिलन-रात्रि

कलामे मुस्तदाम = ईश्वर की ओर से पैगम्बर पर आने वाल आदेश

चरागे आस्मानी = बिजली

कर्दगार            = ईश्वर, सर्वशक्तिमान

क़लमदस्त         = लिखने वाला

रहमत              = कृपा

रिहाएश            = रहने की  जगह

आलमे मलकूत     = जहाँ केवल फ़रिश्ते रहते है

लाहासिल            = व्यर्थ

परवरदिगार         = परमेश्वर                              

कलमकार             = लिखने वाला

चश्मे पुरआब         = जिस आँख में आँसू भरे हुए हों

जज़्बएदिल           = हृदयाकर्षण

 

 

Views: 822

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on April 14, 2018 at 12:02pm

सराहना के लिए आपका हृदयतल से आभार, आदरणीय बृजेश जी

Comment by vijay nikore on April 14, 2018 at 12:02pm

आपने रचना को मान दिया...    सराहना के लिए आपका हृदयतल से आभार, आदरणीय शेख श्हज़ाद उस्मानी जी।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 13, 2018 at 6:30pm

अद्भुत रचना है..वाकई 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 13, 2018 at 5:56pm

बेहतरीन सृजन के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब विजय निकोरे साहिब। अंतिम सात पंक्तियों के लिए विशेष रूप से!

Comment by vijay nikore on April 13, 2018 at 6:32am

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रोहित जी।

Comment by vijay nikore on April 13, 2018 at 6:31am

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय तस्दीक जी।

Comment by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on April 12, 2018 at 9:10pm

बहुत खूब

malharsमल्हार

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 11, 2018 at 6:33pm

जनाब विजय निकोरे साहिब ,उर्दू के फूलों से सजा खूबसूरत जज़्बाती गुलदस्ता पेश किया है आपने ,मुबारक बाद क़ुबूल फरमायें।

Comment by vijay nikore on April 11, 2018 at 10:20am

भाई, सुशील जी, आप हमेशा मेरी रचनाओं को सराह कर मान देते आए हैं, इसके लिए आभारी हूँ, आदरणीय।

Comment by Sushil Sarna on April 10, 2018 at 8:27pm

कह दूँगा तन कर तब परवरदिगार से भी

कलम कार हूँ मैं ....आशिक मिजाज हूँ

दे दे मेरे चश्म-ए- पुर आब को अब तो

जज़्ब-ए-दिल, और ले आए सामने मेरे

बचपन की वह आश्ना सूरत दिलनशीं

उफ्फ ! गज़ब के अहसास आपके लफ़्ज़ों से बयाँ होते हैं , लगता है ये जज़्बात सदियों से दिल में निहाँ होते हैं , शक्ल लेते हैं कभी ये अश्कों की तो कभी आतिश-ए-दिल की ज़ुबाँ होते हैं .... इस शानदार,दमदार पेशकश के लिए दिल से मुबारकबाद सर आपको।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
11 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सम्माननीय ऋचा जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल तकआने व हौसला बढ़ाने हेतु शुक्रियः।"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"//मशाल शब्द के प्रयोग को लेकर आश्वस्त नहीं हूँ। इसे आपने 121 के वज्न में बांधा है। जहाँ तक मैं…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है हर शेर क़ाबिले तारीफ़ है गिरह ख़ूब हुई सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. भाई महेन्द्र जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई। गुणीजनो की सलाह से यह और…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, बेह्तरीन ग़ज़ल से आग़ाज़ किया है, सादर बधाई आपको आखिरी शे'र में…"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा जी बहुत धन्यवाद"
8 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी, आपकी बहुमूल्य राय का स्वागत है। 5 में प्रकाश की नहीं बल्कि उष्मा की बात है। दोनों…"
8 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी। आप की मूल्यवान राय का स्वागत है।  2 मय और निश्तर पीड़ित हृदय के पुराने उपचार…"
8 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service