For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

- कुण्डलिया छंद -

हो जाए कोई स्वजन, अगर  अचानक दूर।

तब निश्चित यह मानिए, है कुछ बात जरूर।।

है कुछ बात जरूर, वरन  ऐसा क्यों होता।

जो बनता अनजान, वही अपनों को खोता।।

सिर्फ जरा सी बात, चोट दिल को  पहुँचाए।

मीठे   हों यदि  बोल, गैर अपना हो जाए।।

2-

जिसके भी मन में हुआ, लेशमात्र भी दंभ।

उसका निश्चित मानिए, पतन हुआ प्रारंभ।

पतन  हुआ प्रारंभ, यही इतिहास बताता।

लेकिन मद में चूर, व्यक्ति यह समझ न पाता।

रावण   कौरव  कंस, प्रमाण  रहे  हैं  इसके।

उसका हुआ विनाश, अहं था मन में जिसके।।

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

**हरिओम श्रीवास्तव**

Views: 552

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hariom Shrivastava on May 4, 2018 at 5:26pm

हार्दिक आभार आदरणीय Sushil Sarna जी, आदरणीय Vijay Niklte जी,आदरणीय Samar Kabeer जी,आदरणीय डॉ.छोटेलाल सिंह जी,आदरणीया Neelam Upadhyay जी, आदरणीय ब्रजेश कुमार 'ब्रज' जी, एवं आदरणीया Dr. Rama Dwivedi जी।

Comment by Dr.Rama Dwivedi on April 19, 2018 at 6:27am

वाह ! बहुत ही उत्कृष्ट कुंडलियां ,बधाई आदरणीय | 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 18, 2018 at 8:22pm

वाह उत्तम छंद रचना आदरणीय..

Comment by Neelam Upadhyaya on April 18, 2018 at 11:10am

आदरणीय हरिओम श्रीवास्तव जी, नमस्कार । बहुत ही कुंडलियों की प्रस्तुति पर बधाई।

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on April 17, 2018 at 8:44pm

आदरणीय हरिओम जी बेहतरीन कुण्डलिया लिखने के लिए बहुत बहुत बधाई

Comment by Samar kabeer on April 17, 2018 at 12:03pm

जनाब हरिओम श्रीवास्तव जी आदाब,बहुत उम्दा कुण्डलिया छन्द रचे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by vijay nikore on April 17, 2018 at 9:28am

बहुत ही मनमोहक। हार्दिक बधाई।

Comment by Sushil Sarna on April 16, 2018 at 8:33pm

वाह आदरणीय हरिओम श्रीवास्तव जी बहुत ही सुंदर,अर्थपूर्ण और संदेशप्रद कुंडलियों का सृजन हुआ है। हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
yesterday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Wednesday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी

२१२२ २१२२ग़मज़दा आँखों का पानीबोलता है बे-ज़बानीमार ही डालेगी हमकोआज उनकी सरगिरानीआपकी हर बात…See More
Wednesday
Chetan Prakash commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"आदाब,  समर कबीर साहब ! ओ.बी.ओ की सालगिरह पर , आपकी ग़ज़ल-प्रस्तुति, आदरणीय ,  मंच के…"
Apr 10
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post कैसे खैर मनाएँ
"आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, प्रस्तूत रचना पर उत्साहवर्धन के लिये आपका बहुत-बहुत आभार। सादर "
Apr 9

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service