For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रामप्रसाद जी की इकलौती बेटी की शादी थी । सुबह से गहमा-गहमी लगी हुयी थी । रामप्रसाद जी का सबके साथ इतना अच्छा व्यवहार था उनके अड़ोस-पड़ोस में रहने वाले भी इस विवाह को लेकर उतने ही उत्साहित थे जितने स्वयं रामप्रसाद जी । रामप्रसाद जी के बराबर वाले घर में रहने वाले मोहनलाल जी से कभी छोटी बातों को लेकर हुयी कहा-सुनी इतनी बढ़ गयी थी कि आपस में एक-दूसरे को देखना तो क्या नाम भी सुनना पसंद नहीं था । इस वजह से मोहनलाल जी को विवाह में शामिल होने का बुलावा भी नहीं भेजा था उन्होने । रामप्रसाद जी कि पत्नी बार-बार उनसे मनुहार किए जा रही थीं कि कम से कम विवाह के दिन मन में किसी तरह का कोई कलुष नहीं रखना चाहिए और मोहनलाल जी से भी इस विवाह में शामिल होने का आग्रह कर लेना चाहिए । लेकिन रामप्रसाद जी को नहीं मानना था तो नहीं माने ।

बारात आने से लेकर विवाह सम्पन्न होने तक सारी रस्में सम्पन्न होते-होते सुबह हो गयी और अब अब बेटी के विदा होने की घड़ियाँ भी आ गईं । सभी उदासी से घिर गए थे । बेटी के विदा होने का क्षण ही ऐसा होता है कि न चाहते हुए सभी कि आँखें भर जाती हैं । घर में सभी से मिलते-मिलाते रामप्रसादजी बेटी को डोली में बैठाने ले चले तभी सामने मोहनलालजी सपत्नीक सामने आ खड़े हुए – "एक तो बिना बताए बेटी का व्याह तय कर दिया, शादी भी कर दी और अब मुझे क्या बेटी से मिलने भी नहीं देगा" कहते हुए बेटी को अँकवार में भर जो रोना शुरू किया तो उन्हें सम्हालना मुश्किल हो गया और आँखों से सारे कलुष धुलते रहे ।

.... मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 628

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by pratibha pande on April 20, 2018 at 9:03pm

मन भर आया आपकी रचना  पढ़कर  सहज सुन्दर प्रवाह के साथ कहानी ने अपना सफ़र तय किया और अपने सन्देश में सफल रही हार्दिक बधाई आदरणीया नीलम जी 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 20, 2018 at 4:02pm

किस्सा/,विवरणात्मक शैली में बढ़िया सृजन के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया नीलम उपाध्याय जी।  बीच में कहीं उपयुक्त जगह पर संवाद रखे जा सकते हैं और कसावट की जा सकती है। सादर।

Comment by Neelam Upadhyaya on April 20, 2018 at 2:26pm

आदरणीय समर कबीर जी, नमस्कार। बहुत बहुत आभार । आप सभी गुणीजनों के मार्गदर्शन की आकांक्षी रहूंगी।

Comment by Neelam Upadhyaya on April 20, 2018 at 2:22pm

आदरणीय तस्दीक अहमद साहब, नमस्कार। रचना की तारीफ क लिए बहुत बहुत आभार।

Comment by Neelam Upadhyaya on April 20, 2018 at 2:18pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी, बहुत बहुत आभार।

Comment by Neelam Upadhyaya on April 20, 2018 at 2:16pm

आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी, बहुत बहुत आभार। गुणीजनों के मार्गदर्शन के बिना तो कुछ करना संभव ही नहीं है. कुछ बिखने के लिए मैं सदैव तत्पर हूँ

Comment by Neelam Upadhyaya on April 20, 2018 at 2:08pm

 आदरणीय श्याम नारायण जी, नमस्कार । बहुत बहुत आभार। आप के मार्गदर्शन की आकांक्षी रहूंगी।      

 

Comment by Samar kabeer on April 20, 2018 at 10:19am

मोहतरमा नीलम उपाध्याय जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 19, 2018 at 6:40pm

मुहतर्मा नीलम साहिबा ,दिल को छू लेने और संदेश देती सुन्दर लघुकथा हुई है ,मुबारक बाद क़ुबूल फरमायें।

Comment by TEJ VEER SINGH on April 19, 2018 at 5:33pm

हार्दिक बधाई आदरणीय नीलम जी।बेहतरीन लघुकथा।समाज में ऐसे मौकों पर ही गिले शिकवे दूर किये जाते हैं, चूक गये तो फिर गयी दो चार साल की बात।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
47 seconds ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब आज़ी तमाम साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। भाई-चारा का…"
1 minute ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
7 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी, ऐसा करना मुनासिब होगा। "
21 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें"
25 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ इस्लाह भी ख़ूब हुई आ अमित जी की"
27 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ रिचा अच्छी ग़ज़ल हुई है इस्लाह के साथ अच्छा सुधार किया आपने"
28 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु हार्दिक बधाई आपको ।"
37 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Sanjay Shukla जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
54 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Euphonic Amit जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
54 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Dinesh Kumar जी, अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई है। "
56 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Richa यादव जी, अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई। इस्लाह से बेहतर हो जाएगी ग़ज़ल। "
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service