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मेरी ज़मीन मेरा आसमाँ बदल डालो (ग़ज़ल 'राज')

१२१२  ११२२  १२१२  २२

तुम अपने दस्त-ए-हुनर से समां बदल डालो 
अगर पसंद नहीं है जहाँ बदल डालो 

गुबार दिल में दबाने से फ़ायदा क्या है 
सुकून गर  न मिले आशियाँ बदल डालो

उदास गुल हैं जहाँ तितलियों नहीं जाती 
तुम अपने प्यार से वो गुलसितां बदल डालो

जहाँ तलक न पहुँचती ज़िया न बादे सबा 
तो फ़िर ये काम करो वो मकां बदल डालो

भरोसा है तुम्हें तीर-ए-नज़र पे तो जानाँ  
अगर कमाँ है मुख़ालिफ़ कमाँ बदल डालो 

अभी अभी तो हुआ है जवाँ मेरा गुलशन 
ख़जां का रुख़ जो इधर हो ख़जां बदल डालो

मेरे वजूद से तुमको अगर महब्ब्त है 
मेरी ज़मीन मेरा आसमाँ बदल डालो
राजेश कुमारी ' राज '

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Comment by rajesh kumari on May 11, 2018 at 10:38pm

आद० तेजवीर सिंह जी आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया |


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Comment by rajesh kumari on May 11, 2018 at 10:37pm

आदरणीया नीलम जी आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका दिल से बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by TEJ VEER SINGH on May 11, 2018 at 12:59pm

हार्दिक बधाई आदरणीय राजेश कुमारी जी।बेहतरीन गज़ल।

गुबार दिल में दबाने से फ़ायदा क्या है 
सुकून गर  न मिले आशियाँ बदल डालो

Comment by Neelam Upadhyaya on May 11, 2018 at 12:27pm

आदरणीय  राजेश  कुमारी जी, नमस्कार।  बहुत ही उम्दा गजल हुई है।  मुबारकबाद कबूल करें। 


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Comment by rajesh kumari on May 11, 2018 at 11:37am

आदरणीय समर भाई जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत बहुत शुक्रिया आपका .

Comment by Samar kabeer on May 11, 2018 at 11:29am

बहना राजेश कुमारी जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।


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Comment by rajesh kumari on May 11, 2018 at 10:41am

मोहतरम जनाब तस्दीक साहब आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत बहुत शुक्रगुज़ार हूँ 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 10, 2018 at 8:37pm

मुहतरमा राजेश कुमारी साहिबा , बहुत ही उम्दा ग़ज़ल हुई है ,मुबारक बाद क़ुबूल फरमायें । सही शब्द "खिज़ां "है देखियेगा ।  सादर


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Comment by rajesh kumari on May 10, 2018 at 6:57pm

आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी ग़ज़ल आपको पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से शुक्रगुज़ार हूँ 

Comment by Mohammed Arif on May 10, 2018 at 6:52pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी आदाब,

                                     अच्छे सरल-सरस बिम्बों और प्रतीकों के माध्यम से अपनी अभिव्यक्ति देने में सफल ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दाद के साथ दिली मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।

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